हजकां की कमी पूरी करने को तैयार ‘आप’

Edited By Deepak Paul, Updated: 24 Jun, 2018 11:27 AM

ready to complete the hazak shortage

प्रदेश में गत लोकसभा चुनाव में 5 प्रमुख पार्टियां मैदान में थीं। कुलदीप बिश्नोई की हरियाणा जनहित कांग्रेस पार्टी का अस्तित्व खत्म होने के बाद 4 पार्टियां ही बची थीं लेकिन के

अम्बाला(वत्स): प्रदेश में गत लोकसभा चुनाव में 5 प्रमुख पार्टियां मैदान में थीं। कुलदीप बिश्नोई की हरियाणा जनहित कांग्रेस पार्टी का अस्तित्व खत्म होने के बाद 4 पार्टियां ही बची थीं लेकिन केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की प्रदेश में सक्रियता ने फिर से प्रमुख पार्टियों की संख्या 5 कर दी है। यह 5वीं पार्टी आखिर किस प्रमुख पार्टी का गणित खराब करेगी, इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का बाजार गर्म होने लगा है।

केजरीवाल प्रदेश के राजनीतिक हालात पर लगातार नजर रखे हुए हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में हजकां और भाजपा का गठबंधन था। मोदी लहर के चलते भाजपा ने गठबंधन के साथी कुलदीप बिश्नोई को सिर्फ 2 सीटें दी थीं। 8 पर भाजपा ने अपने प्रत्याशी उतारे थे। कुलदीप दोनों सीटें हार गए थे। भाजपा के 7 प्रत्याशी लोकसभा पहुंचे थे। रोहतक से भाजपा के ओमप्रकाश धनखड़ चुनाव हार गए थे। उसके बाकी सभी प्रत्याशी जीत हासिल करने में कामयाब हो गए थे। भाजपा को पूरे प्रदेश में औसत 34.7 फीसदी वोट मिले थे।

 हजकां ने बसपा से अच्छा प्रदर्शन करते हुए 6.1 फीसदी वोट हासिल किए थे। बाद में हजकां ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ दिया था। इस समय कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। उनकी पार्टी का वजूद भी खत्म हो चुका है। अभी तक प्रदेश में भाजपा, कांग्रेस, इनेलो और बसपा ही प्रमुख दलों के रूप में मौजूद हैं। केजरीवाल की हरियाणा में सभी सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा के बाद प्रमुख दलों की संख्या एक बार फिर 5 हो गई है। आम आदमी पार्टी प्रदेश में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए पूरा जोर लगा रही है। 

कांग्रेस को प्रदेश में लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा नुक्सान हुआ था। वह 9 से सीधे 1 सीट पर पा आ गई थी। उसका वोट प्रतिशत गिरकर 22.9 पर आ गया था। इस बार आम आदमी पार्टी प्रदेश में कई पाॢटयों का समीकरण बिगाडऩे को तैयार है। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नवीन जयङ्क्षहद ने प्रदेश में पार्टी को मजबूत बनाने के लिए पूरा जोर लगाया हुआ है। हालांकि अभी तक प्रदेश में राजनीतिक हालात ऐसे नजर नहीं आ रहे जिनसे यह लगे कि आम आदमी पार्टी अपने दम पर सरकार बना पाएगी। अभी तो स्थिति यह है कि वह दूसरे दलों के वोट तोडऩे का काम कर सकती है।

उसके निशाने पर फिलहाल कांग्रेस, भाजपा व इनेलो हैं। गत दिनों केजरीवाल के निशाने पर इनेलो कम और कांग्रेस व भाजपा ज्यादा रही थीं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार आम आदमी पार्टी प्रदेश में सत्ता का सुख चखने के लिए किसी दल के साथ गठबंधन भी कर सकती है। दूसरी ओर भाजपा इस बार सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने जा रही है। अगर पार्टी के पक्ष में हवा नहीं बन पाती है तो वह भी गठबंधन का रास्ता अपना सकती है।

इनेलो को मिलेगा 4.6 फीसदी का फायदा
पिछले लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी। हालांकि उसे किसी भी सीट पर सफलता हाथ नहीं लगी परंतु वह प्रदेश में 4.6 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब रही थी। अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों में कई जगह उसका मत प्रतिशत ज्यादा भी रहा। इस बार इनेलो के साथ उसका गठबंधन हो चुका है। अगर यह गठबंधन बरकरार रहा तो बसपा के वोट प्रतिशत का फायदा इनैलो को मिल जाएगा। हजकां का वोट प्रतिशत कांग्रेस की ओर टर्न करेगा। भाजपा ने सभी सीटों पर जीत हासिल करने के लिए अभी से एक्सरसाइज शुरू कर दी है। इनैलो ने बिजली बिल माफी और नहरी पानी के मुद्दे पर फिलहाल भाजपा सरकार को घेरा हुआ है। 

नवीन जयहिंद, प्रदेशाध्यक्ष, आप। 
हम किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। सभी सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेंगे। प्रदेश में अगली सरकार हमारी होगी।

सुभाष बराला, प्रदेशाध्यक्ष, भाजपा। 
सपने देखना कोई बुरी बात नहीं है। प्रदेश में आम आदमी पार्टी का कोई वजूद नहीं है। उसके प्रत्याशी जमानत तक नहीं बचा पाएंगे।

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