कुल्फी बेचने को मजबूर है इंटरनेशल लेवल का ये गोल्ड मेडलिस्ट

Edited By Shivam, Updated: 26 Oct, 2018 09:23 PM

poor condition of a international gold medalist

बॉक्सिंग के रिंग में अच्छे-अच्छे खिलाडिय़ों के छक्के छुड़वाने वाला खिलाड़ी दिनेश इन दिनों कुल्फी की रेहड़ी लगाने को मजबूर है। उसे यह इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि चोट लगने के कारण उसके पिता ने इलाज के लिए किसी से उधार पैसे लिए थे। पैसे उधार लेने के...

भिवानी (अशोक): बॉक्सिंग के रिंग में अच्छे-अच्छे खिलाडिय़ों के छक्के छुड़ा देने वाला खिलाड़ी दिनेश इन दिनों कुल्फी की रेहड़ी लगाने को मजबूर है। उसे यह इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि चोट लगने के कारण उसके पिता ने इलाज के लिए किसी से उधार पैसे लिए थे। उधार लिए उन पैसों को वह इसलिए नहींं चुका पाया, क्योंकि परिवार की माली हालत कमजोर थी। अब वह चोट लगने के कारण खेल भी नहींं पा रहा है। उसकी मजबूरी अब इतनी बढ़ गई है कि वह रोज रेलवे फाटक के पास रेहड़ी लगाकर कुल्फी बेच रहा है, जबकि उसने कई अंतरराष्ट्रीय मैच जीतकर देश व प्रदेश का नाम रौशन किया है।

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सरकार चाहे खिलाड़ियों के फायदे के लिए कितनी बड़ी-बड़ी खेल नीति बनाने के दावे करे, लेकिन ये दावे हवा-हवाई ही साबित हो रहे हैं। दिनेश जिसने खेल में अपना लोहा मनवाया, लेकिन बॉक्सिंग में चोट लगने के कारण उसे इलाज के लिए उधार पैसे लेने पड़े। इससे पहले भी कहीं दूर-दराज खेलने के लिए जाता था तो उसे पैसे उधार लेने पड़ते थे, क्योंकि दिनेश के पिता भी रेहड़ी पर फेरी लगा कर अपना तथा अपने परिवार का पेट पालते थे। दिनेश के पिता का सपना था कि उनका बेटा बढ़िया बॉक्सर बने और देश व प्रदेश का नाम रौशन करे। दिनेश उसी राह पर चल भी रहा था, लेकिन चोट लगने के कारण वह जिदंगी के इस खेल से हार गया और उसे खेल छोड़ना पड़ा। 

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पहले खेलने के लिए बाहर जाने पर कर्ज लेना पड़ता था, लेकिन एक उम्मीद थी कि कभी सरकार खेल को देखकर नौकरी या इनाम देगी तो सारा कर्ज उतर जाएगा। दिनेश ने खेल में काफी उपलब्धियां हासिल की। उसने 17 गोल्ड मेडल लिए, 1 सिल्वर तो 5 ब्रांज मेडल लेकर देश व प्रदेश का नाम रौशन किया। खेल प्रतिस्पर्धा में इतना नाम कमाने के बावजूद उसे नौकरी नहीं मिली। एक दिन सडक़ दुघर्टना में दिनेश को चोट लग गई। पैसा उधार लेकर उसका इलाज हुआ। जिंदगी तो बच गई, लेकिन खेल छूट गया। कर्ज की राशि ब्याज के साथ बढ़ती गई। 

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दिनेश का कहना है कि उसने खेलने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। खूब नाम कमाया और देश को 17 गोल्ड मेडल, 1 सिल्वर व 5 ब्रॉन्ज मेडल दिए। उनका कहना है कि देश के लिए उसने सब कुछ किया, लेकिन सरकार ने उसके लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने बताया कि ना तो पिछली सरकार ने, ना ही इस सरकार ने कुछ किया। इस वजह से आज वह कुल्फी बेचने पर मजबूर हैं।

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