री-इम्प्लायमैंट योग्य कर्मियों की प्रोमोशन पर डालता है असर:HC

Edited By Updated: 21 May, 2017 08:46 AM

reimplementation puts on the promotion of qualified personnel hc

‘री-इम्प्लायमैंट के लिए जनहित का कारण सिर्फ इस पर निर्भर नहीं रह सकता कि कोई विशेष अधिकारी काम में दक्षता रखता है, बल्कि

चंडीगढ़ (बृजेन्द्र):‘री-इम्प्लायमैंट के लिए जनहित का कारण सिर्फ इस पर निर्भर नहीं रह सकता कि कोई विशेष अधिकारी काम में दक्षता रखता है, बल्कि उसमें वह घटक होना चाहिए कि कोई ऐसा अधिकारी नहीं है तो वह काम कर सकता है। वहीं जब किसी कर्मी को री-इम्प्लायमैंट दी जाती है तो योग्य कर्मियों के प्रोमोशन के आसार और ताजा नियुक्तियों की कुर्बानी दी जाती है।

ऐसे में यह (री-इम्प्लायमैंट) सिर्फ असाधारण परिस्थितियों में ही होनी चाहिए।’ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस अजय तिवारी ने हरियाणा सरकार के इंजीनियरिंग डिपार्टमैंट में तैनात लगभग आधा दर्जन कर्मियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस टिप्पणी के साथ ही रोहतक में पी.डब्ल्यू.डी. में सुपरिटैंडैंट इंजीनियर प्रदीप रंजन की री-इम्प्लायमैंट पर स्टे लगा दी है। याची पक्ष ने पी.डब्ल्यू.डी. चंडीगढ़ में लगाए गए चीफ इंजीनियर अनूप चावला, करनाल में सुपरिटैंडैंट इंजीनियर रमेश गोयल और रोहतक में पी.डब्ल्यू.डी. में सुपरिटैंडैंट इंजीनियर प्रदीप रंजन की नियुक्ति को चुनौती दी है। केस की अगली सुनवाई 13 जुलाई को होगी। 

दरअसल प्रदीप रंजन ने एक नोटिंग के आधार पर बताया था कि मंत्री ने सिफारिश की थी कि उनके चुनावी क्षेत्र में कुछ करोड़ रुपए का काम लंबित था और उन्होंने महान दक्षता दिखाई थी। ऐसे में उनके नाम की री-इम्प्लायमैंट के लिए सिफारिश की गई थी। हाईकोर्ट ने प्रदीप रंजन के 29 अप्रैल, 2016 के री-इम्प्लायमैंट के आदेशों पर यह स्टे लगाई है। 
 

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