दादा राम कुमार गौतम का छलका दर्द, कहा- बाप-बेटे को पता होना चाहिए मैं अभी जिंदा हूं

Edited By Vivek Rai, Updated: 08 Jun, 2022 08:55 PM

ram kumar gautam said father and son should know that i am still alive

हरियाणा में हमेशा दबंग राजनीति करने वाले नारनौंद से जेजेपी विधायक दादा रामकुमार गौतम पंजाब केसरी से बातचीत के दौरान बहुत भावुक हो बैठे। महत्वपूर्ण विषय राज्यसभा चुनाव था, लेकिन उनके दिल का दर्द झलक उठा। अपनी ही पार्टी जननायक जनता पार्टी पर लंबे समय...

चंडीगढ़(धरणी):हरियाणा में हमेशा दबंग राजनीति करने वाले नारनौंद से जेजेपी विधायक दादा रामकुमार गौतम पंजाब केसरी से बातचीत के दौरान बहुत भावुक हो बैठे। महत्वपूर्ण विषय राज्यसभा चुनाव था, लेकिन उनके दिल का दर्द झलक उठा। अपनी ही पार्टी जननायक जनता पार्टी पर लंबे समय से आक्रामक रुख इख्तियार रखने वाले गौतम आज फिर चौटाला परिवार पर कई टिप्पणियां कर बैठे। उन्होंने चौटाला परिवार की राजनीति को जाट पॉलिटिक्स के इर्द-गिर्द बताते हुए कहा कि अगर इनमें दम होता तो अभय चौटाला मात्र एक सीट पर ही सीमित ना रहता। उन्होंने कहा कि जेजेपी में आना उनकी एक बहुत बड़ी भूल थी और अगर बीजेपी पार्टी अंतिम समय तक इस गठबंधन को बरकरार रखती है, तो बीजेपी का सूपड़ा साफ होना तय है। इस मौके पर उन्होंने राज्यसभा के लिए अपना वोट निजी संबंधों के कारण विनोद शर्मा के पुत्र कार्तिकेय शर्मा को देने की बात कही। उन्होंने कहा कि बेशक रायपुर में कांग्रेसी विधायक जा बैठे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के लिए वोट तोड़ना एक बहुत मामूली बात होती है। ऐसे में मुख्यमंत्री की आंतरिक मंशा क्या है, यह तो स्वयं वही जानते हैं। इस मौके पर गौतम से और भी कई महत्वपूर्ण विषयों पर बातचीत हुई।

 कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-

प्रशन:- तीसरे कैंडिडेट कार्तिकेय शर्मा मैदान में हैं, गेंद किस पाले में आपको नजर आ रही है ?

उत्तर:- मैं अपने वोट के बारे में बता सकता हूं। मैं विनोद शर्मा के बेटे को वोट दूंगा। मैं ना तो मुख्यमंत्री पर एहसान कर रहा हूं और ना ही विनोद शर्मा पर। चिरंजीलाल हमारे बुजुर्ग थे। हमारा बहुत लाड़ करते थे। कुलदीप और अशोक उनके बेटे थे। मेरी लॉ की पढ़ाई के वक्त मेरे संबंध उनके साथ हैं। कुलदीप की बेटी की शादी कार्तिकेय शर्मा से हुई है। मैं किसी पर कोई एहसान नहीं कर रहा। विनोद शर्मा ने लोगों का लंबे समय तक भला किया। एक वक्त वीआईपी विजिटर गैलरी में बैठकर मैंने देखा जब हुड्डा जाट समेत तीन जातियों के लिए 10 फ़ीसदी आरक्षण का प्रस्ताव लेकर आए तो विनोद शर्मा ने खड़े होकर ब्राह्मण- बनिया- पंजाबी और राजपूत के लिए भी 10 फीसदी का आरक्षण मांगा और डटकर उसे पारित करवाया। बहुत बड़ी संख्या में बच्चों को रोजगार उनके कारण मिला। दान दी हुई जमीनों पर कानून बनवाकर बहुत गरीब जातियों को छत दिलवाने का उन्होंने काम किया। मैं अपना वोट देकर उनके द्वारा चढ़ाया गया कर्ज उतारने की कोशिश करूंगा और जब तक विनोद शर्मा या उनकी औलाद चुनाव लड़ेंगे मैं उनसे दूर नहीं जाऊंगा।

प्रशन:- भाजपा जजपा और निर्दलीय विधायकों को पांच सितारा एक होटल में बुलाया गया था ?

उत्तर:- मेरे पास भी टेलीफोन आया था। लेकिन मैंने मना कर दिया। मैं कहीं नहीं जाऊंगा। डंके की चोट पर अपना वोट दूंगा। मुझे छुपने की कोई जरूरत नहीं है। मैं अपना वोट खुला दूंगा। मुझे अपने ऊपर कोई शक नहीं है।

प्रशन:- कृष्ण लाल पंवार की सीट कलियर है, कार्तिक शर्मा की जीत के लिए गणित कैसे पूरा होगा ?

उत्तर:- अखबार की खबर में पड़ा कि शायद अभय चौटाला और बलराज कुंडू वोट नहीं डालेंगे। ऐसे हालात में 30 वोट वाला कैंडिडेट भी जीत जाएगा। कांग्रेस से वोट तोड़ने जरूरी है। कांग्रेस में से जब तक विधायक नहीं टूटेंगे तो गणित कैसे पूरा होगा। कुलदीप बिश्नोई 4 दिन पहले तक आत्मा की आवाज पर वोट देने की बात कहते थे। लेकिन दो-तीन दिन से उनकी कोई चर्चा नहीं सुनी। शैलजा भी नाराज थी। वह भी चुपचाप बैठी हैं। ऐसे में अगर विधायक नहीं टूटे तो अजय माकन की जीत निश्चित है।

प्रशन:- रायपुर में सभी कांग्रेसी विधायक गए, लेकिन किरण और बिश्नोई नहीं पहुंचे, क्या कहेंगे ?

उत्तर:- कुलदीप बिश्नोई और किरण चौधरी बंधुआ मजदूर बनने के लेवल के नेता नहीं है। वह एक बड़ा लेवल रखते हैं। अपनी मन मर्जी के मालिक हैं। उन पर कोई प्रेशर नहीं डाल सकता। उन्हें जहां ठीक लगेगा वहां वोट देंगे। हालांकि किरण चौधरी ने कभी कोई खिलाफ बयानबाजी नहीं की। कुलदीप की बयान बाजी जरूर नजर आई थी। हाल के हालात नहीं मालूम।

प्रशन:- विधायकों को इधर-उधर ले जाने जैसे प्रयोग कितने सफल मानते हैं ?

उत्तर:- मुख्यमंत्री पर सारा खेल निर्भर करता है। किस लेवल तक मुख्यमंत्री कोशिश करेंगे, यह स्वयं मुख्यमंत्री ही जानते हैं। मुख्यमंत्री के लिए वोट तोड़ना बहुत मामूली बात होती है। उनकी क्या मंशा है क्या इरादा है, यह वही जानते हैं।

प्रशन:- क्या मुख्यमंत्री से आपकी कोई बात हुई है ?

उत्तर:- मुख्यमंत्री से वोट के लिए मुझसे कोई बात नहीं हुई। मुख्यमंत्री को मालूम है कि विनोद शर्मा को वोट देने की मैंने घोषणा की हुई है। शुरू के वक्त विनोद शर्मा ने पहुंचकर इस प्रपोजल के बारे में बताया था। मैंने विश्वास जताया था कि उन्हें आने तक की कोई जरूरत नहीं थी। शत-प्रतिशत वोट कार्तिकेय शर्मा को ही जाएगा। कोई वोट मांगे या ना मांगे।

प्रशन:- क्या अजय माकन ने आपसे वोट की अपील की है ?

उत्तर:- मुझसे वही वोट मांगेगा जो पागल होगा। एक बार कुलदीप बिश्नोई ने एक पत्रकार को कहा था कि बीजेपी के दोनों विधायक नरेश मलिक और रामकुमार गौतम बिक गए। नरेश मलिक ने बड़ा काम ले लिया और रामकुमार गौतम अपने लड़के को डीएसपी लगवाना चाहता है। गलती से यह बयान उन्होंने दे दिया था। मैंने कहा था कि किसी की मां ने दूध नहीं पिलाया जो मुझसे वोट मांग ले। भैरों सिंह शेखावत राजस्थान प्रेसिडेंट का चुनाव हार गए थे। मैं इलेक्शन एजेंट था। मैं हर फैसला अटल लेता हूं। इस मामले में औलाद के आगे बेबस हो गया था, मुझसे चूक हुई है।

प्रशन:- किस चूक की बात कर रहे हैं ?

उत्तर:- मेरी सोच हमेशा इस परिवार (चौटाला) के खिलाफ रही है। 1995 में अजय चौटाला ने आकर मुझे जींद में होने वाली रैली में आशीर्वाद देने की बात कही थी, लेकिन मैंने मना कर दिया था। मैं इन लोगों के नजदीक से भी नहीं गुजारना चाहता था। भाजपा के इनके साथ हुए समझौते के वक्त मैंने इनकी मदद की। अजय चौटाला की मदद की। लेकिन यह धोखेबाज लोग हैं। चौटाला ने बीजेपी का विरोध किया। मेरे खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार भगतराम खड़ा कर दिया। यह परिवार धोखेबाज है। इनसे ज्यादा धोखेबाज शायद धरती पर भी कोई नहीं होगा। यह कोई पार्टी नहीं है। मैं खुद इस पार्टी पर चुनाव लड़ गया और जीता। मेरी जीत के मायने है। बहुत से लोग विधायक बनकर घूम रहे हैं। जिन्हें कोई नहीं पूछता। यह पूरी ताकत के मालिक बने हुए हैं। विधायक हम हैं और फायदा यह उठा रहे हैं। उपमुख्यमंत्री बनकर बहुत महत्वपूर्ण विभाग और बहुत ताकत लिए घूम रहा है। शायद कोई कर्ज हमें चुकाना था जो चुका रहे हैं।

प्रशन:- भाजपा- जजपा गठबंधन में निकाय चुनावों को लेकर खटास आई थी, क्या कहेंगे ?

उत्तर:- मैं केवल इनकी चाल देख रहा हूं। अभी बहुत लंबा वक्त पड़ा है। बहुत सी बातें हैं जो कहना चाहता हूं। लेकिन अभी नहीं कहूंगा। अगर भाजपा आखिर तक इनके साथ समझौता रखेगी तो भाजपा का नुकसान हो जाएगा। इनके पल्ले कुछ नहीं है। इनकी शक्ल देख कर कोई राजी नहीं है। यह केवल जाट पॉलिटिक्स किया करते थे। दोनों भाई अलग अलग हो गए और हमारे जैसे पागल इनके साथ लग गए। 10 विधायक बनाकर जाट पॉलिटिक्स करने वाले लोग आज धंधा कर रहे हैं। बहुत से संगीन मुकदमे इनके खिलाफ दर्ज हैं। इनका बूढ़ा 4 साल की कैद के लिए चला गया। 200-250 की प्रॉपर्टी जबत हो गई। इनकी संपत्ति का कोई ठौर ठिकाना नहीं है। फिर भी कमाई में लगे हुए हैं। इनका कोई और एजेंडा नहीं है। मैं शांति से वक्त गुजारना चाहता हूं। मेरे नारनौंद में इन्होंने रूटीन के कामों के अलावा कुछ नहीं किया। नारनौंद बाईपास जैसी छोटी सी मांग भी पूरी नहीं की। लंबे समय से हमारा नारनौंद विकास से अछूता है।

प्रशन:- सरकार के बचे ढाई साल मे नारनौंद को लेकर क्या टारगेट है ?

उत्तर:- मैं क्या करवा सकता हूं। राजीव गांधी देश का सत्यानाश करके चला गया। डेमोक्रेसी खत्म कर दी गई। इस देश में ना विधायक की कोई कीमत है और ना ही सांसद की। मेरे पास कोई ताकत नहीं है। मुझे मरा हुआ समझकर दोनों बापू- बेटे नारनौंद में पहुंच गए। उन्हें यह नही पता कि अभी में जिंदा हूँ।मजदूर टाइप 400-500 लोग इकट्ठे कर लिए। लेकिन मैं मरा नहीं हूं, विधायक हूं। अपनी ताकत से बना हूं। मैंने 38000 हजार वोट लिए हैं। आजाद उम्मीदवार के वक्त भी 35000 वोट लिए थे। अगर इनके पल्ले कुछ होता तो अभय चौटाला भी लंका लूट लेता। लेकिन वह केवल अकेला ही जीता है और यह 10 जीत गए। हमारे जैसे पागलों की मदद के कारण यह जीते हैं।

प्रशन:- राज्यसभा चुनावों में खरीद फिरोकत की चर्चाएं हैं, इस पर क्या कहेंगे ?

उत्तर:- मुझे इस बारे कुछ नहीं पता। मैं इस लाइन का आदमी नहीं हूं। मुझे ऐसा लगता है कि वह इंसान का बच्चा ही नहीं है जो वोट पैसे ले कर दे। वह एक महा नीच का बीज होगा। लोगों ने अपना विश्वास- अपनी शक्ति लगाकर कीमती वोट देकर आपको चुनाव जितवाया। अगर कोई विश्वास को बेजता है तो वह एक निहायत नीच व्यक्ति होगा।

प्रशन:- चौधरी वीरेंद्र सिंह ने भी एक बार कहा था 100 करोड़ वाला व्यक्ति ही राज्यसभा पहुंचता है ?

उत्तर:- उन्हें मुझसे ज्यादा तजुर्बा है। 1972 में पहला चुनाव लड़े थे और 1977 में विधायक भी बन गए थे। लेकिन मैं 1971 से लगातार पिटता आ रहा हूं। चुनाव लड़ा हूं। लेकिन दो ही जीत पाया हूं। लेकिन दोनों अपनी ताकत से जीता हूं। मेरे भाग्य में मेहनत करके खाना लिखा हुआ है। भाग्य का खाना मेरी किस्मत में नहीं है।


 

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