पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति : 3 जिलों में हुआ 26 करोड़ का घोटाला

Edited By Isha, Updated: 01 Aug, 2019 12:39 PM

post matric scholarship 26 crore scam in 3 districts

हरियाणा अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग में पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप (पी.एम.एस.) के नाम पर करोड़ों रुपए हड़पने का खुलासा विजीलैंस ने अपनी प्राथमिक जांच में कर दिया है। विजीलैंस ने

चंडीगढ़, (पांडेय): हरियाणा अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग कल्याण विभाग में पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप (पी.एम.एस.) के नाम पर करोड़ों रुपए हड़पने का खुलासा विजीलैंस ने अपनी प्राथमिक जांच में कर दिया है। विजीलैंस ने जांच में तीन जिलों सोनीपत, रोहतक व झज्जर में 26 करोड़ के घोटाले का अंदेशा जताया है जबकि अन्य जिलों की जांच अभी शुरू नहीं हुई है। इस घोटाले को उजागर करने वाले खुद विभाग के तत्कालीन निदेशक आई.ए.एस. संजीव वर्मा थे,जिनका बाद में सरकार ने तबादला कर दिया था।

वर्मा की शिकायत पर ही चंडीगढ़ पुलिस ने मुकद्दमा दर्ज कर जांच शुरू की थी जिसे बाद में सरकार ने विजीलैंस ब्यूरो को सौंप दिया था। अब विजीलैंस ने सरकार के जरिए चंडीगढ़ पुलिस में दर्ज एफ.आई.आर. को वापस लेने का आग्रह किया है। वहीं विजीलैंस ने इस मामले में पहली एफ.आई.आर. दर्ज करते हुए विभाग के डिप्टी डायरैक्टर व जिला कल्याण अधिकारियों सहित दर्जनों लोगों को आरोपी बनाया है। विजीलैंस की ओर से तीन वर्षों 2015-16, 2016-17 व 2017-18 के तहत बांटी गई छात्रवृत्ति की जांच की जा रही है।

बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में हरियाणा विजीलैंस ब्यूरो के महानिदेशक डा. के.पी. सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए पी.एम.एस. योजना में छात्रवृत्ति की राशि में करोड़ों रुपए के गबन संबंधी रिपोर्ट मिलने के बाद ब्यूरो को जांच सौंपी थी। इस मामले में भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मंगलवार को एक एफ.आई.आर. दर्ज की गई है। 

बैंक में आधार नंबर नहीं मिलने से हुआ घोटाले का खुलासा 
डा.के.पी. सिंह ने बताया कि जब बैंक ने योजना से संबंधित खातों में मिसमैच पाया तो बैंक की शिकायत पर संबंधित विभाग ने इस मामले की जांच की,जिसके बाद ब्यूरो को पूरे मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया। अब तक की पड़ताल में पाया गया कि घोटालेबाजों ने फर्जी संस्थानों, आधार कार्ड नंबर बदलकर व फर्जी छात्रों के नाम पर भी छात्रवृत्ति योजना तहत राशि लेकर गबन किया है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि अब तक की जांच में लगभग 30-40 प्रतिशत छात्र फर्जी पाए गए हैं और फर्जी संस्थानों की संख्या 25-30 प्रतिशत है। ब्यूरो द्वारा 2015 के बाद पी.एम.एस. योजना के तहत दी गई राशि की जांच की जा रही है।

1981 से चल रही है केंद्र सरकार की छात्रवृत्ति योजना 
डा. के.पी. सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 1981 में शुरू की गई योजना को 2015 से पहले ऑफलाइन लागू किया जा रहा था। इस योजना को वर्ष 2016 से ऑनलाइन किया गया था। जांच दौरान पाया गया कि इस योजना तहत लाभाॢथयों के आधार नंबर से छेड़छाड़ कर फर्जी खातों में धन हस्तांतरित करके पात्र छात्रों की राशि का गबन राज्य के विभिन्न जिलों में किया जा रहा था। ब्यूरो के अधिकारियों ने सोनीपत,रोहतक और झज्जर जिले में पिछले तीन वर्षों के आंकड़ों का विश्लेषण किया,जहां जांच में पता चला कि लगभग 26 करोड़ रुपए की राशि अपात्र लाभाॢथयों के बीच वितरित की गई है। यह भी पता चला कि छात्रों के आधार नंबर व खाता नंबर बदलकर अन्य खातों में पैसा जमा किया गया था।

इन अफसरों के खिलाफ दर्ज हुई एफ.आई.आर.
विजीलैंस ने अपनी जांच में विभाग के उप-निदेशक अनिल कुमार,हाल ही में सेवानिवृत्त उप-निदेशक राजेंद्र सिंह सांगवान,जितेंद्र सिंह सहायक, बिलेंद्र सिंह सहायक,कुलजीत सिंह डाटा एंट्री आप्रेटर,सुशील कुमार जिला कल्याण अधिकारी सोनीपत, सुरेंद्र कुमार कार्यवाहक जिला कल्याण अधिकारी सोनीपत,रेणु सिसोदिया जिला कल्याण अधिकारी रोहतक, बलवान सिंह तत्कालीन जिला कल्याण अधिकारी रोहतक,जयदेव सिंह तत्कालीन जिला कल्याण अधिकारी रोहतक (हाल ही में सेवानिवृत्त और मृतक), सुरेंद्र कुमार लेखाकार कम लिपिक तथा निजी व्यक्तियों अरविंद सांगवान हिसार,नवीन रोहतक,तेजपाल भिवानी व राहुल रोहतक के खिलाफ धारा 218, 409, 420, 466,471,120-बी व 31 (1) सी. व डी./13 (2) पी.सी. एक्ट 1988 के तहत अभियोग पंजीकृत किया गया है।  

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