Edited By Shivam, Updated: 22 Jan, 2019 11:33 PM
अंशुल छत्रपति ने कहा कि लंबा संघर्ष करने के बाद जो सफलता मिली,वह सबके सहयोग से संभव हुई। एक तरफ डेरा प्रमुख ने इस कार्यवाही को टालने के लिए करोड़ो के प्रलोभन दिए लेकिन हमारे पास जमीर थी। अंशुल छत्रपति ने मंगलवार को एक प्रेस...
चंडीगढ़(धरणी): अंशुल छत्रपति ने कहा कि लंबा संघर्ष करने के बाद जो सफलता मिली,वह सबके सहयोग से संभव हुई। एक तरफ डेरा प्रमुख ने इस कार्यवाही को टालने के लिए करोड़ो के प्रलोभन दिए लेकिन हमारे पास जमीर थी। अंशुल छत्रपति ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व है कि उनके पिता ने कभी पत्रकारिता का धर्म नहीं बेचा।
यहां अंशुल ने कहा, 'राम रहीम का केवल चोला ही संत का था, लेकिन उसके कर्म अब दुनिया जानती है, इसलिए फिल्मों में जाने का ढोंग ब्लैक मनी को सफेद करने का खेल था। 25 अगस्त 2017 को बीजेपी ने बढिय़ा तरीके से रणनीति बना राम रहीम को डेरे से कोर्ट पहुंचाया।'
अंशुल ने उनके पिता की हत्या से पहले व बाद के दिनों को याद करते हुए बताया कि डेरे की राजनीति में जबरदस्त पैठ थी। डेरे का खौफ सिरसा व आसपास था, तब मीडिया ने उनके पिता की हत्या के बाद 1 माह तक साथ दिया, उसके बाद सब बदलते गए। 16-17 साल की लड़ाई में डेरे के मुकाबले हम धरातल पर थे। सरकारें डेरे पर नतमस्तक थी। जो उतार चढ़ाव आये बहुत से राजनैतिक लोग अपनी चमचा गिरी दिखाने के लिए डेरा प्रमुख को क्लीन चिट दिलवाने पर तुले थे।
अंशुल ने कहा डेरा जैसे पाखंड के ढेरों के खिलाफ लड़ाई जारी रखनी जरूरी है। गुरमीत राम रहीम जैसे लोग जो खुद को उसके कर्मों की सजा मिली। उसका किला ध्वस्त हुआ। अंशुल ने कहा कि 16 साल में किसी पोलोटिशन से कोई फरियाद नहीं की क्योंकि सत्ता पक्ष का झुकाव सदैव डेरे की तरफ रहा। चौटाला 2002 में सीएम थे, उनसे मिले भी उनके वायदे आश्वाशन भी शून्य निकले। पुलिस ने जांच सत्ता पक्ष के दवाब में काम किया, इसलिए हमने सीबीआई जांच की मांग की।
उन्होंने कहा 2005 के बाद कांग्रेस सरकार ने हरियाणा में राम रहीम को जेड प्लस सुरक्षा दी। उसके आगे सरेंडर कर दिया। बीजेपी सरकार तो 38 विधायक सरकार बनने के बाद नतमस्तक होने गए, वह जन प्रतिनिधि नहीं डेरा प्रतिनिधि के रूप में रहे, सभी वहां दंडवत करते रहे।