सुप्रीम कोर्ट की कमेटी महज छलावा, सरकार की मिलीभगत साफ झलक रही: राजन

Edited By vinod kumar, Updated: 13 Jan, 2021 06:34 PM

rajan said the supreme court committee is only a sham

हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्ष कुमारी सैलजा के राजनीतिक सचिव व दक्षिण हरियाणा के प्रभारी राजन राव ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के उस बयान की निंदा की है जिसमें उन्होंने कांग्रेस पर अराजकता फैलाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि...

गुरुग्राम (गौरव): हरियाणा प्रदेश कांग्रेस समिति की अध्यक्ष कुमारी सैलजा के राजनीतिक सचिव व दक्षिण हरियाणा के प्रभारी राजन राव ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के उस बयान की निंदा की है जिसमें उन्होंने कांग्रेस पर अराजकता फैलाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि पूरा देश देख रहा है कि देश और प्रदेश में अराजकता कौन फैला रहा है। कभी जाति, कभी धर्म संप्रदाय, कभी क्षेत्रवाद के नाम पर भाजपा देश को अराजकता की आग में झोंकने का काम कर रही है। 

भाजपा शासन में विभिन्न स्थानों पर हुए दंगे इस बात की चीख चीख कर गवाही दे रहे हैं कि भाजपा उन्माद और अराजकता के सहारे ही सत्ता के शीर्ष तक पहुंची है। किसान आंदोलन शुरू होने के बाद से अब तक भाजपा ने किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया। हरियाणा प्रदेश की सरकार ने कई मौकों पर प्रदेश की शांति भंग करने की कोशिश की। लेकिन किसानों के धैर्य और संयम ने सरकार की सभी मंशाओं पर पानी फेर दिया। उन्होंने कहा कि देश को जवाब भाजपा को देना है। उसने देश के साथ हर मोर्चे पर धोखा किया। इसकी परतें अब खुलने लगी है। 

भाजपा का असली मकसद अराजकता फैलाकर सत्ता में बने रहना है। उन्होंने किसान आंदोलन और कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट देश की सर्वोच्च संस्था है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के आरोपों को नकारते हुए सरकार को फटकार लगाई। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने को समिति बनाई है, उसमें कहीं ना कहीं सरकार की मिलीभगत साफ झलक रही है। इसमें शामिल लोग सरकार और इन काले कृषि कानूनों के पक्षकार हैं। ऐसे में यह कैसे उम्मीद की जा सकती है कि कमेटी निष्पक्ष सुनवाई करेगी।

सुप्रीम कोर्ट को किसान हितैषी लोगों को कमेटी में शामिल करना चाहिए था। यही कारण है किसान सुप्रीम कोर्ट की गठित कमेटी से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि भले ही सरकार ने अस्थाई तौर पर कानूनों पर रोक लगा दी है, लेकिन किसान कानूनों के रद्द होने तक अपना आंदोलन वापस नहीं लेंगे। किसान हर कीमत पर अपना लेकर रहेगा। सरकार इस मुगालते में भी ना रहे की सुप्रीम कोर्ट की ओर से कृषि कानूनों पर अस्थाई रोक से किसानों का हौसला टूट जाएगा और किसान आंदोलन कमजोर पड़ जाएगा। किसान कानून रद्द होने तक मोर्चे पर डटे रहेंगे।

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