हरियाणा में टल सकते हैं पंचायती चुनाव, पिछली बार भी 6 माह देरी से हुए थे चुनाव

Edited By Manisha rana, Updated: 01 Feb, 2021 04:47 PM

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हरियाणा में फरवरी माह में प्रस्तावित पंचायती चुनाव एक से दो माह के लिए टल सकते हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है पिछले कुछ महीनों से चल रहा किसान आंदोलन। पंचायती राज चुनाव ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े...

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : हरियाणा में फरवरी माह में प्रस्तावित पंचायती चुनाव एक से दो माह के लिए टल सकते हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है पिछले कुछ महीनों से चल रहा किसान आंदोलन। पंचायती राज चुनाव ग्रामीण क्षेत्र से जुड़े हैं और इस समय हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में किसान आंदोलन का बड़ा असर देखने को मिल रहा है। इसके साथ ही भारी संख्या में किसान और खाप पंचायतों ने दिल्ली के अलग-अलग सीमांत इलाकों में पड़ाव डाला हुआ है । इसके साथ ही पंचायती राज प्रणाली में अभी तक पंच, सरपंचों, जिला परिषद सदस्यों एवं पंचायत समिति सदस्यों की वार्डबंदी भी नहीं की गई है। वार्डबंदी में भी एक माह का वक्त लग सकता है और उसके बाद मतदाता सूचियों को अंतिम रूप दिया जाएगा। ऐसे में यही संभावना नजर आ रही है कि फरवरी माह में प्रस्तावित चुनाव अब अप्रैल या मई माह तक ही संभव हो पाएंगे।

हरियाणा में 2016 में भी पंचायत चुनावों में छह माह का विलम्ब हुआ था। पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल जून 2015  में समाप्त हो गया था। इसी बीच भाजपा सरकार की ओर से पंचायती राज प्रणाली में शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता लागू किए जाने के बाद मामला अदालत में चला गया। इस वजह से चुनाव जुलाई 2015 की बजाय साल 2016 के जनवरी माह में हुए थे। उस वक्त यह चुनाव तीन चरणों में 10 जनवरी ,17 जनवरी और 24 जनवरी 2016 को सम्पन्न हुए थे। इस बार भी पहले की तरह चुनाव देरी से होते नजर आ रहे हैं।

भाजपा सरकार ने किए थे दो बदलाव
पंचायती राज चुनाव प्रणाली हरियाणा जैसे ग्रामीण परिवेश वाले राज्य के लिए अहम मानी जाती है। पंचायती राज प्रणाली में भाजपा सरकार ने अपने दोनों कार्यकालों में दो बड़े बदलाव किए हैं। जनवरी 2016 में हुए पंचायत चुनाव से पहले भाजपा सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में 2015 के अंत में पंचायती राज प्रणाली में शैक्षणिक योग्यता लागू की थी। अब इसी वर्ष मनोहर सरकार ने पंचायती राज प्रणाली में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया  है। इस प्रावधान के बाद भविष्य में पंचायत में गणित पूरी तरह से बदल जाएगा। पिछली बार कुल 2,565 महिला सरपंच थीं जबकि नई व्यवस्था के बाद महिला सरपंचों की संख्या 3,102 हो जाएगी। इसी तरह से अब महिला जिला पार्षदों की आरक्षण संख्या 208 हो जाएगी, जबकि पिछली बार 181 महिलाएं जिला पार्षद सदस्याएं चुनकर आई थीं।

किसान आंदोलन का पड़ रहा प्रभाव
गौरतलब है कि हरियाणा में लंबे समय से किसानों का आंदोलन जारी है। पंजाब, उत्तर प्रदेश व राजस्थान के किसानों के साथ हरियाणा के किसान दिल्ली के अलग-अलग सीमांत इलाकों में डेरा डाले हुए हैं। हरियाणा में 6204 ग्राम पंचायतों के अलावा 416 जिला परिषद सदस्यों, 142 पंचायत समितियों,  पंचायत समिति के 3002 सदस्यों के अलावा करीब 60 हजार ग्राम पंचायत सदस्यों के चुनाव होने हैं। इन सभी का  कार्यकाल इस साल 24 फरवरी को समाप्त हो रहा है। पर जिस तरह से तीन कृषि कानूनों को लेकर हरियाणा में पिछले करीब सवा तीन माह से किसान आंदोलनरत हैं, उसे देखकर लगता नहीं कि पंचायत चुनाव समय पर होंगे।

इस बार भी कई चरणों में होंगे चुनाव
बेशक हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने पंचायती चुनाव निर्धारित समय पर ही करवाए जाने की बात कही थी, मगर पंजाब केसरी  की ओर से एक विशेष आलेख में किसान आंदोलन के लंबा होने की संभावना के चलते पंचायत चुनाव में देरी होने संबंधी जानकारी दी थी। उल्लेखनीय है कि पंचायती राज चुनाव प्रणाली के चुनाव एक तरह से पूरे राज्य के ग्रामीण परिवेश से जुड़े हैं और ऐसे में किसान आंदोलन के चलते इन चुनावों पर असर पडऩा स्वाभाविक ही  है। उल्लेखनीय है कि हरियाणा में पिछले पंचायती चुनाव तीन चरणों में करवाए गए थे और अब भी ये चुनाव तीन या चार चरणों में ही करवाए जा सकते हैं।

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