किसान आंदोलन के कारण टल सकते हैं पंचायती चुनाव, पिछली बार भी 6 माह देरी से हुए थे चुनाव

Edited By Manisha rana, Updated: 23 Dec, 2020 09:08 AM

panchayati elections may be postponed due to farmer movement

हरियाणा में पिछले करीब साढ़े तीन माह से किसानों का आंदोलन जारी है। पंजाब, उत्तरप्रदेश व राजस्थान के किसानों के साथ हरियाणा के किसान दिल्ली के अलग-अलग सीमांत इलाकों में डेरा डाले हुए हैं। कई दौर की वार्ता हो चुकी है मगर अभी तक इसका कोई समाधान नहीं हो...

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : हरियाणा में पिछले करीब साढ़े तीन माह से किसानों का आंदोलन जारी है। पंजाब, उत्तरप्रदेश व राजस्थान के किसानों के साथ हरियाणा के किसान दिल्ली के अलग-अलग सीमांत इलाकों में डेरा डाले हुए हैं। कई दौर की वार्ता हो चुकी है मगर अभी तक इसका कोई समाधान नहीं हो पाया है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि यदि किसानों के आंदोलन की स्थिति कमोबेश यही रहती है तो अगले वर्ष की शुरूआत में हरियाणा में होने वाले पंचायती चुनाव भी प्रभावित हो सकते हैं। यदि अगले कुछ दिनों तक किसानों का यह आंदोलन जारी रहा तो ऐसी भी संभावना है कि पंचायती राज संस्थाओं के ये चुनाव कुछ समय के लिए स्थगित भी किए जा सकते हैं।

चुनाव आयोग की तैयारी फिलहाल पूरी
उल्लेखनीय है कि राज्य की 6205 ग्राम पंचायतों के अलावा 22 जिलों के 416 जिला परिषद सदस्यों, 142 ब्लॉक समितियों के 3002 सदस्यों के जबकि 62466 पंचायत सदस्यों के चुनाव होने हैं। राज्य चुनाव आयोग की ओर से इन चुनावों को लेकर आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। पिछली बार भी शैक्षणिक योग्यता को लागू किए जाने के बाद पंचायत चुनावों में छह माह का विलम्ब हुआ था। मिली जानकारी के अनुसार 62466 पंचायत सदस्यों के चुनाव बैल्ट पेपर के जरिए होंगे जबकि शेष पदों के चुनाव ई.वी.एम. के जरिए करवाए जाएंगे।

पिछली बार 6 माह देरी से हुए थे चुनाव
उल्लेखनीय है कि हरियाणा में पिछले पंचायती चुनाव 2016 में 10 जनवरी, 17 जनवरी व 24 जनवरी को अलग-अलग तीन चरणों में हुए थे। हरियाणा की भाजपा सरकार की ओर से पंचायती चुनाव में शैक्षणिक योग्यता लागू किए जाने के चलते पिछले चुनाव जुलाई 2015 की बजाय छह माह विलम्ब से जनवरी 2016 में हुए। ऐसे में नियमों के अनुसार पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने के पांच बरस बाद ही चुनाव करवाए जा सकते हैं। इस बार जनवरी माह में सभी पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा और ऐसे में अगले साल फरवरी माह में चुनाव तय हैं।  

छोटी सरकार के चुनाव में होते हैं बड़े खेल
गौरतलब है कि हरियाणा में पंचायत चुनाव खासकर गांव के सरपंच का चुनाव चौधर व रुतबे का प्रतीक माना जाता है। राजनीतिक दल भी इससे अछूते नहीं रहते हैं। बड़े गांवों में तो राजनीतिक दलों का हस्तक्षेप व्यापक पैमाने पर देखने को नजर आता है। यहां पर सरपंची के चुनाव में प्रत्येक वोटर्स की नब्ज टटोलने के साथ ही सभी तरह का शह-मात का खेल चलता है। यहां तक कि छोटी सरकार के रूप में पहचान रखने वाले इन पंचायती चुनाव में विधानसभा व लोकसभा की तरह बड़े खेल देखने को भी मिलते रहे हैं। चूंकि इन चुनावों में साम-दाम-दंड-भेद की नीति हावी रहती है और ऐसे में छोटी सरकार के इन चुनावों में तमाम बड़े नेता अपनी पूरी सियासी ताकत भी झोंकते हैं।

पंचायती चुनाव में की 2 बड़ी पहल
पंचायती राज प्रणाली में मनोहर सरकार ने 2 बड़े बदलाव किए हैं। 2016 में जनवरी में हुए पंचायत चुनाव से पहले भाजपा सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में 2015 के अंत में पंचायती राज प्रणाली में शैक्षणिक योग्यता लागू की थी। अब इसी वर्ष मनोहर सरकार द्वारा पंचायती राज प्रणाली में महिलाओं के लिए 50 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया गया है। इस प्रावधान के बाद भविष्य में पंचायत में गणित पूरी तरह से बदल जाएगा। पिछली बार कुल 2,565 महिला सरपंच थीं जबकि नई व्यवस्था के बाद महिला सरपंचों की संख्या 3,102 हो जाएगी। इसी तरह से अब महिला जिला पार्षदों की आरक्षण संख्या 208 हो जाएगी, जबकि पिछली बार 181 महिलाएं जिला पार्षद सदस्याएं चुनकर आई थीं। 

Related Story

Trending Topics

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!