Edited By Rakhi Yadav, Updated: 09 Oct, 2018 12:06 PM
नूंह मेवात के मूलथान गांव का रहने वाला इशाक पुत्र हुरमत अपने जमीन के टुकड़े की लड़ाई 21 सालों से लड़ रहा है। लेकिन अबी तक भी उसे 9 मरला जमीन पर कब्ज़ा नहीं मिल पाया है। इस दौरान सूबे में इनैलो, कांग्रेस, भाजपा की सरकार बदली....
नूंह मेवात(ऐके बघेल): नूंह मेवात के मूलथान गांव का रहने वाला इशाक पुत्र हुरमत अपने जमीन के टुकड़े की लड़ाई 21 सालों से लड़ रहा है। लेकिन अबी तक भी उसे 9 मरला जमीन पर कब्ज़ा नहीं मिल पाया है। इस दौरान सूबे में इनैलो, कांग्रेस, भाजपा की सरकार बदली लेकिन किसी ने भी इस गरीब की फरियाद नहीं सुनी। हाथों में शिकायत लेकर गरीब ने तहसीलदार नगीना से लेकर उपायुक्त मेवात तक चक्कर काटे ,लेकिन सिवाय भरोसे और पैमाईश के कुछ नहीं मिला।
किसान की उम्र 55 वर्ष है। उसने दो दशक पहले जमीन का एक टुकड़ा मूलथान गांव में खरीदा था। ग्राम पंचायत और कुछ ग्रामीणों ने उसमें तालाब के अलावा अवैध कब्ज़ा कर लिया। उसने कोशिस की कि ये सब भाईचारे से उसकी जमीन दे दें, लेकिन बात नहीं बनी। आख़िरकार गरीब ने इंसाफ के लिए आला अधिकारियों से लेकर ग्रीवेंस कमेटी के दरवाजे खटखटाये। फैसले भी पक्ष में आये, दर्जनों बार जमीन के टुकड़े की पैमाईश भी हुई। लेकिन आधी उम्र निकल गई पर अधिकारी व सरकार कब्ज़ाधारियों से जमीन नहीं दिला पाए। अब तो ऐसा लगता है कि जैसे जमीन का टुकड़ा लेने के लिए गरीब परिवार को शायद दूसरा जन्म लेना होगा।
इशाक ने पत्रकारों को बताया कि अधिकारी और सरकार दावे तो बड़े - बड़े करते हैं ,लेकिन उनमें सच्चाई कतई नहीं है। कितनी सरकार बदली, कितने ग्रीवेंस के चैयरमेन बदले, कितने डीसी, तहसीलदार बदले, लेकिन मेरा नसीब नहीं बदल सके। मैंने इंसाफ के लिए हिम्मत नहीं हारी है। खास बात तो यह है कि अधिकारियों की जांच में साफ हो चुका है कि जमीन का टुकड़ा मेरा है। लेकिन दिलाने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पा रहा है। इशाक का सिस्टम से भरोसा उठ चुका है।