वरिष्ठ मंत्रियों की गीता महोत्सव से दूरी,बनी चर्चा का विषय

Edited By Punjab Kesari, Updated: 28 Nov, 2017 03:24 PM

senior minister  s gita festival

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में जहां देश-विदेश के लोगों को बुलाने के लिए सरकार ने हर तरह के प्रयास किए तो वहीं सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों की समारोह से दूरी खासी चर्चा का विषय बनी हुई है। राष्ट्रपति व मोहन भागवत की समारोह में मौजदूगी के दौरान भी...

चंडीगढ़(ब्यूरो):अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में जहां देश-विदेश के लोगों को बुलाने के लिए सरकार ने हर तरह के प्रयास किए तो वहीं सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों की समारोह से दूरी खासी चर्चा का विषय बनी हुई है। राष्ट्रपति व मोहन भागवत की समारोह में मौजदूगी के दौरान भी वरिष्ठ मंत्रियों का समारोह में न पहुंचना इस बात की चर्चा को हवा दे रहा है कि मंत्रियों में अपनी ही सरकार के प्रति नाराजगी है।  मंत्रियों का न आना एक स्वाभाविक घटनाक्रम हो सकता है या मंत्री किसी अन्य कार्यक्रमों में व्यस्त रहे हों, लेकिन संघ प्रमुख मोहन भागवत की उपस्थिति के बावजूद भी मंत्रियों का कार्यक्रम से कन्नी काटना पूरे प्रदेश के लोगों में प्रश्नीय बना हुआ है।

सूत्रों की मानें तो इस समरोह में मंत्रियों को आमंत्रित ही नहीं किया गया, जिसके चलते मंत्री समारोह में नहीं आए। इस मुद्दे को मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बीच खींचतान से भी जोड़कर देखा जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज, वित्त मंत्री कै. अभिमन्यु, कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ सरीखे मंत्रियों को समारोह से दूर क्यों रखा गया? इस सवाल के जवाब पर समारोह के आयोजक चुप्पी साध लेते हैं। इससे पूर्व गीता जयंती समारोहों में बाकायदा मंत्रियों को आमंत्रित किया जाता था, लेकिन इस बार उनके पास समारोह का कार्ड भेजकर औपचारिकता निभा ली गई।

अपनी ही सरकार में हुए बेगाने
इससे पूर्व भी सरकार की 3 वर्ष की उपलब्धियों में जब मुख्यमंत्री को आगे किया गया तो मंत्रियों में इस बात की नाराजगी देखी गई थी कि उपलब्धियों में उनका नाम क्यों नहीं है। एक मंत्री ने नाम न छापने की बात कहते हुए कहा कि हम तो अपनी ही सरकार में बेगाने हो गए हैं, समर्थकों के बीच क्या मुंंह दिखाएं। सरकार की कोई कमी हो तो उसके लिए सब मिलकर विपक्ष को जवाब दें और जब उपलब्धि हो उनको नजरअंदाज कर दिया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव हो, और मंत्रियों को खाली कार्ड भेजकर औपचारिकता कर ली जाए, ऐसे में हम कहें भी तो क्या कहें। मंत्रियों में इस बात को लेकर भी शिकवा था कि ऐसे कार्डों में सभी मंत्रियों का नाम छपना चाहिए था।

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