दुष्कर्म की घटनाओं के लिए अश्लील साइट्स जिम्मेदार, वेबिनार में पीड़िताओं ने सुनाई आपबीती

Edited By vinod kumar, Updated: 12 Jul, 2020 02:57 PM

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देश में हर रोज औसतन 90 से अधिक दुष्कर्म के मामले दर्ज हो रहे हैं। इनमें से बहुत ही कम पीड़िता दोषियों को सजा मिलते देख पाती हैं। अगर अदालतों में न्याय मिलने की दर देखी जाए तो साल 2002 से 2011 के बीच यह 26 प्रतिशत तक थी। 2012 के बाद अदालतों में फैसले...

चंडीगढ़: देश में हर रोज औसतन 90 से अधिक दुष्कर्म के मामले दर्ज हो रहे हैं। इनमें से बहुत ही कम पीड़िता दोषियों को सजा मिलते देख पाती हैं। अगर अदालतों में न्याय मिलने की दर देखी जाए तो साल 2002 से 2011 के बीच यह 26 प्रतिशत तक थी। 2012 के बाद अदालतों में फैसले मिलने की दर में कुछ सुधार आया और सरकार ने दुष्कर्मियों को सजा दिलाने के सख्त कानून बनाए। 2016 में यह दर दोबारा गिरकर 25 प्रतिशत पर आ गई। 2017 से अब तक न्याय की दर 32 से 35 प्रतिशत के बीच पहुंच गई, लेकिन दुष्कर्मियों को मिलने वाली सजा का यह आंकड़ा उम्मीद से कहीं कम है।

 देश में दुष्कर्म की घटनाओं के लिए भले ही अलग-अलग कारण रहे हों, लेकिन अधिकतर लड़कियों ने इसके लिए अश्लील (पोर्न) साइट्स को बड़ा जिम्मेदार माना है। वार अंगेस्ट रेप अभियान के तहत आयोजित वेबिनार में लड़कियों ने किसी सार्वजनिक प्लेटफार्म पर पहली बार दुष्कर्म के कारण पीड़िता को मिलने वाले न्याय और सरकार के साथ न्यायपालिका की भूमिका पर खुलकर चर्चा। दिल्ली के निर्भया रेप केस की एडवोकेट सीमा समृद्धि और अंतरराष्ट्रीय डाक्यूमेंट्री मेकर विभा बख्शी समेत कई बुद्धीजीवियों ने देश में बनाए गए सख्त कानूनों का हवाला देते हुए रेपिस्ट (दुष्कर्मी) के खिलाफ न्याय मिलने तक जंग जारी रखने की प्रेरणा दी।

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दुष्कर्म की शिकार दो लड़कियां इस वेबिनार में शामिल हुई हैं। हरियाणा के इतिहास में पहली बार किसी प्लेटफार्म पर आकर दुष्कर्म की शिकार इन लड़कियों ने अपनी ह्रदय विदारक आपबीती सुनाई। सेल्फी विद डाॅटर फाउंडेशन एंड कंपेन की ओर से वार अंगेस्ट रेप अभियान की शुरुआत करने का साहस जुटाया है। फाउंडेशन के संयोजक सुनील जागलान पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के नेतृत्व वाले फाउंडेशन के सलाहकार भी हैं। इस वेबिनार में हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र समेत विभिन्न राज्यों में दुष्कर्म के आंकड़े पेश करते हुए इसके कारणों पर खुलकर चर्चा की गई। साथ ही न्याय में देरी की वजह भी तलाश करने की कोशिश हुई है।

वेबिनार में अधिकतर वक्ताओं ने कहा कि पोर्न साइट्स दुष्कर्म की बढ़ती प्रवृत्ति की जिम्मेदार हैं। केंद्र सरकार ने एक बार इस पर प्रतिबंध भी लगाया था, लेकिन वह प्रभावित पक्ष के विरोध के आगे टिक नहीं पाया, जिसे सख्ती से लागू किए जाने की जरूरत है। वेबिनार में कुछ वक्ता लड़कियों ने यह भी कहा कि दुष्कर्म करने वालों में ज्यादातर नजदीकी होते हैं। 

लॉकडाउन के दौरान महिलाओं के प्रति यौन उत्पीड़न की बढ़ी घटनाओं का हवाला देते हुए थायसन रियूटर्स फेलो परी साईका ने उन्हें इसका विरोध करने के लिए प्रेरित किया। विश्वविद्यालय की छात्रा अंजलि शर्मा ने दुष्कर्म की घटनाओं के बाद राजनेताओं की सोच पर प्रस्तुतिकरण दिया। सेल्फी विद डाॅटर फाउंडेशन एंड कंपेन से जुड़ी अंजुम इस्लाम, शहनाज, रिजवाना, वसीमा, आरस्तुन, अनवी अग्रवाल, पूजा और प्रिया पांडेय ने इस बहस में हिस्सा लेते हुए लड़कियों के इस संवेदनशील टॉपिक पर आगे आने को अच्छी पहल बताया। 

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निर्भया केस में एडवोकेट सीमा समृद्धि ने विभिन्न मामलों में आई धमकियों का जिक्र करते हुए कहा कि अब सरकारों ने कानून सख्त बना दिए हैं। इसलिए यदि मजबूत पैरवी की जाए तो न्याय मिलना आसान है। अंतरराष्ट्रीय डाक्यूमेंट्री मेकर विभा बख्शी ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार को पोर्न साइट्स पर सख्ती से प्रतिबंध लगाने की दिशा में कड़ा फैसला लेना होगा।

यह छह बड़े कारण बन रहे दुष्कर्म की वजह 
सेल्फी विद डाॅटर फाउंडेशन के संयोजक सुनील जागलान के मुताबिक करीब ढ़ाई घंटे तक चले वेबिनार में पोर्न साइट्स, नशे के फैलते जाल, पुरुषों की दुर्बल मानसिकता, महिलाओं का कमजोर आत्मविश्वास, किसी भी शहर या गांव में मवालियों का एकांत अड्डा, मजबूत कानून के बावजूद कमजोर पैरवी तथा सामाजिक मान मर्यादा का डर न केवल अपराध का बड़ा कारण है, बल्कि न्याय में बड़ी बाधा है। वेबिनार में एडवोकेट सीमा समृद्धि ने पीड़िताओं की पैरवी में सहयोग का भरोसा दिलाया है।

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