निगम की सख्ती के आगे झुके निजी संस्थान, 40 में से करीब 10 ने जमा करवाया सालों टैक्स

Edited By Isha, Updated: 02 Jan, 2020 12:13 PM

private institutions succumbed to the strictness of the corporation

नगर निगम की सख्ती के आगे आखिरकार निजी संस्थानों को झुकना पड़ा। जो सालों से प्रॉपर्टी टैक्स जमा नहीं करवा रहे थे। वह अब निगम की ओर रुख करने लगे हैं। 40 में से करीब 10 संस्थान एक जनवरी

करनाल: नगर निगम की सख्ती के आगे आखिरकार निजी संस्थानों को झुकना पड़ा। जो सालों से प्रॉपर्टी टैक्स जमा नहीं करवा रहे थे। वह अब निगम की ओर रुख करने लगे हैं। 40 में से करीब 10 संस्थान एक जनवरी तक संपत्ति कर जमा करवा चुके हैं। इससे निगम के खजाने में करोड़ों की आमदनी हुई। 

बता दें कि 21 दिसम्बर को टीम ने 25 संस्थानों के बाहर नोटिस चस्पाए थे। चेतावनी दी थी कि 31 दिसम्बर तक संपत्ति कर नहीं चुकाया तो प्रॉपर्टी अटैच की जाएगी। निगम ने डिफाल्टर बकायादारों की दो सूची तैयार की थी। पहली में 25 यूनिट शामिल थी।

इन पर काफी बड़ी राशि बकाया थी। जबकि दूसरी लिस्ट में करीब 15 नाम थे। इन पर जो अधिक प्रॉपर्टी टैक्स नहीं था। लेकिन यह रूटीन में टैक्स नहीं चुका रहे थे। पहली लिस्ट में शहर के कई नामी संस्थान भी थे। निगम को एक्शन मोड में देख इनमें हड़कंप मच गया था। संपत्ति अटैच करने के नोटिस संस्थानों के बाहर चस्पाते ही इनकी बेचैनी बढ़ गई थी।  

इन्होंने जमा करवाया टैक्स
निगम से मिले आंकड़ों के अनुसार प्रताप पब्लिक स्कूल की तीन यूनिट का प्रॉपर्टी टैक्स जमा हो चुका है। इसके अलावा गुरु नानक खालसा कॉलेज, जैन गर्ल स्कूल के अलावा कुंजपुरा रोड स्थित एक स्कूल ने भी टैक्स चुका दिया है। मेहता फार्म, परम पैलेस, होटल न्यू वल्र्ड, ईडन गार्डन के अलावा सैक्टर-33 स्थित एक कोल्ड स्टोर संचालक ने भी संपत्ति कर निगम में जमा करवा दिया है। कुछ बैंकों की स्टेटमैंट आना बाकी है। 31 दिसम्बर तक एकमुश्त बकाया राशि भरने पर पूरा ब्याज माफ था। लेकिन अब इसका लाभ नहीं मिलेगा। 

कमिश्नर ने बैठक में चेताया था 
तत्कालीन निगम कमिश्नर निशांत यादव ने गत 27 दिसम्बर को विकास सदन में बैठक ली थी। प्रॉपर्टी टैक्स व सर्विस टैक्स के बकायादारों को चेताया था। उन्होंने कहा था कि अब भी टैक्स नहीं भरा तो संबंधित विभागों के बैंक खाते सील करेंगे। यही नहीं वाहन जैसी चल सम्पत्ति भी जब्त कर ली जाएगी। इनकी बोली लगाकर निगम रिकवरी करेगा। समय बढ़ाने की मांग पर कमिश्नर ने कहा था कि अब इसकी गुंजाइश नहीं बची है। डिफाल्टर प्लॉट धारकों को भी चेताया था कि वह प्रॉपर्टी टैक्स जमा करवा दें नहीं तो उन पर भी कार्रवाई होगी। निगम के एरिया में स्थित 10 केंद्रीय संस्थानों पर 67.14 करोड़ सर्विस टैक्स पैंङ्क्षडग है। जबकि राज्य सरकार के 60 विभागों ने भी 40.35 करोड़ प्रॉपर्टी टैक्स नहीं चुकाया है। इन्हें कई बार नोटिस भेजे जा चुके हैं।  


अब सबकी निगाहें निगम पर 
अब निगम कार्रवाई की तरफ बढ़ा तो बाकी के संस्थानों को भी घुटने टेकने पड़ेंगे। अब देखने वाली बात यह होगी कि अधिकारी कुछ ढील देते हैं या फिर नोटिस के अनुसार आगामी कार्रवाई होगी। फिलहाल सबकी निगाहें निगम पर हैं।  

सरकार के निर्देश : आमदनी बढ़ाए निकाय 
स्थानीय निकायों को प्रदेश सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं कि वह अपनी आमदनी बढ़ाएं। 29 दिसम्बर को पार्षदों के साथ बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी पार्षदों से इस पर सुझाव मांगे थे। मीटिंग में भी तय हुआ था कि टैक्स वसूली से समझौता न हो। सरकार स्थानीय निकायों को ग्रांट देने से पहले ही इंकार कर चुकी है। यानि अब निगम को अपनी आमदनी के सोर्स बढ़ाने ही होंगे। इसके बाद निगम ने सख्त रवैया अपनाया है।  

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