जाट आरक्षण आंदोलन: हिंसा मामले के आरोपी वीरेन्द्र सिंह को निर्दोष करार देने की अर्जी दाखिल

Edited By Shivam, Updated: 30 Nov, 2019 04:30 PM

plea for acquittal virendra singh in violence case of jat reservation agitation

जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा व आगजनी के मामले में नया मोड़ आ गया है। मामले में देशद्रोह जैसे गंभीर आरोपों का सामना कर रहे पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के राजनीतिक सलाहकार रहे प्रो. वीरेंद्र सिंह व कांग्रेस की ग्रामीण इकाई के पूर्व...

रोहतक: जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा व आगजनी के मामले में नया मोड़ आ गया है। मामले में देशद्रोह जैसे गंभीर आरोपों का सामना कर रहे पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के राजनीतिक सलाहकार रहे प्रो. वीरेंद्र सिंह व कांग्रेस की ग्रामीण इकाई के पूर्व अध्यक्ष जयदीप धनखड़ ने शुक्रवार को अदालत में खुद को निर्दोष बताते हुए आरोपों से डिस्चार्ज करने की अर्जी लगाई है। एडीजे रितु वाईके बहल की अदालत ने पुलिस व सरकार से 4 दिसंबर तक जवाब मांगा है। पांच दिसंबर को अर्जी पर दोनों पक्षों में बहस होगी।

बचाव पक्ष के वकील जेके गक्खड़ ने अदालत में दाखिल अर्जी में कहा पुलिस के आरोप पत्र में प्रो. वीरेंद्र को ऑडियो क्लीप के आधार पर आरोपी बनाया गया है। पूरी क्लीप का अध्ययन करें तो उसमें कहीं भी ऐसा शब्द नहीं है, जिसमें वे किसी को भड़का रहे हैं। तर्क दिया कि सांपला में जब जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान धरना चल रहा था, वहां पर इनसो से जुड़े लोगों की गतिविधियां चल रही थी। मानसिंह दलाल इनेलो के नेता रहे हैं। इसलिए वे मानसिंह दलाल को फोन करके यह कह रहे थे कि देशवाली बेल्ट में सब अच्छा चल रहा है। इनसो वाले सिरसा में करें जो करना है।

वकील का तर्क है कि यहां उनका मतलब यह था कि रोहतक में आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है। दूसरा, पुलिस ने अपनी चार्जशीट के अंदर बताया है कि 12 से 25 फरवरी 2016 को उनकी 41 लोगों से मोबाइल पर बात हुई, जिसकी लोकेशन सांपला या एमडीयू के नजदीक स्थित टावर के एरिया में मिली है। तर्क दिया कि उक्त लोगों में कोई भी आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज 1202 केसों में से किसी में भी आरोपी या गवाह नहीं है। अब तक एक भी व्यक्ति सामने नहीं आया है, जो यह कहे कि उसने प्रोफेसर के कहने से हिंसा की। ऐसे में उनके खिलाफ लगाई गई धाराओं को खत्म कर केस से डिस्चार्ज किया जाए।


उधर, कांग्रेस की ग्रामीण इकाई के पूर्व जिला अध्यक्ष जयदीप धनखड़ की तरफ से उनके वकील पीयूष गक्खड़ ने अर्जी लगाई है। धनखड़ ने तर्क दिया है कि 1 से 28 फरवरी तक वे न केवल रोहतक, बल्कि प्रदेश से बाहर रहे। 18 फरवरी को शाम पांच बजकर 13 मिनट पर वे चंडीगढ़ थे। प्रो. वीरेंद्र सिंह ने कहा कि उनकी मानसिंह दलाल से बात कराएं। मैंने फोन मिलाकर दे दिया। ऐसे में मैं कैसे पूरे मामले में दोषी हुआ। दूसरा, पुलिस ने आरोप पत्र में बताया है कि 12 से 25 फरवरी के बीच उनकी सांपला व एमडीयू स्थित टावर की रेंज में मौजूद 80 से ज्यादा लोगों से फोन पर बात हुई। उक्त लोगों में किसी का भी हिंसा से जुड़े केसों से संबंध नहीं है। ऐसे में उनको भी केस से डिस्चार्ज किया जाए।

यह रहा मामला
जाट आरक्षण की मांग को लेकर फरवरी 2016 में प्रदेश के अंदर आंदोलन चला। इसके लिए सांपला में सबसे पहले नेशनल हाईवे जाम हुआ। बाद में आंदोलन हिंसक हो गया। 18 फरवरी के बाद रोहतक के साथ-साथ झज्जर, सोनीपत, जींद, हिसार, भिवानी, कैथल व दूसरे एरिया में हिंसक घटनाएं शुरू हो गई। रोहतक में तो तत्कालीन वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु की कोठी तक जला दी गई। 23 फरवरी को भिवानी निवासी कैप्टन पवन ने सिविल लाइन थाने में केस दर्ज कराया कि आंदोलन के दौरान पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के राजनीतिक सलाहकार रहे प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह की एक आडियो वायरल हुई। 

आडियो में वीरेंद्र सिंह फोन पर दलाल खाप के तत्कालीन प्रवक्ता मानसिंह दलाल से बातचीत कर रहे हैं। शिकायतकर्ता का आरोप था कि प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह की बातचीत से आंदोलन भड़का। पुलिस ने प्रोफेसर वीरेंद्र के खिलाफ देशद्रोह सहित गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। तीन जांच की जांच पड़ताल के बाद 2019 में सिविल लाइन थाना पुलिस ने अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। अब एडीजे रितु वाईके बहल की अदालत में आरोप तय करने की प्रक्रिया चल रही है। शुक्रवार को आरोप पत्र पर बहस होनी थी। उससे पहले ही बचाव पक्ष ने डिस्चार्ज करने की याचिका दायर कर दी।

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