RTI में खुलासा: ठोस कूड़ा प्रबंधन प्रोजेक्ट में घोटाला, बिलों की जांच के बगैर करोड़ों का किया भुगतान

Edited By vinod kumar, Updated: 03 Sep, 2020 03:08 PM

rti disclosed scam in solid waste management project

हरियाणा में घोटालों की लिस्ट लंबी होती जा रही है। एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे हैं। अब हरियाणा सरकार द्वारा नगर निगम पानीपत क्षेत्र में पिछले अढ़ाई वर्षों से चलाए जा रहे ठोस कूड़ा प्रबंधन प्रोजेक्ट में करोड़ों का घोटाला सामने आया है। यहां जेबीएम...

पानीपत (सचिन नारा): हरियाणा में घोटालों की लिस्ट लंबी होती जा रही है। एक के बाद एक घोटाले सामने आ रहे हैं। अब हरियाणा सरकार द्वारा नगर निगम पानीपत क्षेत्र में पिछले अढ़ाई वर्षों से चलाए जा रहे ठोस कूड़ा प्रबंधन प्रोजेक्ट में करोड़ों का घोटाला सामने आया है। यहां जेबीएम कंपनी को बिलों की जांच के बगैर करोड़ों का भुगतान कर दिया गया। इसका खुलासा आरटीआई में हुआ। 

आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने बताया कि फरवरी 2018 से जुलाई 2020 तक अढ़ाई वर्ष की अवधि में नगर निगम पानीपत ने जेबीएम कम्पनी को कुल 3,64,673 टन कूड़ा उठाने के बदले कुल 36, 46,72,864 रूपये का भुगतान किया है। वहीं नगरपालिका समालखा ने 1 मार्च 2018 से 30 जून 2020 तक की अवधि में 20,690 टन कूड़ा उठाने के बदले 2,11,26,141 रूपये का भुगतान जेबीएम कम्पनी को किया। 

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ये भुगतान टेंडर एग्रीमेंट की शर्तों के अनुसार प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) द्वारा सफाई कार्य के निरीक्षण व बिलों की वेरिफिकेशन के पश्चात किए जाने थे, लेकिन सफाई ठेका कार्य शुरू हुए अढ़ाई वर्ष बीत जाने के बावजूद भी पीएमयू का गठन नहीं किया गया। जेबीएम कम्पनी जो भी बिल पकड़ाती, नगर निगम पानीपत और नगरपालिका समालखा हर माह उसका भुगतान बिना किसी जांच पड़ताल के कर देते। नतीजन करोड़ों रूपये हर माह भुगतान करने के बावजूद भी सफाई व्यवस्था का बुरा हाल है।

उन्होंने बताया कि जहां फरीदाबाद नगर निगम के पीएमयू ने सफाई कार्य करने वाली कम्पनी को 1.50 करोड़ से ज्यादा का जुर्माना लगाया, वहीं पानीपत नगर निगम ने एक रूपये का भी जुर्माना जेबीएम कम्पनी को नहीं लगाया। यहां पीएमयू गठित ही नहीं किया गया। कपूर ने बताया कि जेबीएम कम्पनी को ठेका देने से पहले स्वच्छता कार्य पर जो खर्च प्रतिमाह लाखों में होता था वह अब करोड़ों में हो रहा है। खट्टर सरकार द्वारा यह ठेका 22 वर्ष की लम्बी अवधि के लिए दिया जाना व नगर निगम सदन द्वारा ठेका रद्द के प्रस्ताव की फाइल निदेशालय से गायब हो जाना बड़े घोटाले का प्रमाण है।

ठेका रद्द करने के प्रस्ताव की फाइल निदेशालय से लापता
करोड़ों रूपये हर माह सफाई कार्य पर खर्च करने के बावजूद भी बदहाल सफाई व्यवस्था के कारण नगर निगम पार्षदों ने 4 जुलाई 2019 की हाउस मीटिंग में जेबीएम कम्पनी की सेवाएं रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया था। नगर निगम कमिश्नर ने 29 जुलाई 2019 के अपने पत्र द्वारा यह प्रस्ताव महानिदेशक शहरी स्थानीय निकाय को भेज कर कंपनी के विरूद्ध कार्रवाई की मांग की थी। 

कपूर द्वारा निदेशालय में 28 सितम्बर 2019 को इस बारे आरटीआई लगाई थी। इसके जवाब में शहरी निकाय निदेशालय के कार्यकारी अभियंता ने अपने 19 अगस्त 2020 के पत्र द्वारा निदेशालय के डीटीपी को बताया कि जेबीएम कम्पनी के विरूद्ध कमिश्नर नगर निगम द्वारा भेजे प्रस्ताव व पत्र ढूंढने पर भी नहीं मिल रहे। पूर्व मेयर भूपेन्द्र सिंह द्वारा जेबीएम कम्पनी कर्मियों को कूड़े के बजाए भवनों का मलबा ट्रालियों में भर घपला करते रंगे हाथों पकड़े जाने की शिकायत पर जांच उपरांत कमिश्नर ने शहरी निकाय महानिदेशक को कारवाई के लिए भेजा पत्र भी लापता हो चुका है। 

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प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू)
26 सितम्बर 2017 को हस्ताक्षरित टेंडर एग्रीमेंट की शर्तों के मुताबिक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) की देखरेख में यह प्रोजेक्ट चलेगा। इसका मुखिया एक स्वतंत्र विशेषज्ञ होगा जोकि कार्यकारी अभियंता स्तर का अधिकारी अथवा सिविल इंजीनियरिंग में डिग्रीधारक/पर्यावरण में मास्टर डिग्री धारक सहित सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट में पंद्रह वर्षीय अनुभव वाला एक बाहरी विशेषज्ञ होगा। इस प्रोजेक्ट में शामिल सभी नगर निकायों से कार्यकारी अधिकारी स्तर के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस पीएमयू द्वारा वेरिफाई व स्वीकृत शुदा बिलों के आधार पर ही कम्पनी को भुगतान किया जाएगा। 

मेयर व कमिश्नर कटघरे में
नगर निगम कमिश्नर व मेयर अवनीत कौर को जवाब देना चाहिए कि आज तक जेबीएम कम्पनी पर जुर्माना क्यों नहीं लगाया?, जेबीएम के सेवाएं खत्म करने का प्रस्ताव पारित करके सरकार को भेजने के बाद इस बारे क्या किया ?

खट्टर सरकार ने सीधे ठेका दिया
पानीपत नगर निगम व नगर पालिका से बिना पूछे ही खट्टर सरकार ने सीधे जेबीएम कम्पनी को 22 वर्ष की लंबी अवधि का ठेका दे दिया। इस खेल में नगर निकायों की भूमिका सिर्फ कम्पनी के भारी भरकम बिलों के भुगतान करने की है।

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