दिल्ली के प्रदूषण में पराली के प्रदूषण की स्टडी की जाए तो इसकी लिमिट 10 से 15% से ज्यादा नहीं: देवेन्द्र सिंह

Edited By Manisha rana, Updated: 23 Oct, 2020 09:46 AM

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हरियाणा के जल संसाधन एवम् कृषि विभाग के एडिशनल चीफ सेकेटरी देवेन्द्र सिंह से पंजाब केसरी के विशेष प्रतिनिधि चन्द्रशेखर धरणी ने विशेष मुलाकात की। जिसमें उन्होने हाल ही में पराली जलाने जैसे ज्वलन शील मुददे ...

चंडीगढ़ (चंद्र शेखर धरणी) : हरियाणा के जल संसाधन एवम् कृषि विभाग के एडिशनल चीफ सेकेटरी देवेन्द्र सिंह से पंजाब केसरी के विशेष प्रतिनिधि चन्द्रशेखर धरणी ने विशेष मुलाकात की। जिसमें उन्होने हाल ही में पराली जलाने जैसे ज्वलन शील मुददे पर चर्चा के साथ ही हाल ही में चल रही किसानों की योजनाओं के बारे में चर्चा हुई। इस मौके पर प्रदेश के कुछ जिले जिसमें कृषि उपयोगी पानी नही है वंहा पानी पहुंचाने की योजनाओं पर भी चर्चा हुई।

देवेन्द्र सिंह ने कहा कि अगर दिल्ली के प्रदूषण में पराली के प्रदूषण की स्टडी की जाए तो मेरे हिसाब से इसकी लिमिट 10 से 15 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है। पराली को जलाने के 159 मुकदमें एयर पॉल्यूशन एक्ट के तहत दर्ज किए जा चुके और फाइन भी लगाया गया है। जिनसे बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैंः-

प्रश्न : पराली जलाने के मामले कितने मुकदमे दर्ज हुए हैं और किस प्रकार से इसे रोक रहे हैं?
उत्तर : भारत और हरियाणा सरकार ने मिलकर इन सीटू मैनेजमेंट जिसमें स्ट्रा को काट कर या तो फैलाकर वहीं दबा दिया जाता है जो कि खेत में खाद का भी काम करे और उपर से बीज बोया जाता है और दूसरा तरीका है एक्स सी 2 मैनेजमेंट जिसमें पराली को बेलिंग के माध्यम से बेल बनाई जाती है। जिसे पेपर मिल, शुगर मिल बायोगैस के लिए इंडस्ट्री इस्तेमाल करती है इसमें भेज दिया जाता है दोनों में किसान को प्रोत्साहित करने के लिए इंडिविजुअल किसान मशीनें लेगा इसमें नौ मशीनों का सेट रोटावेटर, हैप्पीसीडर, कटर इत्यादि इसमें होते हैं। इसमें हर मशीन पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी और कस्टम हायरिंग सेंटर जिन्होंने तीन चार मशीनें लेनी है। जो ज्यादा यूज होती हैं उन्हें 80 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है।

प्रश्न : अब तक कितने किसानों को यह मशीनें दी गई हैं और कितने हायरिंग सेंटर हैं?
उत्तर : पिछले 3 साल में 3800 फायरिंग सेंटरों को 25 हजार के करीब मशीनें दे दी जा चुकी हैं। इंडिविजुअल किसान को मिलाकर करीब 37,000 मशीनें हैं जो कि अगर 50 प्रतिशत भी यूटिलाइजेशन हो तो करीब 15 लाख हेक्टेयर को ट्रीट कर सकती हैं। जो एक्टिव फायर लोकेशन आई.सी.आर. के द्वारा लोकेट की गई हैं। उनका एरिया लगभग ढाई लाख हेक्टेयर आता है। हरियाणा सरकार ने किसान को बेलिंग सिस्टम से यूज करने और पराली को बेचने पर 50 प्रति क्विंटल यानी लगभग 1000 प्रति एकड़ देने का निर्णय किया है। जिसमें डेढ़ सौ करोड़ का प्रावधान किया गया है

प्रश्न : दिल्ली के मुख्यमंत्री प्रदूषण के लिए हरियाणा पंजाब की पराली को जिम्मेदार मानते हैं?
उत्तर : अगर दिल्ली के प्रदूषण में पराली के प्रदूषण की स्टडी की जाए तो मेरे हिसाब से इसकी लिमिट 10 से 15 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगी। उनका यह कहना कि प्रदूषण पराली से ही हो रहा है तो यह ठीक नहीं है।

प्रश्न : फिलहाल तक कितनी पराली की डिमांड है?
उत्तर : कंप्रेस्ड बायोगैस के लगभग 66 प्लांट जो पराली की डिमांड कर रहे हैं। वह डेढ़ लाख टन खरीद कर चुके हैं और 8 लाख टन की हमें उम्मीद है कि वह खरीद लेंगे। अगर सारे प्लांट ऑपरेशन में आने के बाद 15 लाख टन की डिमांड हो जाएगी। इंडियन ऑयल कारपोरेशन से भी हमारी बात चल रही है वहां भी 2 लाख टन की खपत हो सकती है। इस प्रकार से 3 साल के प्रयास में बहुत अच्छा रिजल्ट मिला है। किसान जो कि ज्यादा कुरूक्षेत्र, अंबाला इत्यादि में इस प्रकार से पराली को जलाते हैं। 159 मुकदमें एयर पॉल्यूशन एक्ट के तहत दर्ज किए जा चुके है और फाइन भी लगाया जाता है।

प्रश्न : इसके बाद भी पराली जलाने की घटना नहीं रुक रही। आगे क्या रणनीति है?
उत्तर : इसमें इंफॉर्मेशन, एजुकेशन और कम्युनिकेशन की जरूरत है। कुछ वैज्ञानिकों से हमारी बात हुई है वह एक और टेक्नोलॉजी पर स्टडी कर रहे हैं। सेंट्रल गवर्नमेंट ऑफ इंडिया से मिलकर पराली को डी कंपोज भी किया जा सकता है। इसका रिजल्ट दिसम्बर तक आ जाएगा। किसान मेले में भी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने खरीफ फसल के दौरान जो कि पहले फिजिकल की जगह वर्चुअल करके समझाया गया कि पराली को जलाने का कितना बड़ा नुकसान है और इन सीटू मैनेजमेंट करने से उनकी जमीन में पोषक तत्व बढ़ जाते है।

प्रश्न : मेरा पानी मेरी विरासत सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। उसमें कितने लोग अब तक जुड़ चुके हैं?
उत्तर : यह स्कीम मुख्यमंत्री जी के हृदय के बहुत नजदीक है। मेरा पानी मेरी विरासत का मुख्य उद्देश्य है कि ग्राउंड पुरानी लिमिटेड क्वालिटी पानी है। इसको कैसे संभाला जाए। कैसे ठीक प्रकार से प्रयोग किया जाए जिससे आने वाली पीढ़ी की इस विरासत को समाप्त कर बैठें। इसलिए धान जैसी फसल जिसमें दूसरी फसल से 4-5 गुणा पानी ज्यादा लगता है इसके लिए सरकार ने किसान के दूसरी फसल जैसे कपास मक्का उगाने पर 7000 प्रति एकड़ हरियाणा सरकार देने का फैंसला किया है। मेरा पानी-मेरी विरासत स्कीम से लगभग 1 लाख एकड़ पोर्टल पर दर्ज की जा चुकी है।

प्रश्न : जो तीन कृषि कानून आए हैं। उन्हें सरल भाषा में समझाइए?
उत्तर : कानून का मकसद पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट जिसे कहते हैं कि किसान को ज्यादा कीमत दिलवाना। करनाल में हाल में हमने डेढ़ सौ प्रोग्रेसिव किसान बुलाए थे। एक सेमिनार किया गया था और खुलकर चर्चा हुई। एक्सपर्ट भी इसमें बुलाए गए थे। हरियाणा ही एकमात्र ऐसा देश है जहां लगभग 8 फसलें ऐसी है जो कि स्टेट बजट से किसान की पूरी फसल एमएसपी पर खरीदती है। यह भ्रांति फैलाई जाती है कि एम.एस.पी. पर फसल नहीं खरीदी जाएगी। जबकि धान, सूरजमुखी, मूंगफली इत्यादि 8 फसलें ऐसी हैं जिन्हे सौ प्रतिशत स्टेट गवर्नमेंट खरीदती है। प्राइवेट सेक्टर के लोग इन्वेस्टमेंट अगर करते हैं और वैरायटी की फसल किसान के साथ अनुबंध करके आते हैं और ज्यादा कीमत किसान को मिलती है तो किसान को फायदा होगा अगर एम.एस.पी. से ज्यादा कीमत नहीं मिलती तो किसान के लिए मंडी उपलब्ध हैं। इस प्रकार एग्रीमेंट करने की पावर मिल गई। रेट एडवांस में तय हो रहे हैं और रही बात की किसान बड़े कॉरपोरेट से कैसे लड़ेगा। तो उसमें पहले किसान एस.डी.एम. के पास अपील करेगा और फिर फिर डी.सी. से। जो कि सरकार के ही अधिकारी हैं। वह किसान के ही हितों की रक्षा करने के काम करेंगे। अगर अनुबंध के तहत किसान को कुछ रकम देनी भी निकलती है तो किसान की जमीन को वह कोई भी नहीं छू पायेगा ऐसा भी इसमें प्रावधान किया गया है।

प्रश्न : क्या दक्षिण हरियाणा जैसे सिरसा, हिसार में कृषि उपयोगी पानी प्राप्त है?
उत्तर : पानी भाखड़ा और यमुना से आता है भाखड़ा में दूसरे स्टेट से अनुबंध होने के कारण हमारा हिस्सा है और उसके मुताबिक वाराबंदी के थ्रू या रोटेशन सिस्टम के द्वारा उपलब्ध करवाते हैं। एस.वाई.एल. पर भी सुप्रीम कोर्ट ने हमारे हक में फैसला किया है। वेस्टर्न यमुना कैनाल में बारिशों के दौरान 30-35 दिन तक बहुत ज्यादा पानी आता है और नीचे बहकर निकल जाता है। उसकी कैपेसिटी 5000 क्यूसिक तक बढ़ा देने की भी हमारी स्कीम है। बारिश के पानी को टैंक करके इस्तेमाल करें। भारत सरकार ने एम.आई फंड में से 1000 करोड़ हरियाणा के लिए मंजूर किए हैं। जोकि माइक्रो इरीगेशन के थ्रू किए गए हैं इसमें नहर के या एवं सीवरेज प्लांट के पानी को डे्रन में न छोड़कर किसानों तक पहुंचाने की स्कीम है।

प्रश्न : भावांतर योजना की क्या स्थिति है?
उत्तर : 1 जनवरी 2018 को यह स्कीम हरियाणा में शुरू की गई थी। देश में सबसे पहले 1,47,763 एकड़ में पचास हजार किसानों को पंजीकृत किया गया था। अब तक 4 हजार किसानों को 10 करोड 88 लाख रूपये दिए जा चुके हैं। इसमें लगभग 10 सब्जियां हैं उनको कवर किया गया है। मिनिमम प्राइस से मार्केट प्राइस से कंपैरिजन करके यह दिया जाता है।

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