प्री-मैच्योर बच्ची की मौत का मामला: चिट्ठी-चिट्ठी खेल रहा प्रशासन, खानापूर्ति में सिमटी जांच

Edited By Manisha rana, Updated: 09 Jul, 2020 11:29 AM

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प्री-मैच्योर बच्ची की मौत के मामले में प्रशासन चिट्ठी-चिट्ठी का खेल रहा है। मामले की जांच केवल खानापूर्ति तक सिमट कर रह...

सोनीपत (ब्यूरो) : प्री-मैच्योर बच्ची की मौत के मामले में प्रशासन चिट्ठी-चिट्ठी का खेल रहा है। मामले की जांच केवल खानापूर्ति तक सिमट कर रह गई। यही कारण है कि डेढ़ माह बाद भी प्री-मैच्योर बच्ची की मौत के कारणों की सच्चाई लोगों के सामने नहीं आ पाई है। हैरानी की बात यह है कि एस.डी.एम की चिट्ठी के आधार पर डी.सी. अब तक पी.जी.आई. रोहतक व खानपुर मैडिकल कॉलेज के निदेशक को 3 बार चिट्ठी लिख चुक है लेकिन जांच आगे बढ़ने के कोई संकेत नहीं मिल रहे है क्योंकि दोनों ही निदेशक ने अलग-अलग कारण बताकर हाथ खड़े कर दिए है।

हालांकि, इन सबके बीच पत्राचार के लिए डी.सी. ने जल्द ही कड़ा उठाने के संकेत दिए है। इधर, स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक ने सोनीपत से सिविल सर्जन को पत्र भेजकर जांच से संबंधित सभी डाक्यूमेंट भिजवाने के आदेश दिए है। उन्होंने 15 दिनों के भीतर ये सभी कागजात मंगवाए है।

डी.सी. व निदेशकों के बीच 5 बार हो चुका है चिट्ठी का आदान-प्रदान: मामले की जांच कर रहे एस.डी.एम. आशुतोष राजन ने डी.सी. एस.एल. पूनिया को चिट्ठी लिखकर बताया था कि मामले से संबंधित वीडियो व मैडिकल बोर्ड की जांच के तथ्य आपस में मेल नहीं खाते। ऐसे में मैडिकल बोर्ड की जांच पर संदेह है। इस पर डी.सी. ने दोबारा से जांच करवाने के लिए पी.जी.आई. रोहतक के निदेशक को पत्र लिखते हुए कहा था कि मैडिकल बोर्ड की जांच गठित कर फिर से जांच करवाई जाए, लेकिन उन्होंने कोरोना को लेकर पी.जी.आई. में अति व्यस्तता का हवाला देकर हाथ खड़े कर दिए।

इसके बाद डी.सी. ने खानपुर मैडिकल बोर्ड के निदेशक बतरा का पत्र लिखकर इस मामले में जांच के आदेश दिए, लेकिन वहां से भी जबाव आया कि जब सी.एम.ओ. द्वारा गठित बोर्ड जांच कर चुका है, तो उनकी जांच की आवश्यकता ही नहीं। इस पर अब फिर से डी.सी. ने खानपुर मैडिकल कॉलेज के निदेश का पत्र लिखकर कहा है कि सिविल सर्जन द्वारा गठित बोर्ड की जांच पर ही सवाल है, इसीलिए जांच दोबारा की जानी है।   

यह है मामला
बता दें कि 26 मई को प्रभु नगर निवासी रवि दहिया ने थाना सिविल लाइन पुलिस में शिकायत देकर बताया कि उसे सूचना मिली थी कि 25 मई की रात को करीब 11 बजे गांधी चौक के पास पाटिल नर्सिंग होम में एक महिला की प्री-मैच्योर डिलीवरी हुई है और उसने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है। उनमें से एक बच्चे की पैदा होते ही मौत हो गई थी जबकि दूसरी बच्ची को मरने के लिए छोड़ दिया गया था। वहां मौजूद चिकित्सा ने बताया कि बच्ची केवल 400 ग्राम की है और 6 माह की है। ऐसे में उसे नर्सरी में नहीं रखा जा सकती। इसीलिए ऐसे बच्चों को मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। बच्ची 15-16 घंटे से सर्माइव कर रही है, ऐसे में तुरंत कार्रवाई करते हुए बच्ची को बचाया जाए और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएं।

रवि दाहिया ने बताया कि पूरे मामले का उसने वीडियो बनाया है। इस मामले में मैडिकल रिपोर्ट के आधार पर थाना सिविल लाइन पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। वहीं, प्रशासन ने अब तक कार्रवाई पर अंसतोष  जताते हुए जताते हुए स्वयं जांच का निर्णय लिया था। इसी कड़ी में मंगलवार को एस.डी.एम. आशुतोष राजन ने दोनों पक्षों के बयान दर्ज किए थे। उन्होंने जांच के बाद डी.सी. को भेजे गए पत्र में कहा था कि वे नागरिक अस्पताल के मैडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में कतई संतुष्ट नहीं है, क्योंकि इसमें दिए गए तथ्य वीडियों में दिखाई गई घटना से मेल नहीं खा रहे है। ऐसे में आशंका है कि मैडिकल रिपोर्ट अधूरी है।

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