Edited By Shivam, Updated: 27 Oct, 2018 06:08 PM
हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य विभाग के टीकाकरण अभियान की एक बार फिर पोल खुलकर सामने आई है। इस बार पलवल के नजदीकी गांव बसंतगढ़ के सरकारी स्कूल में पढऩे वाला बच्चा खसरा रूबेला और डीटीपी के इंजेक्शन लगने के बावजूद बीमारी की चपेट...
पलवल(दिनेश): हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य विभाग के टीकाकरण अभियान की एक बार फिर पोल खुलकर सामने आई है। इस बार पलवल के नजदीकी गांव बसंतगढ़ के सरकारी स्कूल में पढऩे वाला बच्चा खसरा रूबेला और डीटीपी के इंजेक्शन लगने के बावजूद बीमारी की चपेट में आया है। 11 साल के निशांत को डिप्थीरिया (गलघोंटू) ने अपनी चपेट में ले लिया है। निशांत को गंभीर हालत में पलवल के जिला अस्पताल से मेडिकल कॉलेज नल्हड़ के लिए रेफर किया गया है। गले में हुए विकार के कारण दर्द और बोलने में असमर्थ होने से पहले बच्चे को सामान्य बुखार हुआ था।
पलवल जिले तथा मेवात जिले में दर्जनों बच्चे डिप्थीरिया यानी गलघोंटू रोग की चपेट में आ चुके हैं, कई बच्चों की मौत भी हो चुकी है। इससे पहले बीमार हुए बच्चों के बारे में कहा गया था कि उन्हें वैक्सीन के डीपीटी तथा खसरा रूबेला के इंजेक्शन और दवाई नहीं दी गई थी, जिसके कारण वे बीमारी की चपेट में आये थे, लेकिन यहां जो बच्चा बीमारी की चपेट में आया है उसे समय समय पर लगने वाले इंजेक्शन और दवाइयां दी गई, जिनका रिकॉर्ड भी है। इस तरह सरकारी दवाइयों की गुणवत्ता / क्वालिटी को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। इस कारण टीकाकरण अभियान में इस्तेमाल की जा रही दवाइयों की गुणवत्ता की पड़ताल जरुरी है।
इस मामले में प्रवर चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रदीप कुमार ने बताया कि बच्चे को डीपीटी जैसे सभी जरुरी इंजेक्शन लग चुके थे, उसके बावजूद भी बच्चा बीमारी की चपेट में आया है। उनका कहना है कि विश्व में दस प्रतिशत बच्चों में वैक्सीन देने के बाद भी बीमारी से लडऩे की ताकत नहीं बनती है। यह बच्चा भी उसी प्रकृति का रहा होगा।
गलघोंटू की चपेट में आये बच्चे के माता-पिता ने बताया कि उसे तीन चार दिन पहले बुखार हुआ था, जिसकी प्राइवेट डॉक्टर से दवाई दिलाई गई थी। उसके बाद उसने गले में दर्द बताया तो गोयल नर्सिंग होम में ले जाकर डॉक्टर गोयल के पास भर्ती कराया था, उन्होंने चेक-अप और टेस्ट करने के बाद सरकारी अस्पताल भेज दिया।