Edited By vinod kumar, Updated: 03 Oct, 2020 06:14 PM
बहादुरगढ़ नगर परिषद ने स्ट्रीट लाइट खरीद में 40लाख रूपये का गड़बड़झाला किया है। अब इस मामले की विजिलेंस जांच भी शुरू हो गई है। विजिलेंस ने नगर परिषद से साल 2017 में खरीदी गई करीब 2400 एलईडी लाइटों के दस्तावेज मांग लिए है। उधर, नगर परिषद के 6...
बहादुरगढ़ (प्रवीण कुमार): बहादुरगढ़ नगर परिषद ने स्ट्रीट लाइट खरीद में 40लाख रूपये का गड़बड़झाला किया है। अब इस मामले की विजिलेंस जांच भी शुरू हो गई है। विजिलेंस ने नगर परिषद से साल 2017 में खरीदी गई करीब 2400 एलईडी लाइटों के दस्तावेज मांग लिए है। उधर, नगर परिषद के 6 पार्षदों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नगर परिषद चेयरपर्सन और अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए है। पार्षदों का कहना है कि जो एलईडी लाइट झज्जर नगरपालिका ने 3996 रुपये की खरीदी, वही लाइट उसी दौरान बहादुरगढ़ नगर परिषद ने 5678 रुपये में खरीदी। एक लाइट पर 1682 रुपये ज्यादा खर्च किए गए। अब पार्षदों ने उसी 40 लाख की रिकवरी और दोषियों को जेल भेजने की मांग की है।
बहादुरगढ़ नगर परिषद अकसर अपने घोटालों की वजह से विवादों और सुर्खियों में रहती है। साल 2017 में नगर परिषद ने 18 टेंडर लगाकर करीब 2400 एलईडी स्ट्रीट लाइटें खरीदी थी। एक लाइट पर कुल मिलाकर 5678 रुपये का खर्च आया था। विशेष बैठक बुलाकर रेट की स्वीकृति भी पार्षदों से ली गई थी। उस वक्त कुछ पार्षदों ने स्ट्रीट लाइट खरीद में घोटाले के आरोप लगाए थे, जो अब सही साबित होने लगे हैं।
विजिलेंस ने स्ट्रीट लाइट खरीदने में 40 लाख 36 हजार 800 रुपये की वित्तीय हानि मानते हुए नगर परिषद से तमाम दस्तावेज मांग लिए हैं। इसी विषय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 6 पार्षदों ने 40 लाख की रिकवरी और दोषियों को जेल भेजने की मांग की है।
दरअसल, बहादुरगढ़ नगर परिषद ने जॉब नम्बर 289 से 306 तक 45 वाट की एलईडी स्ट्रीट लाइट के लिए 19 अगस्त 2017 को टेंडर खोला था। उस टेंडर में एलईडी लाइट के लिए 5800 रुपये और बैंड पाइप के एक सेट के लिए 400 रुपये ठेकेदार ने भरे थे, जो करीब 11 प्रतिशत छूट के साथ नगर परिषद ने मंजूर कर लिए थे।
इस तरह एक लाइट को लगाने के लिए परिषद ने 5678 रुपये खर्च किए। जबकि उसी दौरान झज्जर नगर पालिका ने वही 45 वाट की लाइटें 3996 रुपये में लगवाई। इस तरह बहादुरगढ़ नगर परिषद ने एक लाइट पर 1682 रुपये ज्यादा खर्च कर दिए। जिस पर एतराज उठाया गया, लेकिन एतराज को अनसुना कर दिया गया। पार्षदों ने अधिकारियों को शिकायतें की, जिसका परिणाम अब जाकर निकला है। अब विजिलेंस जांच में इस खरीद से जुड़े कई अधिकारियों पर कार्यवाही होनी तय मानी जा रही है।