Edited By Shivam, Updated: 28 Jul, 2018 02:59 PM
नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में गोहाना में भी निजी डॉक्टर एक दिन की सांकेतिक हड़ताल पर रहे। हड़ताल के चलते प्राइवेट डाक्टरों ने अपनी ओपीडी को बंद रखा, जिसके चलते प्रइवेट क्लिनिक पर इलाज करवाने आये मरीजों को सरकरी अस्पताल का रुख करना पड़ा। इसी...
गोहाना(सुनील जिंदल): नेशनल मेडिकल कमीशन बिल के विरोध में गोहाना में भी निजी डॉक्टर एक दिन की सांकेतिक हड़ताल पर रहे। हड़ताल के चलते प्राइवेट डाक्टरों ने अपनी ओपीडी को बंद रखा, जिसके चलते प्रइवेट क्लिनिक पर इलाज करवाने आये मरीजों को सरकरी अस्पताल का रुख करना पड़ा। इसी कारण सरकारी अस्पताल में अन्य दिनों दिन की अपेक्षा आज ओपीडी दो गुना तक पहुंच गई।
निजी चिकत्सक एसोसिएशन ने एक मीटिंग कर डाक्टरों ने कहा बिल में एक ब्रिज कोर्स करवाकर उन्हें डॉक्टर की डिग्री देने का प्रारुप भी बनाया जा रहा है। जिसमें मात्र तीन साल में एक चिकित्सक तैयार हो जाएगा, जबकि एक विशेषज्ञ को तैयार होने में 11 साल से अधिक का समय लगता है। ऐसे में सरकार से सवाल किया जाना चाहिए कि क्या मेडिकल फील्ड में लोगों को गुणवत्ता चाहिए या तीन साल के ब्रिज कोर्स वाले चिकित्सक चाहिए।
डॉ. गजराज ने कहा कि बिल के अनुसार अब एमसीआई में मात्र छह सदस्यों को चुनाव होगा जबकि 23 ऐसे सदस्यों को शामिल किये जाने का प्रावधान किया गया है, जो चिकित्सा के क्षेत्र के बाहर के सदस्य होगें, कमीशन में सरकार अपने चहेतों को शामिल करके उनको सीधे-सीधे लाभ पहुंचाचाना चाहती है, जिनके मेडिकल कालेज हैं। ऐसे में निजी मेडिकल कालेज प्रबंधन समिति की सीटें 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दी गई हैं। जिसके चलते प्रबंधन समिति मनमर्जी की फीस वसूल सकेगी।
उन्होंने कहा कि इससे जाहिर है कि एक गरीब के बच्चे से मेडिकल की पढ़ाई करना संभव नहीं होगा। जो जब अमीर का बच्चा करोड़ों रुपये खर्च करके चिकित्सक बनेगा तो वह गरीब आदमी को कितनी सस्ती सेवाएं देगा यह हम सबके लिए सोचने का विषय है। अब पीएमटी आधार पर किसी बच्चे का सरकारी संस्थान में दाखिला होना भी संभव नहीं रहा। उन्होंने कहा अगर सरकार ने इस बिल को वापिस नहीं लिया तो वे अपनी केन्द्रीय एसोसिएशन के आह्वान पर आगामी रणनीति बनाकर विरोध करेगें।