Edited By kamal, Updated: 03 May, 2019 08:31 AM
एक तरफ राजनेता इस चुनावी मौसम में वोट रूपी अपनी ‘फसल’ काटने की तैयारी में हैं तो दूसरी ओर कुदरती आपदाओं...
एक तरफ राजनेता इस चुनावी मौसम में वोट रूपी अपनी ‘फसल’ काटने की तैयारी में हैं तो दूसरी ओर कुदरती आपदाओं ने फसलों की कटाई के लिए तैयार बैठे कृषकों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। पिछले माह हुई बेमौसमी बरसात व ओलावृष्टि ने हरियाणा में किसानों की सैकड़ों एकड़ में खड़ी गेहूं की लगभग पकी फसल को तबाह कर दिया। जिससे प्रदेश के हर चुनावी मौसम में गहरी दिलचस्पी रखने व चुनाव में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने वाले किसान अब जहां अपने भविष्य को लेकर चिंतित नजर आते हैं तो वहीं वे चुनावों में भी उतनी दिलचस्पी नहीं ले पा रहे।
प्रदेश के किसान इस प्राकृतिक आपदा से नष्ट हुई अपनी फसल के बाद चुनावी गणित को छोड़ अपने नुकसान के गणित में ही उलझ कर रह गए। गौरतलब है कि पिछले माह जब प्रदेश का किसान इस बार अपनी होने वाली गेहूं की बंपर पैदावार को लेकर प्रफुल्लित नजर आ रहा था तब अचानक कुदरत की ऐसी मार पड़ी कि प्रदेश के कई हिस्सों में तेज अंधड़ के साथ हुई बरसात व ओलावृष्टि से किसानों की तैयार खड़ी फसल जमीन पर बिछ गई।
किसानों की मेहनत पर फिरे इस पानी ने देश के अन्नदाता की चिंताएं बढ़ा दी तो राजनेताओं ने भी अपनी चुनावी फसल काटने की तैयारी में जुटे होने के कारण किसानों के दर्द पर मरहम लगाने की भी नहीं सोची। इस बेमौसमी बरसात व ओलावृष्टि ने हरियाणा के साथ साथ पड़ोसी राज्य पंजाब में भी फसलों की तबाही की और इस क्षति का अनुमान करोड़ों में लगाया जा रहा है।
यहां इतना हुआ नुक्सान
पिछले माह हुई वर्षा व ओलावृष्टि से हरियाणा के 10 जिले प्रभावित हुए हैं। इनमें अंबाला, करनाल, यमुनानगर, पलवल, भिवानी, कैथल, रेवाड़ी, फतेहाबाद व रोहतक शामिल हैं। कृषि विभाग के अनुसार इन 10 जिलों के कुल 1003 गांवों में खड़ी फसलों की तबाही हुई है। इनमें सर्वाधिक 334 गांव जिला रेवाड़ी के प्रभावित हुए हैं जबकि जिला करनाल के सबसे कम 4 गांव इस बेमौसमी बरसात की चपेट में आए हैं।
कृषि विभाग द्वारा तैयार की गई नुकसान की रिपोर्ट मुताबिक प्रदेश में कुल 2 लाख 18 हजार 278 हैक्टेयर भूमि में खड़ी गेहूं व अन्य फसलें क्षतिग्रस्त हुई हैं। इनमें सबसे अधिक 1 लाख 48 हजार 808 हैक्टेयर भूमि में खड़ी फसल जिला कैथल में क्षतिग्रस्त हुई है।