सरकारी अस्पताल में घायलों की जान की कीमत मात्र 250 रूपये

Edited By Punjab Kesari, Updated: 30 Dec, 2017 04:29 PM

only 250 rupees cost of life of injured in government hospital

सरकारी अस्पताल में मरीज की जान की कीमत मात्र 275 रूपये है। पति द्वारा छाती में चाकू मारने से घायल महिला को सरकारी अस्पताल में भर्ती नहीं किया, क्योंकि मौके पर अस्पताल की सरकारी फीस के लिए महिला के पास 275 रूपये नहीं थे। घटना की कवरेज करने पहुंचे...

फतेहाबाद(रमेश भट्ट): सरकारी अस्पताल में मरीज की जान की कीमत मात्र 250 रूपये है। पति द्वारा छाती में चाकू मारने से घायल महिला को सरकारी अस्पताल में भर्ती नहीं किया, क्योंकि मौके पर अस्पताल की सरकारी फीस के लिए महिला के पास रूपये नहीं थे। घटना की कवरेज करने पहुंचे पत्रकारों द्वारा रुपए जमा करवाने पर इलाज शुरू किया। घायल महिला को समय पर इलाज न मिलने की वजह से हालात नाजुक हो गई। जिसके बाद महिला को सिविल अस्पताल अग्रोहा, हिसार के लिए रेफर कर दिया गया।


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250 रूपये के लिए रोका इलाज
दरअसल, महिला को घरेलू झगड़े में उसके पति ने शराब के नशे में छाती में चाकू मार दिया था और उसके बाद महिला को किसी ने अस्पताल पहुंचाया। लेकिन सरकारी अस्पताल के कर्मचारियों घायल महिला का इलाज तब तक नहीं किया, जब तक उन्हें सरकारी फीस के 250 रूपये नहीं मिले। पत्रकारों द्वारा अस्पताल स्टाफ को सरकारी फीस जमा करवाई। जिसके एमएलआर काटी गई और उसे ड्रिप लगा लगाकर इलाज शुरू किया गया। ऐसे में यदि मौके पर सरकारी फीस का भुगतान न किया जाता तो घायल महिला की जान भी सकती थी।


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पति ने मारा था चाकू, डॉक्टर ने नहीं ली सुध
जानकारी के मुताबिक महिला को भट्टू इलाके की रहने वाली थी। घरेलू कलह के चलते शराब के नशे में उसके पति ने उसे चाकू मार दिया। घायल महिला को पहले भट्टू  के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ले जाया गया लेकिन यहां से महिला को फतेहाबाद के सिविल अस्पताल में भेज दिया गया। सिविल अस्पताल में जब महिला पहुंची तो यहां पर तैनात ड्यूटी डॉक्टर कुलदीप ने अस्पताल की सरकारी फीस जमा करवाने के लिए कहा।


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तड़पने के लिए एमर्जेन्सी बेड पर छोड़ा 
बाद में स्टाफ की ओर से डॉक्टर को जानकारी दी गई कि महिला के साथ उसका कोई परिजन मौजूद नहीं है और महिला के पास पैसे नहीं है। इस पर डॉक्टर ने महिला को इमरजेंसी वार्ड के बेड पर भेज दिया और उसकी कोई सुध नहीं ली। इस पर पत्रकारों ने इमरजेंसी वार्ड की स्टाफ को महिला की एमएलआर काटने और अन्य जरूरी फीस जमा करवाई और उसके बाद घायल महिला का इलाज शुरू किया गया। प्राथमिक उपचार के बाद महिला की हालत गंभीर होने पर उसे सिविल अस्पताल से हिसार के अग्रोहा मेडिकल के लिए रेफर कर दिया गया।


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लापरवाही करने वालों पर होगी कार्रवाई
मामले की गंभीरता को देखते हुए जब ड्यूटी डॉक्टर से पैसे न होने पर महिला का इलाज रोके रखने के लिए पूछताछ की कोशिश की तो ड्यूटी डॉक्टर मुंह छुपाते नजर आए। जब स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को मामले की जानकारी दी गई तो अधिकारियों ने मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की बात कही।  एसएमओ डॉ. ओपी देहमीवाल ने कहा कि पूरे मामले की जांच की जा रही है और यदि ड्यूटी डॉक्टर या किसी स्टाफ की लापरवाही इस मामले में सामने आती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

पैसे की कमी होने पर नहीं रोका जा सकता घायल का इलाज
वहीं अस्पताल में मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने अस्पताल में ड्यूटी डॉक्टर व स्टाफ के इंसानियत को शर्मसार कर देने वाले इस रवैये पर हैरानी जताई। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि अस्पतालों मैं प्राथमिक तौर पर किसी भी मरीज का इलाज पैसे के अभाव में डॉक्टर नहीं रोक सकते। 

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