विज के दरबार में सकेतड़ी के ग्रामीणों ने लगाई गुहार, हमारे घरों व बस्तियों को जल्द नियमित किया जाए

Edited By Shivam, Updated: 20 Jul, 2020 08:31 PM

saktadi villagers plead in vij s court

हरियाणा के जिला पंचकूला में पडऩे वाले गांव सकेतड़ी के लोगोंं ने प्रदेश के गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के दरबार में गुहार लगाई है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव सकेतड़ी, जिला पंचकूला में लाल डोरे के साथ लगती कृषि भूमि पर शेष हरियाणा की तरह लगभग...

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा के जिला पंचकूला में पडऩे वाले गांव सकेतड़ी के लोगोंं ने प्रदेश के गृह व स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के दरबार में गुहार लगाई है। 

ग्रामीणों ने बताया कि गांव सकेतड़ी, जिला पंचकूला में लाल डोरे के साथ लगती कृषि भूमि पर शेष हरियाणा की तरह लगभग 700-800 मकान बने हुए हैं, जिनमें बाकायदा दूरभाष बिजली तथा पानी की सूविधा उपलब्ध है। वर्ष 1999 में शहरी सम्पदा विभाग ने माता मनसा देवी के सैक्टर-1, 2 व 6 के विस्तार हेतु अधिग्रहण के भाग-4 का नोटिस किया था, जिसमें गांव की 9.50 एकड़ जमीन थी और जहां यह 700-800 घर बने हैं, वह जमीन भी सैक्टर-1 के विस्तार के लिए अधिग्रहण में प्रस्तावित थी। पॉलिसी के अनुसार जहां पर पहले से घर बने हुए हैं, उस जगह को छोडऩे का प्रावधान था, किन्तु अधिकारियों ने इस बात की अनदेखी करके बने-बनाए घरों को भी अधिग्रहण में शामिल कर लिया। सरकार से राहत न मिलने के कारण लोगों ने माननीय उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश हासिल कर लिए, जोकि अब 20 वर्षों के बाद भी कायम हैं।

अब सकेतड़ी के ग्रामीणों का कहना है कि जितनी जमीन चाहिए थी उसमें प्लोटिंग कर दी और सैक्टर-1 जोकि मनोरंजन पार्क के रूप में विकसित किया जाना था कि भी चारदिवारी कर ली है और इन घरों को बाहर छोड़ दिया गया। जिसका अर्थ है कि अब विभाग को इन घरों की जमीन की आवश्यकता नहीं है। वर्ष 2009 में जब पंचकूला, कालका तथा पिंजौर को मिलाकर नगर निगम बनी तो हमारा सारा गांव नगर निगम में ले लिया गया था और ग्राम पंचायत भंग कर दी गई। ग्रामीण क्षेत्र के विकास तथा विकास योजना का काम अब शहरी स्थानीय निकाय विभाग के पास आ गया था। ऐसे मेें अधिग्रहण के शेष कार्य अपने आप निरस्त हो जाने चाहिए, किन्तु अभी भी शहरी स्थानीय निकाय से जब हम इस कॉलोनी को नियमित करने की बात कहते हैं तो जवाब मिलता है कि अभी अधिग्रहण की अधिसूचना के सैक्सन-4 की कार्यवाही लम्बित है।

ग्रामीणों ने कहा कि अधिग्रहण करने वाले विभाग का पंचकूला से नियंत्रण समाप्त हो चुका है। नए विभाग ने जिम्मेवारी ले ली है और नए विभाग ने बाकायदा विकास शुल्क/संपत्ति कर जमा करवाया है, फिर हमारे घरों को हमारी बस्ती को नियमित क्यों नहीं किया जा रहा है? हम 20 साल से विकास की राह देख रहे हैं हमारे द्वारा गृहकर देने के बावजूद भी हम सरकार की सुविधाओं से वंछित है, हमारे ऊपर दोहरे कानून लागू किए जा रहे हैं और विभाग का कोई भी अधिकारी इस बात को समझने के लिये तैयार नहीं है। नगर निगम के आने के बाद ऐसा संभव नहीं है।

 ग्रामीणों का कहना है कि  हमारे 700-800 घरों की कॉलोनी जो बिल्कुल गांव के साथ लगती है, पहाड़ी के साथ लगती है और बिल्कुल एक तरफ है तथा सरकार की किसी योजना को बाधित नहीं करती है, को विभाग द्वारा नागरिक सुविधा अधिनियम के तहत लेकर नियमित किया जाए। 

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