28 सालों से हरियाणा में सेवा दे रही आईएएस अधिकारी पीएम मोदी की टीम में शामिल

Edited By Punjab Kesari, Updated: 10 Jan, 2018 04:39 PM

serving in haryana for 28 years now joined pm modi team

28 सालों से हरियाणा में सेवा दे रही सीनियर आईएएस अधिकारी डॉ.सुमिता मिश्रा अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में शामिल होंगी। प्रदेश सरकार ने मंगलवार को 1990 बैच की इस अधिकारी को केंद्र में भेजने पर मुहर लगा दी है। सुमिता मिश्रा अब नीति आयोग के तहत...

पंचकूला(धरणी): 28 सालों से हरियाणा में सेवा दे रही सीनियर अधिकारी आईएएस डॉ.सुमिता मिश्रा अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में शामिल होंगी। प्रदेश सरकार ने मंगलवार को 1990 बैच की इस अधिकारी को केंद्र में भेजने पर मुहर लगा दी है। सुमिता मिश्रा अब नीति आयोग के तहत दिल्ली में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद में संयुक्त सचिव के रूप में सेवाएं देंगी। बता दें कि वे सीएम मनोहर लाल की अतिरिक्त प्रधान सचिव भी रह चुकी हैं।

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माता-पिता थे डॉक्टर
डॉ. सुमिता मिश्रा का जन्म 30 जनवरी 1966 को लखनऊ में हुआ। उनकी माता डॉ. पीके मिश्रा और पिता डॉ. एनसी मिश्रा डॉक्टर थे। लखनऊ के लोरेटो कॉन्वेंट स्कूल से प्राथमिक शिक्षा हासिल की। बीए और एमए की पढ़ाई लखनऊ यूनिवर्सिटी से पूरी करने के बाद 1990 में उनका भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में चयन हुआ। जिसके बाद वे बीते 28 सालों से हरियाणा सरकार में महत्वपूर्ण पद और जिम्मेदारियां संभाल रही हैं।

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कविता लिखने की हैं शौकीन
डॉ. सुमिता मिश्रा कविताएं लिखने की बहुत शौकीन हैं। उनकी पहली साहित्यक रचना ‘ए लाइफ ऑफ लाईट’ नामक शीर्षक से कविताओं का संग्रह है, इसे 2012 में प्रकाशित किया गया। उनकी दूसरी कृति ‘वक्त के उजाले में’ प्रकाशित हुई। इसके बाद ‘जरा सी धूप’ नामक शीर्षक से उनकी तीसरी और चौथी किताब ‘पेट्रिकर’ रिलीज की गई है। पेट्रिकर में 51 कविताओं को संकलित किया गया है। सुमिता मिश्रा जिंदगी को जिस अंदाज में महसूस करती हैं उसी अंदाज से उन्हें अपनी कविताओं से शेयर किया है।

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चौथी किताब के विमोचन पर सुमिता का कहना था कि यह मैं नहीं तय करती कि कविता किस भाषा में होगी। बल्कि यह कविता अपने आप तय करती हैं। बचपन से अंग्रेजी में लिखने का शौक रहा है। लेकिन जब मैंने हिंदी में लिखना शुरू किया तो यूं लगा जैसे वापिस अपनी रूट्स से जुड़ गई हूं। उसके बाद मैंने हिंदी और अंग्रेजी में लिखा। उन्होंने बताया कि, जब भी कोई ख्याल जहन में आता है, उसे फौरन फोन पर नोट कर लेती हूं। कोई कविता मन में आए तो फौरन उसे लिख डालती हूं। इसलिए ताकि उस विचार की मौलिकता बनी रहे और उससे छेड़छाड़ हो।

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