Edited By Isha, Updated: 20 Jul, 2022 04:48 PM
निजी गौशालाओं के संचालकों का सरकार के प्रति गुस्सा देखने को मिल रहा है, इन गौशालाओं के संचालक सरकार पर सरकारी गौशालाओं और निजी गौशालाओं के बीच भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं। इनकी मांग है कि सरकार हर रोज प्रति गाय प्रति दिन ₹50 का अनुदान गौशालाओं को दें।
रोहतक: निजी गौशालाओं के संचालकों का सरकार के प्रति गुस्सा देखने को मिल रहा है, इन गौशालाओं के संचालक सरकार पर सरकारी गौशालाओं और निजी गौशालाओं के बीच भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं। इनकी मांग है कि सरकार हर रोज प्रति गाय प्रति दिन ₹50 का अनुदान गौशालाओं को दें। अगर नवंबर माह तक ऐसा नहीं किया गया तो सभी गौशालाओं की चाबी सरकार को सौंप दी जाएंगी और इन गौशालाओं का गोवंश सड़कों पर उतरने को मजबूर होगा। इसी मांग को लेकर गौशाला गोवंश संघ हरियाणा ने जिला उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा।
संघ के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश मलिक का कहना है कि जब सरकार को वोटों की जरूरत थी तो गोवंश की सेवा करने का दम भरते हुए नहीं थकते थे। लेकिन अब सरकार बनने के बाद गोवंश बिना चारे के मरने को मजबूर है। यही नहीं गोवंश को जो अनुदान दिया जा रहा है उसमें भी सरकार दोहरी नीति अपना रही है। सरकारी गौशालाओं में अनुदान ₹48 प्रतिदिन के हिसाब से प्रति गोवंश दिया जा रहा है, जबकि निजी गौशालाओं में यह अनुदान 1 रुपया 64 पैसे प्रतिदिन प्रति गोवंश मिल रहा है। अगर सरकार से पूछा जाए तो क्या निजी गौशालाओं में गाय कुछ कम चारा खाती है क्या। इसलिए वे मांग करते हैं कि निजी गौशालाओं में ₹50 प्रति गोवंश प्रतिदिन के हिसाब से अनुदान दिया जाए।
अगर सरकार ऐसा करती है तो जितना भी बेसहारा गोवंश सड़कों पर घूम रहा है उसे गौशालाओं में रख लिया जाएगा। यही नहीं उन्होंने सरकार को चेतावनी भी दी है कि अगर नवंबर माह तक सरकार ने यह फैसला नहीं किया तो निजी गौशाला संचालक गौशालाओं की चाबी सरकार को सौंप देंगे और इन गोशालाओं का गोवंश सड़क पर उतरने को मजबूर हो जाएगा। क्योंकि वह नहीं चाहते कि अनुदान की कमी की वजह से गाय गौशालाओं में भूख ही मर जाए।