आढ़ती एसोसिएशन ने वक्त की नजाकत को देखते हुए हड़ताल को वापस ले लिया: पीके दास

Edited By vinod kumar, Updated: 23 Apr, 2020 07:23 PM

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खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने बताया कि हरियाणा के आढ़तियों से बातचीत के जरिये उनकी नाराजगी दूर कर दी गई है। पीके दास ने बताया कि बुधवार को उन्होंने व संजीव कौशल ने विभिन्न आढ़ती एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ वीडियो...

चंडीगढ़(धरणी): खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने बताया कि हरियाणा के आढ़तियों से बातचीत के जरिये उनकी नाराजगी दूर कर दी गई है। पीके दास ने बताया कि बुधवार को उन्होंने व संजीव कौशल ने विभिन्न आढ़ती एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बात की थी।

जिनके मन में कुछ बातों को लेकर संशय था। जिस पर उन्हें स्पष्टीकरण दे दिया गया है। जबकि कुछ अन्य बातें भी आढ़तियों की और से उनके समक्ष रखी गई थी। जिन्हें फिलहाल न मानते हुए फिलहाल उन पर विचार करने को कहा गया है। लेकिन उन्हें खुशी है कि आढ़ती एसोसिएशन ने वक्त की नजाकत को देखते हुए हड़ताल को वापस ले लिया है। जबकि अब सभी जिलों से आढ़तियों के अपना काम शुरू किए जाने की खबरें आ रही है।

पीके दास ने कहा आढ़तियों की प्रमुख तीन मांगे मानी गई है। जिसमे हैफेड की और से आढ़तियों की मदद से फसल की खरीद की गई थी। जिसमें आढ़तियों की इसमें कमीशन प्रति क्विंटल 40 रुपये से बढ़ाकर 55 रुपये करने की मांग मान ली गई है। इसके अलावा गेहूं और जीरी का पैसा भी आढ़तियों ने किसानों के एकाउंट में सीधा डालने की जगह उनके जरिए इसका भुगतान करने की मांग की थी। जिसे सरकार ने मान लिया है। जबकि उनसे हमने ये वायदा लिया है कि वे किसान से वसूला जाने वाला पैसा इसमें से काटकर किसान के खाते में देंगे।

इसके अलावा ई खरीद प्लेटफॉर्म के जरिए कुछ बैंकों के जरिए भुगतान न कर आढ़तियों की अपनी मर्जी के बैकों के अकाउंट्स में पैसे डालने की मांग को भी सरकार ने मान लिया है। वहीं लॉक डाउन के दौरान कालाबाजारी की शिकायतों को लेकर पीके दास ने कहा कि चाहे राशन के डिपो हो या दवा विक्रेता हो।कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सख्ती से कारवाही की गई है।

कालाबाजारी करने वालों के चालान किए जा रहे हैं। जबकि कई मामलों में हमने एसेंशियल कमोडिटी एक्ट के तहत मामले भी दर्ज किए हैं। इनके अलावा हर जिले में सब्जियों की अधिकतम दाम भी तय किए गए हैं। ताकि तय दामों से अधिक पर सब्जी की बिक्री न हो सके। जबकि अब प्रदेश में एसेंशियल कमोडिटी का समान आराम से मिल रहा है और अधिक दाम पर समान बेचने के मामले भी अब सामने नही आ रहे।

हरियाणा की मंडियों में सोशल डिस्टेंसिंग को सुनिश्चित करने को लेकर उन्होंने कहा कि हर मंडी में 25 से 50 तक किसान ही बुलाए जा रहे हैं। जिससे अधिक भीड़ लगने की नौबत नहीं आ रही। उन्होंने बताया कि इसे बनाए रखने के लिए मंडियों की संख्या भी बढ़ाई गई है। जबकि पिछ्ले वर्ष 400 मंडी थी और इस वर्ष 1800 परचेस सेंटर है। जिनमें किसान बंटकर अपनी फसल को मंडियों में ला रहे हैं। इसके अलावा हर मंडी और प्रोक्योरमेंट सेंटर के गेट पर किसानों को मास्क और सैनिटाइजर दे रहे है।ज बकि मंडी में आने वाले किसानों और गाड़ियों की भी सैनिटाइजेशन की जा रही है।

पीके दास ने बताया कि पहले दिन मंडियों में 1 लाख 2 हजार टन गेहूं की आवक हुई। दूसरे दिन वह बढ़कर 1 लाख 86 हजार टन हुई। जबकि बुधवार तक मंडियों में 2.5 लाख टन तक गेहूं की आवक हुई है। वहीं वीरवार को 1 बजे तक 1 लाख 60 हजार टन गेहूं की आवक हुई है। इसलिए जो गेहूं की आवक पिछले सीजन के दौरान होती थी। इस बार भी हम उसके नजदीक ही चल रहे है।

उन्होंने बताया कि 30 जून तक गेहूं की खरीद की मंजूरी ली है। लेकिन जिस तरह के हमारे इंतजाम है और मंडी में जिस तरह से किसान मंडी में फसल लेकर पहुंच रहे है। उन्हें नहीं लगता कि इतना इंतजार करना पड़ेगा। उन्हें लगता है कि ज्यादतर फसल की खरीद 15 मई तक हाे जाएगी। जबकि उसके बाद भी किसान अगर मंडी में फसल लेकर आते है तो उसे खरीदा जाएगा। उन्होंने बताया कि इंटर स्टेट बैरियर सम्पूर्ण रूप से बंद है, इसलिए दूसरे प्रदेशों से गेहूं हरियाणा की मंडियो में नहीं आ रही।

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