कार्रवाई: BPS महिला विश्वविद्यालय में लाखों रुपये का घोटाला, लिपिक सीमा रानी निलंबित

Edited By Shivam, Updated: 19 Mar, 2020 07:39 PM

गोहाना के गांव खानपुर कलां स्थित बीपीएस महिला विश्वविद्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियों ने सांठ-गांठ करके लाखों रुपये का घोटाला करने का मामला सामने आया है। अधिकारियों व कर्मचारियों में आपस में मतभेद होने पर यह मामला विश्वविद्यालय के आला अधिकारियों...

गोहाना (सुनील): गोहाना के गांव खानपुर कलां स्थित बीपीएस महिला विश्वविद्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियों ने सांठ-गांठ करके लाखों रुपये का घोटाला करने का मामला सामने आया है। अधिकारियों व कर्मचारियों में आपस में मतभेद होने पर यह मामला विश्वविद्यालय के आला अधिकारियों तक पहुंच गया। विवि प्रशासन ने घोटाले में संलिप्त लिपिक को निलंबित कर दिया है। कुलपति ने इस मामले में जांच के लिए कमेटी गठित कर दी है।

दरअसल, महिला विश्वविद्यालय की अकाउंट शाखा के इंजीनियर अजय ने 2017 में साफ्टवेयर तैयार किया था। इस शाखा के अकाउंट मुख्य अधिकारी राकेश कुमार हैं और यहां लिपिक सीमा रानी सेवा दे रही थी। कबाड़ की बिक्री या अन्य फंडों के रुपयों की लिपिक सीमा कुमारी द्वारा पहले रसीद काट दी जाती और बाद में उसे अपने स्तर पर रद कर दिया जाता। रुपयों को विश्वविद्यालय के खाते में जमा ही नहीं करवाया जाता था। सीमा कुमारी ने करीब तीन साल में लाखों रुपये का घोटाला कर डाला।

अकाउंट अधिकारी राकेश कुमार इस बात को लेकर संदेह के घेरे में हैं उन्हें इस मामले का पता होने के बावजूद विश्वविद्यालय के अधिकारियों को भनक तक नहीं लगने दी। बताया गया है कि लिपिक और अधिकारी में किसी बात को लेकर मतभेद हो गया। राकेश कुमार ने इस मामले को विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुषमा यादव के संज्ञान में लाया। कुलपति को बताया गया कि लिपिक से गबन किए गए लाखों रुपये में से 8.50 लाख रुपये की रिकवरी की जा चुकी है। कुलपति इस बात को सुन कर हैरान रह गईं। फरवरी माह में मामला आला अधिकारियों के संज्ञान में आने पर लिपिक से 17.50 लाख रुपये की और रिकवरी की गई। उससे कुल 26 लाख रुपये की रिकवरी की गई है। घोटाले का खेल करीब तीन साल तक चलता रहा।

अधिकारियों का मानना है कि घोटाला रिकवरी से बहुत अधिक रुपये का है। फिलहाल, कुलपति ने लिपिक सीमा रानी को निलंबित कर दिया है। मामले की जांच के लिए कमेटी भी गठित कर दी गई है। कमेटी को तीन साल में हुए पूरे लेन-देन के रिकार्ड की जांच करनी होगी। जांच के बाद ही पता चल सकेगा कि ये घोटाला का काम यहां कब से चलता आ रहा था और अभी तक कितने रुपए का घोटाला किया जा चुका है।

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