Edited By vinod kumar, Updated: 02 Dec, 2019 11:06 AM
हरियाणा की भावांतर भरपाई योजना के साथ अब 20 के करीब फल व सब्जियां जुड़ सकती हैं। हरियाणा के बागवानी विभाग ने राज्य सरकार से मंजूरी के लिए एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें आम, चीकू, आडू, आलूबुखारा, नाशपाती, लीची, आंवला, बेर, ङ्क्षभडी, मिर्च, घिया, करेला,...
चंडीगढ़(अर्चना): हरियाणा की भावांतर भरपाई योजना के साथ अब 20 के करीब फल व सब्जियां जुड़ सकती हैं। हरियाणा के बागवानी विभाग ने राज्य सरकार से मंजूरी के लिए एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें आम, चीकू, आडू, आलूबुखारा, नाशपाती, लीची, आंवला, बेर, भिंडी, मिर्च, घिया, करेला, हल्दी, बंदगोभी, मूली, लहसुन इत्यादि को भी योजना का हिस्सा बनाने की सिफारिश की है। हरियाणा सरकार ने दो साल पहले आलू, प्याज, टमाटर और फूलगोभी की पैदावार करने वाले किसानों को भावांतर भरपाई योजना के साथ जोड़ा था, ताकि फसलों की पैदावार के बाद उनकी बिक्री के अंतर की वजह से होने वाले आॢथक नुक्सान की भरपाई विभाग द्वारा की जा सके।
योजना की सफलता को देखते हुए विभाग ने गाजर, मटर, अमरूद, किन्नू, शिमला मिर्च, बैंगन की खेती करने वाले किसानों को भी इस योजना के साथ जोड़ दिया है। दस सब्जियां व फल योजना के साथ पहले ही जोड़े जा चुके हैं और अब 16 फल व सब्जियां जुडऩे के बाद हरियाणा के किसानों को खेती व बिक्री के दौरान होने वाले नुक्सान की वजह से मंदी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
रजिस्ट्रेशन का समय कर दिया गया है निर्धारित : हरियाणा के बागवानी विभाग के ज्वाइंट डायरैक्टर डा. रणबीर सिंह का कहना है कि सरकार का उद्देश्य है कि राज्य के किसानों को खेतीबाड़ी की वजह से किसी भी तरह की आॢथक मंदी या बिक्री में नुक्सान का सामना न करना पड़े। किसान की आॢथक स्थिति मजबूत होने पर ही वह फसलों के विविधिकरण की दिशा में भी ध्यान दे सकेगा।
डा. सिंह ने बताया कि फसलों की रजिस्टे्रशन का समय भी तय कर दिया गया है। टमाटर और प्याज के लिए किसान 15 दिसम्बर से लेकर 15 फरवरी के बीच, आलू और फूलगोभी के लिए 15 सितम्बर से लेकर 31 अक्तूबर, किन्नू के लिए 1 सितम्बर से लेकर 30 नवम्बर, अमरूद के लिए 15 अप्रैल से लेकर 15 मई, गाजर और मटर के लिए 1 अक्तूबर से लेकर 30 नवम्बर, शिमला मिर्च और बैंगन के लिए 10 फरवरी से लेकर 15 मार्च तक किसान फसलों का पंजीकरण कर सकते हैं।
किसानों की आॢथक स्थिति सुधरेगी तो हो सकेगा फसलों का विविधिकरण
हरियाणा के बागवानी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि हरियाणा देश का ऐसा पहला राज्य बन चुका है जो यह सुनिश्चित कर रहा है कि किसी भी किसान की फसल बिक्री के बगैर न रहे। अगर किसान को लागत से नीचे दाम मिलता है तो उसकी भरपाई सरकार कर रही है। योजना से संबंधित सब्जियों की बुआई का काम जब किसान शुरू करते हैं या फलों के मामले में जब फल बनने लगता है तो किसानों के लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण करना जरूरी है।
इसके बाद बागवानी विभाग के अधिकारी व कर्मचारी फसलों का निरीक्षण करते हैं। बिक्री के समय अधिकारी उस समय बाजारों में बिकने वाली सब्जियों व फलों के दाम को ध्यान में रखते हुए फल व सब्जियों के संरक्षित मूल्य का निर्धारण करते हैं। अगर किसान की फसल निर्धारित मूल्य से कम दाम पर बिकती है तो उस अंतर को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा भरपाई कर दी जाती है, जिससे किसान का नुक्सान नहीं हो पाता।
2 चरणों में 22,405 किसानों ने करवाया रजिस्टे्रशन
बागवानी विभाग के आंकड़ों की मानें तो इस योजना के अंतर्गत पहले चरण में 4435 किसानों ने पंजीकरण करवाया। उनमें से 565 किसानों को सरकार ने 12 लाख 8 हजार रुपए फसल बिक्री में हुए नुक्सान को दूर करने के लिए आॢथक सहायता दी। दूसरे चरण में 17,970 किसानों ने योजना के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन करवाया और 3308 किसानों की 9 करोड़ 40 लाख 49 हजार रुपए की आॢथक सहायता सरकार ने प्रदान की। तीसरे चरण का दौर चल रहा है। इसकी शुरूआत 10 अक्तूबर से की गई थी। खबर लिखे जाने तक हरियाणा के 8461 किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाई थी।
हरियाणा बागवानी विभाग द्वारा निर्धारित फसलों के संरक्षित दाम का ब्यौरा
फसल |
सतही उपज (क्विंटल /प्रति एकड़) |
संरक्षित दाम(प्रति क्विंटल) |
1. टमाटर |
140 |
500 |
2. प्याज |
100 |
650 |
3. आलू |
120 |
500 |
4. फूलगोभी |
100 |
750 |
5. किन्नू |
104 |
1100 |
6. अमरूद |
70 |
1300 |
7. गाजर |
100 |
700 |
8. मटर |
50 |
1100 |
9. शिमला मिर्च |
80 |
900 |
10. बैंगन |
110 |
500 |