सड़क हादसों में होती हैं बच्चों की सबसे ज्यादा मौतें, आंकड़े जारी

Edited By Deepak Paul, Updated: 07 May, 2018 11:49 AM

road accidents occur in most children s deaths statistics continue

हिमाचल के नूरपुर स्कूल बस हादसे में 23 और उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में रेलवे क्रॉसिंग पर हादसे में 13 बच्चों की मौत ने असुरक्षित ड्राइविंग को एक बार फिर से फोकस में ला दिया है। गत दिनों चरखी दादरी में भी स्कूल बस हादसे में 3 बच्चों की जान चली...

चंडीगढ़(संजीव): हिमाचल के नूरपुर स्कूल बस हादसे में 23 और उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में रेलवे क्रॉसिंग पर हादसे में 13 बच्चों की मौत ने असुरक्षित ड्राइविंग को एक बार फिर से फोकस में ला दिया है। गत दिनों चरखी दादरी में भी स्कूल बस हादसे में 3 बच्चों की जान चली गई। देश में हर रोज सड़क दुर्घटनाओं में 29 बच्चों की जान जाती है, जिसमें अधिकतर स्कूली बच्चे होते हैं। राज्यों के हिसाब से हरियाणा का स्थान एक साल में 1,452 बच्चों की मौतों के साथ पहले नंबर पर है।

पंजाब दूसरे, चंडीगढ़ तीसरे व हिमाचल चौथे स्थान पर
अध्ययन में कुल 15,212 अप्राकृतिक मौतों का विश्लेषण किया गया, जिसमें 49 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाओं में हुई थीं। इनमें 10 फीसदी बच्चे थे। पड़ोसी राज्यों में बच्चों की मौतों के मामलों में हरियाणा के बाद 33 प्रतिशत के साथ पंजाब का स्थान दूसरे, चंडीगढ़ का 12 प्रतिशत के साथ तीसरे व हिमाचल का 10 प्रतिशत के साथ चौथे नंबर पर है।

1 साल में 10,622 बच्चे हुए दुर्घटना का शिकार
सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रयासरत संगठन ‘सेव लाइफ फाऊंडेशन’ के अनुसार वर्ष 2016 में 18 साल से कम उम्र के बच्चों की देश में 10,622 मौतें हुईं, जोकि दुर्घटना संबंधी कुल मौतों का 7 प्रतिशत थीं यानी 29 मौतें प्रतिदिन। गत दिवस दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि एक साल में 1,452 बच्चों की मौतों के साथ हरियाणा पहले और उत्तर प्रदेश 1,393 मौतों के साथ दूसरे स्थान पर है।

हादसों का शिकार ज्यादातर बच्चे ग्रामीण परिवेश के
पी.जी.आई. में आने वाले सड़क दुर्घटना संबंधी मामलों पर किए गए एक अध्ययन में हरियाणा से आने वाले केसों की संख्या सबसे ज्यादा पाई गई। यह अध्ययन फॉरैंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट ने 1974 से 2013 के बीच आए मामलों को लेकर किया, जिसमें हरियाणा के बच्चों की मौतों का प्रतिशत 37 था जो पड़ोसी राज्यों के मुकाबले बहुत ज्यादा था। अध्ययन में पाया गया कि अधिकतर पैदल चलने वाले थे। जो बच्चे शिकार बने उनमें ज्यादातर ग्रामीण परिवेश से थे और अधिकतर मौतें दिन में हुई दुर्घटनाओं की थीं। मौतों का प्रमुख कारण सिर में चोट लगना पाया गया। इनमें से 3 फीसदी थ्री-व्हीलर सवार, 10 प्रतिशत कार सवार, 6 प्रतिशत बस सवार, 48 प्रतिशत पैदल यात्री और 33 फीसदी दोपहिया वाहन चालक शामिल थे।

सड़क सुरक्षा संबंधी जानकारी पाठ्यक्रम में शामिल की जाए
अध्ययन में कहा गया कि यदि मृत्यु दर को नीचे लाना है तो सड़क सुरक्षा संबंधी जानकारियों को बच्चों के पाठ्यक्रम का अंग बनाया जाए। जो बच्चे साइकिल चलाते हैं उनके लिए हैल्मेट को आवश्यक बनाया जाए।

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