स्कूलों में शिक्षकों का अनुपात कम, बिना प्रधानाचार्यों के चल रहे 67 स्कूल

Edited By Isha, Updated: 06 Dec, 2019 01:05 PM

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जिला कैथल के स्कूलों में बच्चे तो हैं, लेकिन पर्याप्त मात्रा में शिक्षकों व मुखियाओं का अभाव होने के चलते पूर्ण साक्षरता का सपना पूर्ण होता दिखाई नहीं दे रहा। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय......

गुहला/चीका (पंकेस/अजय) : जिला कैथल के स्कूलों में बच्चे तो हैं, लेकिन पर्याप्त मात्रा में शिक्षकों व मुखियाओं का अभाव होने के चलते पूर्ण साक्षरता का सपना पूर्ण होता दिखाई नहीं दे रहा। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला में 109 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य के कुल स्वीकृत पद 109 हैं, जिनमें से केवल 42 पदों पर ही प्रधानाचार्यों की नियुक्ति है। 67 स्कूलों में इस समय बिना प्रधानाचार्यों के  ही कार्य चल रहा है।

41 हाई स्कूलों में से केवल चार में ही मुख्याध्यापक कार्यरत हैं, 37 स्कूल बिना मुख्याध्यापकों के ही चल रहे हैं।224 मिडल स्कूलों में से केवल 143 स्कूलों में नियमित मौलिक मुख्याध्यापक कार्यरत हैं, 81 पद बिलकुल रिक्त हैं। प्राथमिक स्कूलों में 148 मुख्यशिक्षकों के पदों में से केवल 115 भरे हुए हैं ओर 33 पद अभी भी रिक्त पड़े हुए हैं। प्राथमिक विद्यालयों में 1896 जे.बी.टी. के पद स्वीकृत हैं जिनमें से 82 रिक्त पड़े हैं। प्राध्यपकों के 1926 स्वीकृत पदों में से केवल 1214 पर ही प्राध्यापक कार्यरत हैं 712 पद रिक्त पड़े हैं।

टी. जी.टी. व सी एंड वी के 1584 स्वीकृत पदों में से 270 पद अभी भी रिक्त पड़े हैं। यह हाल आज से नही बल्कि वर्षों से चला आ रहा है, विभाग व सरकार की उदासीनता के परिणाम स्वरूप संपूर्ण शिक्षा का सपना सफल होता दिखाई नहीं दे रहा। जिस विभाग में मुखियाओं के ही सैंकड़ों पद रिक्त पड़े हो उस विभाग का प्रशासन किस प्रकार से चल रहा है, यह तो विभाग ही बता सकता है। ऊपर से सरकार की नित नई योजनाओं के तहत शिक्षा का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता ही जा रहा है।

इस सबके लिए जिम्मेदार किसी एक को नहीं ठहराया जा सकता। अपनी गलतियों को छुपाने के लिए विभाग नित नए कार्यक्रम देकर कार्यरत शिक्षकों को शिक्षा देने के अधिकार से भी वंचित कर देता है। परीक्षाओं के दिनों के नजदीक कभी निष्ठा कार्यक्रम के तहत अध्यापकों के प्रशिक्षण शिविर तो कभी सक्षम व सक्षम प्लस के नाम पर विभिन्न बैठकों का लगातार आयोजन होता रहा है। जिसकी वजह से शिक्षक स्कूलों से अधिकतर समय बाहर रहे हैं। 

शिक्षकों पर शिक्षा के अलावा गैर शैक्षिणक कार्यों का बोझ भी कम नहीं है जिसका सीधा असर बच्चों के भविष्य पर पड़ता है। मिड-डे मील योजना इनमें से एक ऐसी योजना है, जिसकी वजह से शिक्षकों की कार्यशैली पर बहुत हद तक प्रभाव पड़ता है।  

शीघ्र ही रिक्त पदों पर नियुक्तियों की उम्मीद  : सिरोही
कैथल के  जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी शमशेर सिंह सिरोही ने कहा कि रिक्त पदों को भरने के लिए विभाग व सरकार की तरफ से ही निर्णय लिया जाता है। समय-समय पर पदोन्नति द्वारा व सीधी भर्ती द्वारा रिक्त पदों को भरा जाता है, यह प्रक्रिया अभी भी जारी है व शीघ्र ही रिक्त पदों पर नियुक्तियों की उम्मीद है।  

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