शिक्षा विभाग ने सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों में बिकने वाले जंक फूड पर लगाई रोक

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 13 Sep, 2018 03:09 PM

prevention of junkfood sold in public and non government schools

अब से जिला पलवल के सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों के अंदर व  बाहर जंक फ़ूड नहीं बिकेगा। क्योंकि इसकी बिक्री पर शिक्षा निदेशालय ने रोक लगा दी है और शिक्षा निदेशालय के आदेश पर पलवल जिले में....

पलवल(दिनेश कुमार): अब से जिला पलवल के सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों के अंदर व  बाहर जंक फ़ूड नहीं बिकेगा। क्योंकि इसकी बिक्री पर शिक्षा निदेशालय ने रोक लगा दी है और शिक्षा निदेशालय के आदेश पर पलवल जिले में भी जिला शिक्षा अधिकारी ने जिले के सभी स्कूलों में जंक फ़ूड की बिक्री पर रोक लगा दी है। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी अनिल शर्मा ने बताया कि देश के भविष्य के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए शिक्षा निदेशालय ने यह फैसला लिया है कि प्रदेश के सभी स्कूलों में चाहे वह सरकारी हो या गैर सरकारी सभी में जंक फ़ूड नहीं बिकेगा।
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उन्होंने बताया कि शिक्षा निदेशालय ने अब स्कूल कैंटीन में जंक फूड पर रोक लगाने के लिए सख्त हो गया है। इतना ही नहीं स्कूल के आसपास की दुकानों पर भी खाने पीने का यह सामान नहीं बिकना चाहिए। यदि कोई ऐसा कर रहा है तो स्कूल मुखिया अपने स्तर पर रोकेगा, यदि फिर भी कोई नहीं रुकता तो स्वास्थ्य विभाग के द्वारा कार्यवाही करवाकर बंद करवाया जायेगा ।
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शिक्षा अधिकारी ने बताया कि जिन जंक फूड़ों पर रोक लगाई है उसमे समोसे, ब्रेड पकोड़ा, चाउमिन, बर्गर ,पेटीज , कुरकुरे के अलावा कोल्ड ड्रिंक और चिप्स शामिल है। विभाग ने लगभग पांच वर्ष पूर्व से जंक फूड पर रोक लगाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाई। परन्तु अब इसकी जिम्मेदारी स्कूल मुखिया को दे दी गई है। अगर स्कूल मुखिया इस पर रोक नहीं लगा पाएगा। तो स्कूल मुखिया इसके लिए सीधे जिम्मेदार होगा और विभाग स्कूल के मुखिया के खिलाफ कार्यवाही करेगा।
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उन्होंने कहा कि इसके लिए अधिकारी विद्यालयों में जाकर स्टाफ व बच्चों को जंक फूड से होने वाले नुकसान की जानकारी दे और अपने स्तर पर कैंटीन और स्कूल के आसपास नजर रखें। विभाग ने इस बारे में जिला शिक्षा अधिकारी को नोडल ऑफिसर बनाया गया है। उनकी जिम्मेदारी है कि पहले चरण में सभी स्कूल प्रबंधन को इस बारे में जागरूक करें। 
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शिक्षा विभाग से मिली जानकारी में मिला कि छोटे बच्चों में 16 प्रतिशत को पेट की समस्या है। 30 प्रतिशत बच्चे मोटे पाए गए हैं। खून की कमी और इसी तरह की कई अन्य बीमारियां भी बच्चों में मिली है। इसकी बड़ी वजह यह मानी गई है कि बच्चे घर का पोषक खाना खाने के बजाय कैंटीन से जंक फूड खा रहे हैं। बच्चों की सेहत और सुरक्षा को ध्यान में रख माता-पिता को अपने बच्चों को जागरूक करना चाहिए कि जंक फूड का सेवन उनके लिए कितना खतरनाक है। 

 

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