कि.मी. स्कीम में गैर ए.सी. बसों के घोटाले के आरोपियों को बचा रही सरकार : प्रो. सम्पत सिंह

Edited By Shivam, Updated: 04 Apr, 2019 02:07 PM

sampat singh said government saving the accused of the bus scam

कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री प्रो. सम्पत सिंह ने मुख्यमंत्री खट्टर पर आरोप लगाया कि हरियाणा रोडवेज में प्रति किलोमीटर की दर से मानक गैर ए.सी. बसों को किराए पर लेने के मामले में परिवहन विभाग के घोटाले के आरोपियों को बचाने...

चंडीगढ़ (ब्यूरो): कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री प्रो. सम्पत सिंह ने मुख्यमंत्री खट्टर पर आरोप लगाया कि हरियाणा रोडवेज में प्रति किलोमीटर की दर से मानक गैर ए.सी. बसों को किराए पर लेने के मामले में परिवहन विभाग के घोटाले के आरोपियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि पंजाब व हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की प्रत्यक्ष निगरानी में सी.बी.आई. द्वारा जांच करने से ही अपराधियों को सजा मिल सकती है। उन्होंने कहा कि इस घोटाले की मुख्यमंत्री द्वारा विजीलैंस जांच का आदेश देना ही केवल घोटाले को छिपाकर लोगों की आंखों में धूल झोंकने के बराबर है। उन्होंने कहा कि इस घोटाले के अपराधियों में खट्टर के करीबी लोग, उनके कार्यालय के महत्वपूर्ण अधिकारी, वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी और परिवहन विभाग के उच्च पदस्थ अधिकारी शामिल हैं।

पूर्व मंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार ने पिछले साल निजी कम्पनियों से प्रति किलोमीटर दर के आधार पर 700 बसें किराए पर लेने का फैसला किया था। सर्वप्रथम 510 बसों को 36 से 37 रुपए प्रति किलोमीटर किराए पर लेने का फैसला किया था। हालांकि शेष 190 बसों के लिए बोलियां 21 रुपए से 22 रुपए प्रति किलोमीटर के बीच विविध रूप से पेश की गईं जो पहले की 510 बसों के लिए स्वीकृत बोलियों की तुलना में काफी कम थीं। सम्पत सिंह ने कहा कि इसके अतिरिक्त इस किराए में सरकार को कुछ अतिरिक्त खर्च प्रति किलोमीटर देना था जिसको छिपाया गया है जिसमें सरकार को प्रत्येक बस के परिचालक के वेतन का भुगतान करना था, हरियाणा रोडवेज बस स्टैंड व बुनियादी ढांचे का उपयोग, पार्किंग सुविधा, डिपो व मुख्यालय के प्रशासनिक खर्चे को भी सरकार ने वहन करना था।

इसके अतिरिक्त, संचालन और रख-रखाव की बदलती लागत सरकार द्वारा ही पूरी की जानी थी। सरकार को निजी ऑप्रेटरों को भी डीजल व अन्य कलपुर्जों के रेट बढऩे पर सबसिडी द्वारा भुगतान करना था। इन बसों के लिए अंतर्राज्यीय करों का भुगतान भी सरकार को ही करना था। उन्होंने कहा कि ये छिपी हुई लागत लगभग 20 रुपए प्रति किलोमीटर पड़ती और प्रभावित लागत प्रतिकिलोमीटर 56 से 57 रुपए हो जाती।

इससे स्पष्ट है कि 510 बसों के लिए बोली प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों व सत्तासीन राजनीतिज्ञों ने अपने निजी फायदे के लिए ऐसी ऊंची दरों को स्वीकार किया था जिससे हरियाणा रोडवेज को भारी नुक्सान होना था। प्रो. संपत सिंह ने कहा कि सरकार ने स्पष्ट रूप से उच्च न्यायालय में प्रस्तुत एक हलफनामे में स्वीकार करते हुए कहा था कि 190 बसों के लिए बोलियां 510 बसों के मुकाबले काफी कम थीं और इन दरों को न्यायालय का फैसला आने तक स्थगित किया था।

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