‘महज रौब जमाने के लिए नहीं मिलेगी पुलिस सुरक्षा’

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 25 May, 2018 09:31 AM

police protection  will not be available for justification

जिले के कुछ माननीय नेताओं के साथ-साथ उन स्वयंभू वी.आई.पी. लोगों की सुरक्षा में भी कटौती हो सकती है जो बिना जरूरत के महज टशन मारने एवं लोगों पर रौब झाडऩे के लिए हरियाणा पुलिस के सुरक्षा कर्मियों को अपने....

रोहतक(देवेंद्र): जिले के कुछ माननीय नेताओं के साथ-साथ उन स्वयंभू वी.आई.पी. लोगों की सुरक्षा में भी कटौती हो सकती है जो बिना जरूरत के महज टशन मारने एवं लोगों पर रौब झाडऩे के लिए हरियाणा पुलिस के सुरक्षा कर्मियों को अपने साथ लिए घूमते हैं। पुलिस कप्तान के रवैये को देखते हुए कहा जा सकता है कि ऐसे कई लोगों की सुरक्षा में आने वाले दिनों में कटौती होनी तय है। 

एस.पी. रोहतक जश्नदीप सिंह रंधावा ने जिले में सरकारी सुरक्षा गार्ड प्राप्त लोगों का ब्यौरा तलब किया है। यह कवायद इसलिए की जा रही है ताकि सुरक्षा लिए बैठे लोगों का सिक्योरिटी रिव्यू किया जा सके और जिसे जितनी जरूरत हो सिर्फ उसी के मुताबिक सुरक्षा गार्ड मुहैया करवाए जाएं।

फिलहाल की बात यदि करें तो रोहतक जिले में अनेक ऐसे लोग हैं जिनको वाकई में सुरक्षा की जरूरत नहीं है लेकिन फिर भी वे अपना रौब बनाने के लिए जैसे-तैसे जुगाड़ लगाकर सुरक्षा लिए बैठे हैं। यह सुरक्षा लगातार रहे इसके लिए कुछ लोगों द्वारा बीच-बीच में सिक्योरिटी थ्रैट जैसे सक्रिप्टिड सीन भी क्रिएट किए जाते हैं।

इसमें खास बात यह भी है कि ऐसे लोगों के लिए बाकायदा कुछ भ्रष्ट किस्म के पुलिस अधिकारी या कर्मचारी ही मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं। फीलगुड के अलावा दूसरा कोई कारण नजर नहीं आता कि पुलिस कर्मचारी या अधिकारी ऐसा करने के लिए बाध्य हों।

चूंकि, किसी को भी सुरक्षा उपलब्ध करवाने के लिए संबंधित चौकी इंचार्ज एवं पुलिस थाने के स्टेशन हाऊस ऑफिसर की रिपोर्ट के साथ-साथ सिक्योरिटी ब्रांच के एस.ए. की इनपुट भी बेहद महत्व रखती है लिहाजा बिना जरूरत के सिर्फ रौब दिखाने को सिक्योरिटी गार्ड चाहने वालों द्वारा ऐसे कर्मचारियों एवं अधिकारियों की सेवा-पानी में भी कोई कसर नहीं छोड़ी जाती।

दरअसल, उनको मालूम है कि यहां से रिपोर्ट यदि पक्ष में नहीं गई तो ऊपर के अफसर सिक्योरिटी गार्ड विड्रा करने के आदेश निकल सकते हैं लिहाजा निचले स्तर पर पुलिस के साथ मधुर संबंध बनाए रखना इन स्वयंभू वी.आई.पी. की मजबूरी भी है।

बेशक, इन तथाकथित माननियों एवं स्वयंघोषित वी.आई.पी. के जान-माल को रत्ती भर भी खतरा नहीं हो लेकिन सरकारी गनमैन को साथ लेकर चलने में ये लोग अपने शान समझते हैं। शायद, इन तमाम बातों को जहन में रखते हुए ही एस.पी. रंधावा ने सिक्योरिटी रिव्यू का निर्णय लिया है।
 


 

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