दिव्यांग शिवानी अंगदान के लिए लोगों को कर रही प्रेरित, अपनी शादी में लिया आठवां फेरा

Edited By Punjab Kesari, Updated: 01 Nov, 2017 02:14 PM

shivani motivating people for organ donation will take eighth round of marriage

सोनीपत में आज एक अनोखी शादी होगी, जिसमें आठ फेरे लिए जाएंगे। सात जन्मों तक रिश्ते को मजबूत करने वाले सात फेरों के बाद आठवां फेरा अंगदान और देहदान का वचन होगा। शादी में आए लोग अंगदान के लिए रजिस्टे्रेशन कराएंगे। सोनीपत निवासी आनंद कुमार की बेटी...

सोनीपत (सुनील जिंदल): सोनीपत में कल एक अनोखी शादी हुई, जिसमें आठ फेरे लिए गए । सात जन्मों तक रिश्ते को मजबूत करने वाले सात फेरों के बाद आठवां फेरा अंगदान और देहदान का वचन किया। शादी में आए लोग अंगदान के लिए रजिस्टे्रेशन कराए। सोनीपत निवासी आनंद कुमार की बेटी शिवानी की शादी दिल्ली के नरेला निवासी अश्विनी के साथ हुई। दुल्हन शिवानी ने कहा कि शादी के सात फेरों के साथ अपने पति को आठवें वचन अंगदान के लिए मनाया है। उसकी इस मुहिम के तहत दूल्हे के अलावा बरातियों ने भी अंगदान करने का वचन दिया। खास बात यह है कि शादी के कार्ड पर अंगदान व देहदान के लिए प्रेरित किया गया है।

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शिवानी ने बताया कि, जब रोहतक के गांव कंसाला में वह अपने मामा के घर रहकर पढ़ाई कर रही थी, तो उसकी एक सहेली बनी। किसी बीमारी के चलते उसकी सहेली का एक अंग खराब हो गया, परिजनों की लाख कोशिशों के बाद भी बदलने के लिए अंग नहीं मिला जिससे उसकी मौत हो गई। सहेली की मौत से शिवानी काफी दु:खी हुई थी, बाद में उसने लोगों को अंगदान करने व कराने के लिए प्रेरित करना शुरु किया। इस मिशन को पूरा करते हुए अब उसकी शादी होने वाली है। उसकी इस मुहिम के तहत दूल्हे के अलावा बरातियों ने भी अंगदान करने का वचन दिया है।

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खास बात यह है कि शादी के कार्ड पर भी अंगदान व देहदान के लिए प्रेरित करने वाले संदेश छपवाए गए हैं। शादी के निमंत्रण पत्र में लिखा गया संदेश शरीर के नौ अंगों का हो सकता है दान। शरीर के नौ अंग मृत्यु के बाद दान किए जा सकते हैं। इससे 28 प्रकार के रोगियों को बेहतर जीवन मिल सकता है। आंख, लीवर, किडनी, लंग्स, हार्ट, स्किन आदि का भी दान किया सकता है। जिन लोगों का लिवर कैंसर, हेपेटाइटिस आदि बीमारियों से खराब हो गया है, उनके लिए यदि एक व्यक्ति लीवर दान करता है तो यह तीन लोगों के लिए काम आ सकता है। त्वचा का दान किया जाए तो उसे पांच साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है और यह तेजाब के शिकार या आग से जले लोगों के काम आ सकती है।

आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल पांच लाख लोगों की मौत केवल अंगों के नाकाम होने के कारण होती है। इसमें दो लाख लोग लिवर खराब होने से, डेढ़ लाख लोग किडनी की खराबी और 50 हजार लोग हृदय आघात के कारण मर जाते हैं। हर साल डेढ़ लाख किडनी की आवश्यकता होती है, लेकिन केवल पांच हजार ही उपलब्ध हो पाती हैं।

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