पीछा नहीं छोड़ेगा जातिवाद : जाट, गैर-जाट वोटरों पर होने लगा फोकस

Edited By Shivam, Updated: 16 Mar, 2019 12:27 PM

racism in loksabha election focus on jat and non jat voters

लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही एक बार फिर ‘अपने’ और ‘दूसरे’ की चर्चा तेज हो चली है। जाट बहुल सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में अब तक ज्यादातर जाट उम्मीदवार ही सांसद बने हैं लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज करने वाले अरविंद शर्मा और निवर्तमान...

सोनीपत (दीक्षित): लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही एक बार फिर ‘अपने’ और ‘दूसरे’ की चर्चा तेज हो चली है। जाट बहुल सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में अब तक ज्यादातर जाट उम्मीदवार ही सांसद बने हैं लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज करने वाले अरविंद शर्मा और निवर्तमान सांसद रमेश कौशिक के रूप में 2 सांसद ऐसे भी हैं जो गैर-जाट होते हुए भी जीत दर्ज कर पाए। ऐसे में कहा जा सकता है गैर-जाट वोटर इस लोकसभा सीट पर अहम भूमिका निभा सकते हैं। ऐसी बात भी नहीं है कि केवल जातिवाद के दम पर ही यहां पर कोई उम्मीदवार सांसद बन गया, लेकिन काफी हद तक यह फैक्टर अपना असर जरूर दिखाता है। 

सोनीपत लोकसभा सीट पर सबसे अधिक जाट वोटर हैं, पर यहां हार-जीत की चाबी गैर जाट वोटर के हाथ है। इन मतदाताओं के रूझान पर निर्भर करता है कि यहां से कौन प्रत्याशी संसद तक पहुंचेगा, क्योंकि सामान्य तौर पर ब्राह्मण, बनिया और पंजाबी बिरादरी के वोटरों का झुकाव जिस प्रत्याशी की ओर रहता है, उसकी जीत का अंतर बढ़ जाता है। अगर इनके साथ वाल्मीकि और पिछड़ा वर्ग के वोटर का झुकाव भी हो जाए तो चुनाव लगभग एक तरफा रहता है। ऐसा सोनीपत सीट पर पहले कई बार हो भी चुका है। ऐसे में इस बार भी यह माना जा रहा है गैर-जाट वोटर का रुझान ही ये तय करेगा कि हार या जीत किसकी होगी और इन्हीं आंकड़ों पर प्रत्याशी तय किए जाने की ज्यादा उम्मीद है।

सोनीपत को जाट लैंड भी कहते हैं। इस लोकसभा क्षेत्र पर जाट उम्मीदवारों का दबदबा रहा है। सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में अब तक 11 बार चुनाव हुए हैं जिसमें से 9 बार जाट उम्मीदवार को ही जीत मिली है। 1996 में यहां से निर्दलीय उम्मीदवार अरविंद शर्मा को जीत मिली थी। इस चुनाव में अरविंद शर्मा को 2 लाख 31 हजार 552 और रिजक राम को 1 लाख 82 हजार 201 वोट मिले थे। 1998 में यहां से हरियाणा लोकदल के किशन सिंह सांगवान को 2 लाख 90 हजार 299 वोट और एच.वी.पा. के अभय राम दहिया के पक्ष में 1 लाख 52 हजार 975 वोट मिले थे। 1

999 में हुए चुनाव में भाजपा के किशन सिंह सांगवान को 4 लाख 57 हजार 056 वोट और कांग्रेस के चिरंजी लाल को 1 लाख 90 हजार 918 वोट हासिल हुए थे। 2004 में सोनीपत से भाजपा के किशन सिंह सांगवान को 2 लाख 33 हजार 477 और कांग्रेस के धर्मपाल मलिक को 2 लाख 25 हजार 908 वोट हासिल हुए थे, वहीं 2009 की बात करें तो कांग्रेस के जितेंद्र मलिक को 3 लाख 38 हजार 795 और भाजपा के किशन सिंह सांगवान को 1 लाख 77 हजार 511 वोट मिले थे। सोनीपत लोकसभा सीट से ताऊ देवीलाल भी दो बार चुनाव लड़े थे जिसमें एक बार उन्हें जीत मिली थी जबकि दोबारा हार का सामना करना पड़ा था। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!