अदालत में फाइल की जाने वाली रिप्लाई की ई-वेटिंग प्रणाली शुरू

Edited By Updated: 22 Mar, 2017 08:51 PM

replayy e waiting  to be filmed in court

हरियाणा अदालत में फाइल की जाने वाली रिप्लाई की ई-वेटिंग प्रणाली शुरू  करने के साथ-साथ आनलाईन कस्टडी सर्टिफिकेट्स सृजित कर वितरित करने वाला देश का पहला राज्य...

चंडीगढ़:हरियाणा अदालत में फाइल की जाने वाली रिप्लाई की ई-वेटिंग प्रणाली शुरू  करने के साथ-साथ आनलाईन कस्टडी सर्टिफिकेट्स सृजित कर वितरित करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। प्रदेश ने ‘ई-वेटिंग’ और ‘ई-कस्टडी’ ऑनलाईन सॉफ्टवेयर का शुभारंभ किया है, जो रिप्लाई वेटिंग और सम्बंधित विभागों को कस्टडी सर्टिफिकेट्स वितरित करने में होने वाली अनावश्यक देरी में कमी लाने में न केवल सहायता करेगा बल्कि इसके परिणामस्वरूप समय, यात्रा और धन में बचत होगी। 


पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, न्यायामूर्ति शिवाक्श जे. वजीफदार द्वारा बुधवार को चंडीगढ़ में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की कम्प्यूटर कमेटी के चैयरमैन न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, अन्य न्यायाधीशों, महाधिवक्ता बलदेव राज महाजन, लॉ आफिसर और अधिवक्ताओं की उपस्थिति में ‘ई-वेटिंग’ और ‘ई-कस्टडी ऑनलाईन सॉफ्टवेयर का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर बलदेव राज महाजन ने ऑनलाईन सॉफ्टवेयर की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि ‘ ई-वेटिंग प्रणाली’ को महाधिवक्ता कार्यालय और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की गई। प्रथम चरण में इस प्रणाली को पुलिस और जेल विभागों में क्रियान्वित किया जाएगा। इसके सफल क्रियान्वयन के उपरांत इस नई ऑनलाईन प्रणाली, जो धन और समय दोनों की बचत करने वाली है, को अन्य विभागों में क्रियान्वित किया जाएगा। 

 

सम्बंधित अधिकारियों को बिना किसी देरी के समय पर रिप्लाई या ऑनलाईन शपथ-पत्र दायर करवाने में सहायता प्रदान करने हेतु ई-वेटिंग प्रणाली को डिजाइन किया गया। इसके क्रियान्वयन के उपरांत नोडल अधिकारी यूजन आईडी और पासवर्ड के साथ लॉगईन करके पीडीएफ फॉरमेट में वेटिंग के उपरांत अपनी रिप्लाई अपलोड करेंगे, जिसे सम्बंधित लॉ अधिकारियों द्वारा वेट किया जाएगा और उसे अदालत में फाइल किया जाएगा। इसे एसएमएस और ई-मेल अलर्ट के साथ भी जोड़ा जाएगा। महाधिवक्ता के कार्यालय में प्रति वर्ष रिप्लाई वेट करवाने के लिए लगभग 21000 अधिकारी/कर्मचारी आते हैं। इस ऑनलाईन प्रणाली के क्रियान्वयन के उपरांत ये दौरे 80 प्रतिशत तक कम हो जाएंगे, जिससे 85 लाख रुपये से अधिक की राशि का वार्षिक खर्च कम होगा। उन्होंने कहा कि इस ‘ई-कस्टडी’ प्रणाली को जेल विभाग द्वारा इनवेडर टैक्नोलोजिस प्राईवेट लिमिटेड के सहयोग से डिजाइन किया गया है। प्रथम चरण में इस प्रणाली को भौंडसी जेल, गुरुग्राम में पॉयलट परियोजना के रूप में लागू किया जा रहा है। बाद में दूसरे चरण के दौरान इसे प्रदेश की अन्य जेलों में भी लागू किया जाएगा। 
 

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