रिपोर्ट में खुलासा, नशा तस्करों के टारगेट पर 10 से 19 वर्ष तक के बच्चें

Edited By Isha, Updated: 29 Jun, 2019 01:42 PM

report reveals children from 10 to 19 years on the target of smugglers smuggled

जिले में नशा दिनों-दिन अपने पैर पसारता जा रहा है, जिसका पहला शिकार स्कूली छात्र बन रहे हैं। बेशक शुरू छोटे नशे से हो रहे हैं लेकिन वो आगे कहां तक जाएंगे, शायद ये बताने की जरूरत नहीं। यही वजह है कि शहर के मनोचिकित्सकों के

रोहतक (किन्हा): पास एडिक्शन के मामलों में 10 से 19 साल के बच्चों की गिनती बढ़ रही है।  एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि साल 2016 से लेकर 2018 तक करीब 268 बज्जे इलाज के लिए मनोचिकित्सकों के पास पहुंचे हैं। इन बज्जों की उम्र 10 साल से 19 साल तक की है। शहर की नामी-गिरामी शिक्षण संस्थानों के 10 से 19 वर्ष तक के कई छात्र सिगरेट, गुटखा, पान मसाला यहां तक की बोनफिक्स, वाइटनर व चरस जैसी नशीली चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

यह नजारा किसी एक स्कूल का नहीं बल्कि अमूमन सारे ही निजी शिक्षण संस्थानों का है। जहां लंच व छुट्टी के बाद इन छात्रों को पान दुकानों, अथवा किसी करियाने की दुकानों में देखा जा सकता है। ऐसा ही एक नजारा एक निजी स्थान में दिखा। जहां 20 से 25 नवयुवा छात्र सिगरेट का कश लगाते पाए गए। एक निजी स्कूल का यूनिफॉर्म पहने गाडिय़ों में घूमते ये छात्र तकरीबन 6 बजे सिगरेट, गुटखा यहां तक की वाइटनर का नशा करते पाए गए।

क्या है इनहेलेंट नशा
इनहेलेंट नशा के तहत व्यक्ति नाक या मुंह के माध्यम से पेंट, गम, सॉल्युशन, बोनफिक्स, सनफिक्स को सांस के द्वारा लेता है। इनहेलेंट तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है और डोपामइन के स्तर में वृद्धि होती है जिससे बहुत खुशी व संतुष्टि प्राप्त होती है। ऐसे नशे के आदी बच्चों को हर्ट व लंस से सम्बन्धित बीमारी होने की अधिक संभावना होती है। इनहेलेंट नशे के आदी बच्चों में धड़कन बढऩे, पेट में दर्द होने, उल्टी होने, पसीना आने, कमजोरी होने, उदासी आने की शिकायत होती है।

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