गरीबों के प्लाटों पर बना डाले 22 शोरूम, मिलीभगत में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की सिफारिश

Edited By Shivam, Updated: 09 Dec, 2019 10:36 PM

recommend action against officials involved in collusion

पानीपत 9 सैक्टर-11 में करोड़ों रूपये की भूमि पर अवैध कब्जे हटवाने में लापरवाही का दोषी पाते हुए लोकायुक्त जस्टिस एनके अग्रवाल ने सरकार को पानीपत के तत्कालीन डीसी समीर पाल सरो, तत्कालीन चीफ एडमिनिस्ट्रेटर एचएसवीपी, एडमिनिस्ट्रेटर रोहतक, पानीपत के...

पानीपत/ चंडीगढ़ (धरणी): पानीपत 9 सैक्टर-11 में करोड़ों रूपये की भूमि पर अवैध कब्जे हटवाने में लापरवाही का दोषी पाते हुए लोकायुक्त जस्टिस एनके अग्रवाल ने सरकार को पानीपत के तत्कालीन डीसी समीर पाल सरो, तत्कालीन चीफ एडमिनिस्ट्रेटर एचएसवीपी, एडमिनिस्ट्रेटर रोहतक, पानीपत के एस्टेट ऑफिसर विकास ढांडा व दीपक घनघस के विरूद्ध विभागीय व दंडात्मक कार्यवाही करने की सिफारिश की है। लोकायुक्त ने सरकार से की गई कार्यवाही बारे 3 महीने में रिपोर्ट भी तलब की है।

ये है मामला
आरटीआई एक्टिविस्ट कामरेड पीपी कपूर ने लोकायुक्त को 4 जुलाई 2016 को शिकायत दी थी। शिकायत में आरोप लगाया था कि सैक्टर-11 में गरीबो के लिए आरक्षित 15 आवासीय प्लाटों पर हैदराबादी शमशान भूमि समिति के दबंगों ने जबरन कब्जा करके 22 शोरूम बना दिए हैं। आरोप था कि इन दंबग कब्जाधारियों को स्थानीय विधायक रोहिता रेवड़ी का पूरा संरक्षण प्राप्त था। इसी कारण एचएसवीपी के एस्टेट आफिसर ने यह अवैध कब्जे होने दिए। 

शिकायत होने पर एचएसवीपी के एस्टेट आफिसर ने 3 फरवरी 2016 व 22 जुलाई 2016 को तत्कालीन डीसी समीर पाल सरो से इन अवैध कब्जों को गिराने के लिए पुलिस फोर्स देने के लिए पत्र लिखे थे। परंतु तत्कालीन डीसी समीरपाल सरो ने राजनैतिक दबाव के चलते पुलिस फोर्स की अनुमति नहीं दी। 

एचएसवीपी के उच्च अधिकारियों की कार्यप्रणाली से लोकायुक्त हैरान
लोकायुक्त जस्टिस एनके अग्रवाल ने गत 20 नवम्बर 2019 को सरकार को भेजी अपनी जांच रिपोर्ट में दोषी पाए गए अधिकारियों के विरूद्ध सख्त टिप्पणी की है। लोकायुक्त ने रिपोर्ट मेें कहा कि ये हैरानी की बात है कि एचएसवीपी के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर ने इन अवैध कब्जों को गिराने व प्रशासक एचएसवीपी रोहतक सहित सभी दोषी अधिकारियों के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही करने के बजाए प्रशासक एचएसवीपी रोहतक की अध्यक्षता में चीफ टाऊन प्लानर व सुपरीडैंट (अर्बन ब्रांच) एचएसवीपी पंचकूला की एक कमेटी गठित कर दी। 

इस उच्चस्तरीय कमेटी ने अपनी 5 जुलाई 2018 की रिपोर्ट में एडमिनिस्टे्रटर रोहतक को 2 दिन में हैदराबादी शमशान भूमि ट्रस्ट को यह भूमि अलॉट करने बारे प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए। लोकायुक्त रजिस्ट्रार एमएस सुल्लर ने अपनी 9 जनवरी 2019 की जांच रिपोर्ट में एचएसवीपी के इन सभी अधिकारियों की अवैध कब्जाधारियों से मिलीभगत होना पाया था। इतना ही नहीं इन अवैध कब्जों को गिराने व दोषी कर्मचारियों पर कार्यवाही की बार बार रिपोर्ट मांगने पर तत्कालीन चीफ एडमिनिस्ट्रेटर ने लोकायुक्त रजिस्ट्रार को कोई जवाब तक नहीं दिया। तत्कालीन डीसी समीरपाल सरो ने इन अवैध कब्जो को गिराने के लिए पुलिस बल की अनुमति नहीं दी।
 

तत्कालीन डीसी समीरपाल सरो के विरूद्ध लोकायुक्त का तीसरा फैसला
गौरतलब है कि लोकायुक्त की जांच में दोषी पाए जाने के उपरांत पानीपत के तत्कालीन डीसी समीरपाल सरो के विरूद्ध लोकायुक्त द्वारा सरकार को कार्यवाही करने के लिए की गई सिफरिश का यह तीसरा केस है। आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने बताया कि इससे पहले उनकी शिकायत पर लोकायुक्त जस्टिस एनके अग्रवाल ने तत्कालीन डीसी समीरपाल सरो सहित 5 आईएस के विरूद्ध अम्बाला मनरेगा घोटाला में भ्रष्टाचार की धाराओं में मुकद्दमा दर्ज करने की सिफारिश की थी। 

इसी तरह मॉडल टाऊन पानीपत के आवासीय क्षेत्र में अवैध शॉपिंग मॉल निर्माण के मामले में भी लोकायुक्त ने तत्कालीन डीसी समीर पाल सरो व एडीसी आरएस वर्मा सहित नगर निगम पानीपत के 4 अधिकारियों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की सिफारिश सरकार को कर रखी है।

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