जनाक्रोश रैली में जुटने वाली भीड़ हाईकमान की नजरों में बढ़ा सकती है तंवर का राजनीतिक कद

Edited By Deepak Paul, Updated: 29 Apr, 2018 10:55 AM

public gathering rally may increase benifit in tanwar

राहुल गांधी की बतौर कांग्रेस अध्यक्ष पहली बढ़ी रैली जिसे जनाक्रोश रैली का नाम दिया गया है 29 अप्रैल को होने जा रही है। दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में हो रही इस रैली में जनभागीदारी सुनिश्चित करने की बड़ी जिम्मेदारी दिल्ली को तीनों तरफ से घेरे हुए...

अम्बाला शहर(रीटा शर्मा): राहुल गांधी की बतौर कांग्रेस अध्यक्ष पहली बढ़ी रैली जिसे जनाक्रोश रैली का नाम दिया गया है 29 अप्रैल को होने जा रही है। दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में हो रही इस रैली में जनभागीदारी सुनिश्चित करने की बड़ी जिम्मेदारी दिल्ली को तीनों तरफ से घेरे हुए हरियाणा की होगी, जिसको लेकर प्रदेश कांग्रेस के बड़े दिग्गज अपने-अपने ढंग से लगे हुए हैं। अब तक अलग-अलग रंग की पगड़ी के माध्यम से अपनी ताकत का अहसास करवाने वाले इस बार पगड़ी नहीं पहन सकेंगे। ऐसे में भीड़ जुटाने की जिम्मेदारी का बोझ प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर के कंधों पर बढ़ गया है। प्रदेश से जुटने वाली भीड़ प्रदेशाध्यक्ष की अब तक की गई मेहनत का रिपोर्ट कार्ड माना जाएगा।

यूं तो तंवर ने जबसे प्रदेशाध्यक्ष की बागडोर सम्भाली है वह प्रदेश के हर कोने कालका हो या कोसली, सिरसा हो या फरीदाबाद तक कार्यकर्ताओं के बीच पहुंचकर पार्टी की ध्वजा लहरा रहे हैं। हालांकि उनके प्रदेशाध्यक्ष की डगर में उन्हें पार्टी के अपने ही दिग्गजों से भी चुनौती मिलती रही है लेकिन उनके संघर्ष में कमी नहीं आई। पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा व उनके समर्थक अधिकांश विधायकों के तंवर विरोध व उन्हें हटाए जाने की मांग के बीच पार्टी हाई कमान ने तंवर के कार्यकाल को बढ़ाने से उनके हौसले बुलंद हो गए और आज प्रदेशभर में तंवर समर्थक कांग्रेस नेताओं व कार्यकत्र्ताओं की एक बड़ी फौज खड़ी हो गई जिसके दम पर ही तंवर पार्टी के भीतर अपनों व प्रदेश सरकार से 2 मोर्चों पर लोहा लेने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे।

रैली के लिए बहाया पसीना
राहुल की जनाक्रोश रैली के लिए हरियाणा से भीड़ इकट्ठी करने को एक चुनौती के रूप में लेते हुए तंवर ने दिन-रात एक करते हुए पूरे प्रदेश में अलख जगाई व भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों व नाकामियों को हथियार के रूप मे इस्तेमाल भी किया। तंवर ने 22 अप्रैल को झज्जर, 24 अप्रैल को सोनीपत व पानीपत की मीटिंग्स की, 26 अप्रैल को अम्बाला में 5 जिलों अम्बाला, यमुनानगर, पंचकूला, कुरुक्षेत्र व कैथल के कार्यकत्र्ताओं की बैठक ले रैली में भीड़ जुटाने की जिम्मेदारिया सौंपी। 

27 से 28 को दिल्ली में मेवात क्षेत्र के साथ मीटिंग ली व दिल्ली में रहकर सभी तैयारियों की समीक्षा भी की। यही नहीं प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी का वहन करते हुए तंवर ने सिरसा से दिग्गज रणजीत सिंह व अहीरवाल के दिग्गज व वरिष्ठ कांग्रेस नेता अजय यादव सरीखे नेताओं से सम्पर्क कर रैली की सफलता सुनिश्चित करने का प्रयास भी किया

हुड्डा 4 दिन पहले हुए सक्रिय
पूर्व में कांग्रेस उच्च कमान की रैली में पूर्व सी.एम. हुड्डा की गुलाबी पगड़ी का ही जलवा होता था लेकिन इस बार हुड्डा स्वास्थ्य कारणों के चलते इतने सक्रिय नहीं रहे लेकिन रैली से 4 दिन पहले 25 अप्रैल को दिल्ली में अपने समर्थकों की बड़ी बैठक बुला उन्होंने रैली में भीड़ जुटाने की अपील करने के साथ इसमें लाखों लोगों के भाग लेने का दम भी भरा है। वहीं, हुड्डा की इस बैठक में विधायक कुलदीप बिश्नोई का भाग लेना व हुड्डा का मुंह मीठा करवाना कई नई चर्चाओं को जन्म दे गया है। राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा तो यह भी चल पड़ी है कि प्रदेश कांग्रेस में तंवर के बढ़ते वर्चस्व को देखते हुए अब लड़ाई शायद तंवर बनाम अदर्स बनती जा रही है।

दिग्गजों के क्लब में शामिल तंवर
यूं तो तंवर कांग्रेस की राजनीति में जाना पहचाना चेहरा है लेकिन प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद जिस तरह उनका पार्टी के एक बड़े धड़े द्वारा विरोध किया गया, उससे तो कई बार लगा कि शायद उन्हें बदल दिया जाए लेकिन 2014 में हुए लोकसभा व विधानसभा चुनाव में पार्टी की दुर्गति होने के बावजूद भी तंवर ने जिस मजबूती से लड़ाई लड़ी उस संघर्ष ने कांग्रेस विचारधारा से जुड़े आम जनमानस में यह छाप जरूर छोड़ी है कि अरसे बाद प्रदेश में कांग्रेस को कोई संघर्ष करने वाला अध्यक्ष मिला है, आज तंवर प्रदेश कांग्रेस के दिग्गजों के क्लब में कही भी उन्नीस नहीं है।

यह कहना है तंवर का
रैली में विभिन्न रंगों की पगड़ी पर पाबंदी लगाने के सवाल पर प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर ने कहा कि पार्टी उच्च कमान के निर्देश हैं जिनकी पालना सबको करनी होगी, रैली में एक ही रंग कांग्रेस का होगा। भीड़ जुटाने के लिए हम मेहनत कर रहे हैं, अन्य सभी नेता अपने-अपने तरीके से लगे हुए हैं। हमें 50 हजार का टारगेट दिया गया है लेकिन हरियाणा से भीड़ टारगेट से 3-4 गुणा ही होगी, क्योंकि जनता में भाजपा की सरकारों के विरुद्ध भारी आक्रोश है।
 

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