Edited By Isha, Updated: 07 Feb, 2020 11:45 AM
धान घोटाले की जांच सी.बी.आई. से करवाने व किसानों की अन्य मांगों को लेकर गुरुवार को भारतीय किसान यूनियन ने लघु सचिवालय में जमकर प्रदर्शन करते हुए सरकार विरोधी नारेबाजी की। इससे पूर्व मार्कीट कमेटी के कार्यालय के समक्ष
यमुनानगर(त्यागी): धान घोटाले की जांच सी.बी.आई. से करवाने व किसानों की अन्य मांगों को लेकर गुरुवार को भारतीय किसान यूनियन ने लघु सचिवालय में जमकर प्रदर्शन करते हुए सरकार विरोधी नारेबाजी की। इससे पूर्व मार्कीट कमेटी के कार्यालय के समक्ष किसानों की बैठक का आयोजन किया गया और यहां से सरकार विरोधी नारेबाजी करते हुए प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी के नेतृत्व में किसान लघु सचिवालय पहुंचे, जहां उन्होंने अपनी मांगों से संबंधित एक ज्ञापन प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा।
मुख्यमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में किसान नेताओं का कहना था कि धान घोटाले को लेकर 30 जनवरी को मुख्यमंत्री ने एक बयान दिया था, जिसमें धान घोटाले को लेकर चौथी बार फिजिकल वैरीफिकेशन करवाने की बात कही है। किसानों का कहना था कि घोटाला केवल शैलरों तक सीमित नहीं है, इसकी जांच मंंडियों में भी की जानी आवश्यक है। इस बात के प्रमाण उन्होंने इससे पूर्व लिखे शिकायत पत्रों में दिए गए हैं कि प्रदेश की मंडियों में कई आढ़तियों के पास अन्य एक भी फसल नहीं आई है। यदि आई है तो बहुत कम मात्रा में। तब उनके पास से बहुत अधिक मात्रा में धान की खरीद कैसे संभव है। इसी का दूसरा प्रमाण हरियाणा राज्य मंडी विपणन बोर्ड द्वारा आर.टी.आई. के तहत दी गई जानकारी में मिला है। जानकारी के अनुसार प्रदेश में 2 लाख 25 हजार 145 किसानों ने 9 अरब 10 करोड़, 70 लाख 6 हजार 875 एकड़ धान की फसल बिजाई का पंजीकरण करवाया।
प्रदेश की मंडियों में 4 लाख 34 हजार 783 मीट्रिक टन धान की प्राइवेट व 64 करोड़ 68 लाख 57 हजार 670 मीट्रिक टन यानी कुल 6 अरब 90 करोड़ 33 लाख 59 हजार 70 किं्वटल है। प्रदेश की मंडियों में कुल 6 अरब 90 करोड़, 33 लाख 59 हजार 70 किं्वटल धान बिका। जोकि लगभग 9 लाख 10 हजार एकड़ की पैदावार है, क्योंकि प्रदेश में प्रति एकड़ की पैदावार 75 से 80 किं्वटल बनती है यह कैसे संभव है। किसान नेताओं का कहना था कि इससे बड़ा एक घोटाला यह भी है कि जितने धान की फर्जी खरीद की गई उस सभी की एम.एस.पी., आढ़ती की कमीशन, लेबर खर्च व यातायात के खर्च आदि सरकार से अवैध तौर पर ले लिए गए, जो सैंकड़ों करोड़ रुपए बनते हैं। इसलिए इस घोटालों में सभी तथ्यों सहित निष्पक्षता से सी.बी.आई. से पूरा जांच करवाई जाए और दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य मांगें इस प्रकार थी।