प्रशासन के लिए आफत बने यूपी, बिहार के सिफारिशी फोन

Edited By Isha, Updated: 05 Apr, 2020 11:45 AM

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लॉक डाउन के कारण प्रवासी श्रमिकों व गरीबी समुदाय के लोगों के लिए भोजन भी एक बड़ी समस्या बन गई है। हालांकि प्रशासन व सामाजिक संस्थाएं ..........

फरीदाबाद (महावीर गोयल) : लॉक डाउन के कारण प्रवासी श्रमिकों व गरीबी समुदाय के लोगों के लिए भोजन भी एक बड़ी समस्या बन गई है। हालांकि प्रशासन व सामाजिक संस्थाएं मिलकर हर व्यक्ति तक भोजन पहुंचाने में जुटे हुए हैं लेकिन इसके बावजूद शासन व प्रशासन के लिए उत्तरप्रदेश, बिहार व झारखंड से प्रवासी मजदूरों के लिए आने वाले सिफारिशी फोन परेशानी बने हुए हैं।

प्रतिदिन प्रवासी मजदूरों के लिए आने वाले सिफारिशी फोन न केवल प्रशासनिक अधिकारियों के पास आ रहे हैं बल्कि विधायकों व सांसद के पास भी इनकी सिफारिश फोन के माध्यम से पहुंच रही है। प्रशासन की समस्या यह है कि उत्तरप्रदेश, झारखंड व बिहार से आने वाले सिफारिशी फोन के आधार पर जब वहां राशन भिजवाया जाता है तो पता चलता  है कि पहले से ही उनके पास काफी दिनों का राशन मौजूद है। ऐसे में प्रशासन का समय खराब होने के साथ-साथ ध्यान भी भटक रहा है।

हाल ही में हुई जनप्रतिनिधियों व प्रशासन की समीक्षा व एक्शन प्लान बैठक में भी यह मुद्दा प्रमुखता से छाया रहा। जिला उपायुक्त यशपाल यादव के साथ-साथ बडख़ल विधानसभा क्षेत्र के विधायक सीमा त्रिखा, विधायक नयनपाल रावत व विधायक नरेंद्र गुप्ता के पास इस प्रकार के सिफारिशी फोन लगातार आ रहे हैं। बैठक में इस बात का कई बार जिक्र किया गया। इतना ही नहीं कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा ने भी यह पीड़ा व्यक्त की कि उनके पास भी इस प्रकार के फोन आते हैं और जब वहां सहायता भिजवाई जाती है तो परिस्थितियां बिल्कुल विपरीत मिलती है। इस प्रकार के सिफारिशी फोन को लेकर अब प्रशासन ने कार्रवाई का मन बनाया है। 

गलत जानकारी पर होगी एफआईआर :
प्रवासी मजदूरों को लेकर उत्तरप्रदेश, बिहार व झारखंड से आने वाले सिफारिशी फोन को ध्यान में रखतेे हुए अब प्रशासन ने तय किया है कि यदि कोई व्यक्ति गलत जानकारी देकर भोजन या राशन जुटाने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। यह सूचना प्रशासन ने लोक संपर्क विभाग के माध्यम से स्लम क्षेत्र में देने की योजना बनाई है। दरअसल, उक्त प्रदेशों से प्रवासी श्रमिकों के लिए आने वाले सिफारिशी फोन को नजरअंदाज भी  नहीं किया जा सकता क्योंकि उनके लिए फोन करने वाले कोई साधारण व्यक्ति नहीं बल्कि उस प्रदेश के विधायक, सांसद व मंत्री हैं। इतना ही नहीं कई अधिकारी भी प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन और राशन की सिफारिश के लिए फोन कर रहे हैं। ऐसे में प्रशासन का मानना है कि जब गुमराह करने वाले लोग कार्रवाई से डरकर शांत हो जाएंगे तो जरूरमंद तक सहायता पहुंच जाएगी। 

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