अब फ्री में नहीं बजेगा शादी में गाना, म्यूजिक कंपनी वालों को करना होगा ये काम

Edited By Isha, Updated: 26 May, 2022 04:42 PM

now singing in marriage will not play for free

होटलों व बड़े बड़े पैलसों में ब्याह शादी में फ्री में गाना बजाना अब महंगा पड़ सकता है, अगर साउंड रिकार्डिंग के प्रयोग करने के लिए म्यूजिक कंपनी से लाइसेंस नहीं लिया तो यह कापीराइट एक्ट का उल्लंघन माना जाएगा व कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

चंडीगढ़( चन्द्र शेखर धरणी): होटलों व बड़े बड़े पैलसों में ब्याह शादी में फ्री में गाना बजाना अब महंगा पड़ सकता है, अगर साउंड रिकार्डिंग के प्रयोग करने के लिए म्यूजिक कंपनी से लाइसेंस नहीं लिया तो यह कापीराइट एक्ट का उल्लंघन माना जाएगा व कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में रजिस्ट्रार, कापीराइट के 27 अगस्त, 2019 के सार्वजनिक नोटिस को रद्द कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि शादी बारात, सामाजिक उत्सवों , धार्मिक समारोह के दौरान किसी भी साउंड रिकार्डिंग का उपयोग कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं है और इसके लिए कोई लाइसेंस लेने की आवश्यकता नहीं है। हाई कोर्ट के आदेश से यह साफ हो गया है कि अब शादी से जुड़े किसी भी समारोह में साउंड रिकार्डिंग के इस्तेमाल के लिए म्यूजिक कंपनी से लाइसेंस लेना जरूरी है।

नोवेक्स कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस राज मोहन सिंह ने यह आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ता कंपनी के पास कई म्यूजिक कंपनी के राइट है। कंपनी के पास ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड, इरोस इंटरनेशनल मीडिया लिमिटेड, टिप्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड, रेड रिबन एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड, एसपीआई म्यूजिक प्राइवेट लिमिटेड, थर्ड कल्चर एंटरटेनमेंट जैसे प्रसिद्ध कंपनी के साउंड रिकार्डिंग के कॉपीराइट व सार्वजनिक प्रदर्शन के अधिकार है। अधिकार के तहत अगर इन कंपनी के कोई साउंड रिकार्डिंग का सार्वजनिक स्थान या पब, होटल, रेस्तरां के साथ-साथ लाइव इवेंट और पार्टियों आदि सहित लाइव कॉन्सर्ट कार्यक्रमों में किया जाता है तो कंपनी से लाइसेंस लेना जरूरी है।

मामले में सुनवाई के दौरान हरिंद्र दीप सिंह बेंस ने हाई कोर्ट को बताया कि भारत सरकार के कापीराइट रजिस्ट्रार ने 27 अगस्त, 2019 को सार्वजनिक नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया कि धार्मिक समारोह,विवाह , सामाजिक उत्सव में साउड़ रिकॉर्डिंग का प्रयोग कापीराइट के उल्लंघन की श्रेणी में नहीं आता व व इसके लिए किसी लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है। बेंस ने कोर्ट को बताया कि रजिस्ट्रार के पास इस तरह का विधायी अधिकार नहीं है और कंपनी हित के खिलाफ है।

बेंस ने बेंच को बताया कि आजकल विवाह बड़े होटल, मैरिज पैलेस में होते है और होटल व पैलेस वाले संगीत कार्यक्रम के बदले आयोजन से लाखों रुपये चार्ज करती है। लेकिन वो विवाह के नाम पर साउंड रिकॉर्डिंग का प्रयोग कर कंपनी से लाइसेंस नहीं लेती व जिस कारण कंपनी को भारी वित्तीय नुकसान हो रहा है। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने माना कि रजिस्ट्रार का आदेश गलत है हाई कोर्ट ने रजिस्ट्रार द्वारा जारी 27 अगस्त, 2019 के नोटिस को यह कहते हुए रद्द करने का आदेश दिया कि नोटिस का कुछ कुख्यात तत्वों द्वारा दुरुपयोग किया जा सकता है। सार्वजनिक नोटिस कॉपीराइट अधिनियम के प्रावधानों को ओवरराइड नहीं कर सकता है।

 

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