5 साल तक ढूंढते रहे लोग, नहीं मिले सांसद, बदहाली के आंसू रो रहा है गोद लिया गांव (VIDEO)

Edited By Shivam, Updated: 13 Mar, 2019 11:42 AM

कर्णनगरी करनाल हमेशा से केंद्र व राज्य की राजनीति में चर्चा का विषय रहा है। करनाल विधानसभा सीट से जहां इस समय खुद सी.एम. मनोहर लाल खट्टर विधायक हैं, वहीं लोकसभा सीट से भी राजनीति के बड़े-बड़े महारथियों ने चुनाव जीतकर करनाल के विकास में अपना योगदान...

करनाल (पांडेय): कर्णनगरी करनाल हमेशा से केंद्र व राज्य की राजनीति में चर्चा का विषय रहा है। करनाल विधानसभा सीट से जहां इस समय खुद सी.एम. मनोहर लाल खट्टर विधायक हैं, वहीं लोकसभा सीट से भी राजनीति के बड़े-बड़े महारथियों ने चुनाव जीतकर करनाल के विकास में अपना योगदान किया। हालांकि विगत 5 साल में करनाल लोकसभा क्षेत्र के विकास में वर्तमान सांसद अश्विनी चोपड़ा का योगदान नाममात्र रहा। विकास कार्य कराने के लिए 5 साल तक लोग इन्हें ढूंढते रहे लेकिन यह नहीं मिले। इंटरनैशनल एयरपोर्ट और स्टेडियम जैसे दो अहम मुद्दे हैं जो करनाल में बनवाने का वायदा कर अश्विनी चोपड़ा सांसद बने। हालांकि सांसद बनने के बाद वे अपने दोनों वायदे भूल गए। 

बदहाली के आंसू रो रहा है सांसद का गोद लिया गांव
5 साल दौरान उन्होंने न तो कभी इन मांगों को संसद में उठाया और न ही इसको बनवाने के लिए कोई प्रयास किया जिसके कारण करनाल की जनता अपने आपको ठगा महसूस कर रही है। उनके द्वारा गोद लिया गया गांव मोहोद्दीनपुर आज अपनी बदहाली पर रो रहा है। 5 साल में इस गांव में विकास कार्य के नाम पर सिर्फ कुछ किलोमीटर सड़क का ही निर्माण किया गया है। 

सांसद के खिलाफ हो चुके हैं प्रदर्शन
सांसद अश्विनी चोपड़ा जहां विकास कार्य कराने में फिसड्डी रहे, वहीं इनकी जुबान भी लगातार फिसलती रही है जिसके कारण आम जनता के अलावा भाजपा कार्यकत्र्ता तक इनके खिलाफ प्रदर्शन कर चुके हैं। वर्ष 2014 के अगस्त माह में इन्होंने राव इंद्रजीत के खिलाफ गलत बयानबाजी की थी जिससे नाराज भाजपा कार्यकत्र्ताओं ने इनका पुतला फंूकने के अलावा इनको बर्खास्त तक करने की मांग की थी। वहीं डांसर सपना चौधरी के खिलाफ बोलने पर भी इन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था। 

चुनाव जीतने के बाद जनता का धन्यवाद करना भी उचित नहीं समझा था सांसद ने 
उल्लेखनीय है कि अप्रैल 2014 के चुनाव में करनाल संसदीय सीट से भाजपा से सांसद बनने वाले अश्विनी चोपड़ा चुनाव के बाद से ही अपने संसदीय क्षेत्र से गायब रहे हैं। उन्होंने चुनावों के वक्त करनाल में स्थायी निवास बनाने, इलाके का विकास करने, इलाके की आवाज संसद में उठाने के वायदे किए। स्थायी निवास बनाना तो दूर, चुनाव के बाद उन्होंने इस क्षेत्र की ओर रुख ही नहीं किया। सांसद बनने के बाद से उन्होंने न केवल भाजपा सरकार के खिलाफ नुक्ता-चीनी जारी रखी, बल्कि अपनी ही पार्टी के नेताओं को ही निशाना बनाते रहे। अश्विनी चोपड़ा की प्रदेश सरकार के साथ भी अनबन रही। इस वजह से पार्टी में उनकी किरकिरी भी हुई।

करनाल चूंकि मुख्यमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र है, ऐसे में यह हॉट सीट है। अब चुनाव होने हैं, तो ऐसे में अश्विनी चोपड़ा स्वयं तो यहां से दावा नहीं ठोक रहे लेकिन अब उनकी पत्नी यहां पर दावा ठोकती नजर आ रही हैं। रोचक पहलू यह भी है कि बतौर सांसद उन्होंने कोई भी महत्वपूर्ण परियोजना करनाल में लाने के लिए प्रयास ही नहीं किए। चुनाव जीतने के बाद इलाके की सुध लेना तो दूर उन्होंने जनता का धन्यवाद करना भी जरूरी नहीं समझा। सियासी पर्यवेक्षकों का मानना है कि बेवजह एवं अताॢकक, मुद्दाविहीन एवं एमेच्योर रवैया जारी रखते हुए अश्विनी चोपड़ा ने पार्टी की किरकिरी कराने का काम किया। ऐसे में भाजपा आलाकमान से लेकर प्रदेश संगठन व सरकार भी उनसे नाराज है।

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