शराब माफिया व खट्टर सरकार का गठजोड़ एसईटी रिपोर्ट से हुआ ‘उजागर’: कांग्रेस

Edited By Shivam, Updated: 07 Aug, 2020 06:27 PM

randeep singh surjewal and selja congress on set report

लॉकडाउन के दौरान हरियाणा में उजागर हुए शराब घोटाले की जांच के गठित एसईटी की रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस ने खट्टर सरकार पर निशाना साधा। हरियाणा कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्षा कुमारी सैलजा व कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ऑनलाइन...

चंडीगढ़ (धरणी): लॉकडाउन के दौरान हरियाणा में उजागर हुए शराब घोटाले की जांच के गठित एसईटी की रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस ने खट्टर सरकार पर निशाना साधा। हरियाणा कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्षा कुमारी सैलजा व कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ऑनलाइन प्रेस कांफ्रेंस की, इस दौरान उन्होंने खट्टर सरकार पर जमकर निशाना साधा।

कांग्रेस ने कहा कि कोरोना महामारी में लॉकडाऊन के दौरान हरियाणा प्रदेश में खुलेआम ‘शराब घोटाला’ हुआ और चोर दरवाजे से औने-पौने दाम पर शराब की बेहिसाब बिक्री व तस्करी हुई। शराब माफिया के तार सीधे सीधे उच्च पदों पर बैठे राजनीतिज्ञों तथा आला अधिकारियों से जुड़े थे। कांग्रेस पार्टी तथा जागरुक पत्रकारों-नागरिकों द्वारा शराब माफिया व खट्टर सरकार के गठजोड़ बारे सवाल उठाने पर स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन हुआ, पर मुख्यमंत्री खट्टर ने आनन फानन में 11 मई, 2020 को एसआईटी को खारिज कर ‘स्पेशल इंक्वायरी टीम’ (एसईटी) का गठन कर दिया। कमाल की बात यह है कि इस एसईटी को ‘इन्वेस्टिगेशन’ यानि तफ्तीश का अधिकार ही नहीं था और न ही कानूनी वैधता थी। अब एसईटी ने 30 जुलाई, 2020 को ‘आधी-अधूरी’ जाँच रिपोर्ट दी, पर इसमें भी घोटाला उजागर हो गया।

कांग्रेस ने कहा कि एक बात साफ है - ‘ऑपरेशन कवरअप’ के तहत अब एसईटी की जाँच के ऊपर एक और ‘विजिलैंस जाँच’ बिठाई जाएगी। यानि जाँच पर जाँच पर जाँच, और नतीजा वही ‘ढाक के तीन पात’। मतलब किसी तरह, किसी प्रकार से व किसी भी हालत में सरकार में बैठे बड़े-बड़े रसूखदारों-गुनाहगारों तक आँच न आए और शराब माफिया तथा उच्च पदों पर बैठे राजनीतिज्ञों व आला अफसरों के गठजोड़ पर पर्दा डाल दिया जाय।

सुरजेवाला और सैलजा ने कहा कि फिर भी ‘स्पेशल इंक्वायरी टीम’ (स्श्वञ्ज) की रिपोर्ट से 10 चौंकानेवाले तथ्य सामने आए हैं, जो इस प्रकार हैं:-

1. एसईटी ने अपनी रिपोर्ट के शुरू में ही स्वीकारा (पेज 3-चैप्टर 2, एसईटी रिपोर्ट) कि उसे ‘इन्वेस्टिगेशन’ यानि तफ्तीश का कोई अधिकार नहीं दिया गया। यानि न वो रिकॉर्ड खंगाल सकते थे, न गोदाम और डिस्टलरीज की जाँच कर सकते थे, न कागजात जब्त कर सकते थे, न मुकदमा दर्ज कर सकते थे और न ही क्रिमिनल प्रोसीज़र कोड, 1973 की धारा 2 (॥) व 2 (ह्र) में अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते थे।  

2. एसईटी ने यह निष्कर्ष निकाला है कि 01 अप्रैल, 2019 से 10 मई, 2020 के बीच हरियाणा में जमकर नाजायज शराब की बिक्री हुई (चैप्टर 5, प्वाईंट 1, पेज 24, एसईटी रिपोर्ट) ।  

3. एसईटी ने स्वीकारा कि लॉकडाऊन की अवधि में पुराने सालों का शराब का स्टॉक भी बेच डाला गया (चैप्टर 5, प्वाईंट 1, पेज 24, स्श्वञ्ज रिपोर्ट)।  

4. एसईटी ने स्वीकारा कि लॉकडाऊन की अवधि में शराब के ठेकों के नज़दीक शराब के स्टोर से निकालकर खुलेआम शराब बेची गई (चैप्टर 5, प्वाईंट 1, पेज 24, एसईटी रिपोर्ट)।

5. एसईटी ने स्वीकारा कि लॉकडाऊन की अवधि में शराब की बिक्री पर रोक लगाने तथा शराब के ठेके बंद होने के बावजूद भी एक्साईज टैक्सेशन विभाग ने खुलकर शराब की ट्रांसपोर्टेशन के परमिट व पास जारी किए (चैप्टर 5, पैरा 8, पेज 31, एसईटी रिपोर्ट)। साफ है कि शराब माफिया द्वारा सरकार की मिलीभगत से शराब की तस्करी और बिक्री का खुला खेल खेला गया।

6. एसईटी ने स्वीकारा कि लॉकडाऊन की अवधि में भी 01 अप्रैल, 2020 से 05 मई, 2020 के बीच हरियाणा स्थित शराब की तीन फैक्ट्रियां शराब बनाती रहीं, पर न जाने किन कारणों से स्श्वञ्ज ने इन फैक्ट्रियों की जाँच करने से लिखित तौर से इंकार कर दिया (चैप्टर 5, प्वाईंट 8, पेज 33-34, एसईटी रिपोर्ट)।

7. स्श्वञ्ज ने स्वीकारा कि हरियाणा की एक और शराब फैक्ट्री ‘एनवी डिस्टलरी’ शराब तस्करी में संलिप्त पाई गई, परंतु एक्साईज़ टैक्सेशन विभाग ने न खुद इसकी जाँच की और न ही एसईटी को एनवी डिस्टलरी में जाकर जाँच करने की इजाजत दी (चैप्टर 5, पैरा 9, पेज 37-38, एसईटी रिपोर्ट)।

8. एसईटी ने स्वीकारा कि लॉकडाऊन की अवधि में नाजायज शराब की बिक्री बारे ‘प्रांत में हजारों एफआईआर दर्ज हुईं’ (चैप्टर 5, पैरा 9, पेज 35, एसईटी रिपोर्ट)।  

9. स्श्वञ्ज ने स्वीकारा कि लॉकडाऊन की अवधि में एक्साईज एंड टैक्सेशन विभाग तथा डिप्टी कमिश्नर्स की टीम की जाँच के बाद कुल कितनी शराब की बोतलें स्टॉक में कम पाई गईं या फिर कितनी ‘दो नंबर की शराब’ अतिरिक्त पाई गई, बारे पूरी जानकारी एसईटी को उपलब्ध ही नहीं कराई गई (चैप्टर 5, प्वाईंट 9, पेज 32-33, एसईटी रिपोर्ट)। जबकि डिप्टी कमिश्नर व एक्साईज टैक्सेशन विभाग की जाँच में यह सामने आया कि लॉकडाऊन में 1 करोड़ बोतलों की ‘शॉर्टेज’ यानि तस्करी पाई गई व 19 लाख बोतलें ‘एक्सेस’ अर्थात् दो नंबर की शराब पाई गई। फिर यह जानकारी एसईटी को क्यों नहीं दी गई।

10. एसईटी ने स्वीकारा कि खरखौदा, सोनिपत की शराब तस्करी के केस में तथाकथित शराब तस्कर भूपेंद्र को हरियाणा पुलिस द्वारा गनमैन व आम्र्स लाईसेंस दिए गए थे (चैप्टर 3ए, प्वाईंट 3, 5 एवं 8, पेज 18-19, एसईटी रिपोर्ट)।

सुरजेवाला ने कहा कि एसईटी की रिपोर्ट के इन 10 बिंदुओं से शराब माफिया और खट्टर सरकार का गठजोड़ साफ है। इसीलिए अब एसईटी की जाँच के ऊपर एक और विजिलैंस जाँच बिठा सारे मामले को दबाने की साजिश की जा रही है। साफ है कि बिल्ली को दूध की रखवाली नहीं बनाया जा सकता। जब भाजपा-जजपा सरकार ही शराब घोटाले में संलिप्त है, तो फिर जाँच होगी कैसे? कांग्रेस पार्टी व हरियाणा की जनता की स्पष्ट मांग है कि हाई कोर्ट के सिटिंग जज की देखरेख में जाँच हो ताकि खट्टर सरकार में बैठे बड़े बड़े रसूखदारों तथा गुनाहगारों के चेहरे बेनकाब हो सकें।

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