Haryana Election 2019: किस दल के सपनों को साकार करेंगे साइलैंट वोटर?

Edited By Isha, Updated: 16 Oct, 2019 10:33 AM

silent voters will realize the dreams of which party

हरियाणा चुनाव के लिए 5 दिन शेष रह गए हैं लेकिन मतदाताओं का एक बड़ा तबका अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं है कि किस दल के लिए किलर और किसके सपनों का साकार करेंगे। जो मुखर है,या खुलकर

चंडीगढ़ (बंसल) : हरियाणा चुनाव के लिए 5 दिन शेष रह गए हैं लेकिन मतदाताओं का एक बड़ा तबका अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं है कि किस दल के लिए किलर और किसके सपनों का साकार करेंगे। जो मुखर है,या खुलकर समर्थन में खड़े हैं,उससे राजनीतिक दलों ने अंदाजा लगा लिया लेकिन साइलैंट वोटर उम्मीदों के विपरीत चुनाव परिणाम बदलते आए हैं,इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। 

राजनीतिक दल साइलैंट वोटरों का फीडबैक ले रहे हैं,लेकिन कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं और इसी बात ने राजनीतिक दलों की ङ्क्षचता बढ़ाई हुई है। राजनीतिक दल कुछ भी दावा करें लेकिन न किसी के पक्ष की हवा है और न ही विरोध दिखाई देता है। इतना जरूर है कि जो जिस दल का समर्थक है वह जरूर अपने दल का गुणगान कर रहा है और विरोधी दल की ङ्क्षनदा कर रहा है। 

हरियाणा में जितवाने की नहीं बल्कि हवा निकालने की परंपरा
हरियाणा के लोग काफी मुखर और स्पष्टवादी माने जाते हैं लेकिन परंपरा रही है कि वोटर जितवाने के लिए नहीं,बल्कि किसी की हवा निकालने में ज्यादा आगे रहते हैं। प्रदेश में जब किसी के विरोध या हवा नहीं है तो ऐसे में धारणा लगाना सभी के लिए मुश्किल हो रहा है कि परिणाम किसके हक में रहेगा। 

चुनाव में स्थानीय मुद्दों का अहम रोल
इस बार चुनाव में स्थानीय मुद्दे बड़ा ही अहम रोल बना रहे हैं। प्रत्याशी जब उनसे वोट मांगने आता है तो लोग खुलकर अपनी समस्याओं का जिक्र करते हुए कहते हैं कि वोट मांगने तो आ गए लेकिन चुनाव के बाद आप लोग नजर भी नहीं आओगे। लोग प्रत्याशियों को कह रहे हैं कि सारी सरकारें देख ली लेकिन उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ।

चुनावी ट्रैंड बनाने में मंडियों का बड़ा योगदान
मंडियों में आजकल धान के सीजन का जोर है लेकिन चुनाव परिणाम के ट्रैंड तय होते आए हैं। समाज का हर वर्ग किसी न किसी रूप से मंडी से जुड़ा होता है और मंडियों की बैठकों में चुनाव पर खूब चर्चा होती है। किसी भी दल या नेता की अच्छाई व बुराई वहां चर्चा का केंद्र रहती है। व्यापारी, किसान,कर्मचारी से लेकर समाज का कमजोर वर्ग मंडियों से जुड़ा होता है, ऐसे में राजनीतिक दलों की नजरें मंडियों के  ट्रैंड जानने में लगी हुई है। 

कुछ प्रतिशत वोटर हवा के साथ बदलते हैं अपना रुख
चुनाव परिणाम में ऐसे वोटरों की संख्या अहम रोल अदा करती है जिनका किसी भी दल की हवा के साथ अपनी वोट का रुख तय करते हैं। हालांकि इनकी प्रतिशतता ज्यादा नहीं होती लेकिन चुनाव परिणाम फेरबदल में इनका अहम रोल होता है,क्योंकि जिस सीट पर कड़ा मुकाबला होता है,वहां ऐसे वोटर निर्णायक भूमिका में होते हैं। इस तथ्य की महत्ता को समझते हुए राजनीतिक लोग अपने-अपने पक्ष की हवा होने का ज्यादा प्रचार करते है, ताकि संशय में पड़ा वोटर उनके हक में वोट डाल दे। 

रैलियों में उमड़ी भीड़ हवा बनाने में निभाती है भूमिका
रैलियों में उमडऩे वाली भीड़ किसी भी दल के वोटर के रूप में परिवर्तित नहीं होती लेकिन उस दल की हवा बनाने में अपना रोल जरूर अदा करती है। इस बार अधिकांश दलों की रैलियों में भीड़ उमड़ रही है, ऐसे में वोटर संशय की स्थिति में है और अंदाजा लगा रहा है कि किस दल की सत्ता बनने जा रही है। 

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