हरियाणा में होने वाले विभागीय तबादलों में हारे हुए मंत्रियों की भूमिका होगी अहम, जानें वजह

Edited By Isha, Updated: 11 Dec, 2019 12:16 PM

now lost mlas and ministers will also be transferred

हरियाणा में जहां इन दिनों विभागीय तबादलों का दौर जारी है वहीं  सरकार के मंत्रियों ने तबादलों के लिए चंडीगढ़ सचिवालय में आने वाले लोगों को यह साफ कर दिया है कि वह अपने आवेदनों के साथ हारे हुए मंत्रियों की संस्तुति भी करवाकर

करनाल (शर्मा): हरियाणा में जहां इन दिनों विभागीय तबादलों का दौर जारी है वहीं  सरकार के मंत्रियों ने तबादलों के लिए चंडीगढ़ सचिवालय में आने वाले लोगों को यह साफ कर दिया है कि वह अपने आवेदनों के साथ हारे हुए मंत्रियों की संस्तुति भी करवाकर लाएं,तभी उनके आवेदनों पर गौर किया जाएगा। मतलब साफ है कि भले ही भाजपा को सरकार चलाने में जजपा व निर्दलीयों द्वारा सहयोग दिया जा रहा है लेकिन हरियाणा में होने वाले विभागीय तबादलों में हारे हुए मंत्रियों की भूमिका भी अहम होगी।

हरियाणा में 1 दिसम्बर से तबादलों का दौर शुरू हो चुका है। 15 दिसम्बर तक सभी विभागों के कर्मचारी तबादलों के लिए आवेदन करेंगे। उसके बाद तबादला सूची जारी होगी। सरकार द्वारा दूसरे श्रेणी तक की नौकरियों में तबादलों के अधिकार मंत्रियों को दिए गए हैं। चंडीगढ़ में तबादलों के लिए आने वाले कर्मचारी अपने-अपने क्षेत्र के विधायकों की सिफारिशों के साथ पहुंच रहे हैं। जिस पर कई मंत्रियों द्वारा आपत्ति जताई जा रही है।
हरियाणा में इस समय भाजपा और जजपा गठबंधन की सरकार है जबकि 7 निर्दलीय विधायकों ने भाजपा को समर्थन दे रखा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल को अगर छोड़ दिया जाए तो भाजपा कोटे से 8, जजपा कोटे से 2 तथा एक निर्दलीय कोटे से मंत्री हैं। हाल ही में हुए चुनाव दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान रहे 8 मंत्री चुनाव हार गए थे।

हारे हुए मंत्रियों में से केवल एक कृष्ण बेदी ही मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार के रूप में दोबारा सरकार में वापसी कर पाए हैं जबकि अन्य 7 मंत्री भी लॉङ्क्षबग में जुटे हैं। मौजूदा मंत्रियों के पास इन दिनों तबादलों को लेकर पूरी भीड़ जुट रही है। मंत्रियों ने अपने पास आने वाले कर्मचारियों को साफ कर दिया है कि वह संबंधित विधायकों की संस्तुति के अलावा संबंधित क्षेत्रों से हारे हुए मंत्रियों से भी अपने पत्रों पर सहमति लेकर आएं।

इसके पीछे मौजूदा मंत्रियों के 2 तर्क हैं। पहला यह कि हारे हुए मंत्री पार्टी में वरिष्ठ हैं और उन्हें सम्मान दिया जा सकता है। दूसरा कई विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां से जजपा, निर्दलीय और कांग्रेस के विधायक हैं। ऐसे में अगर सरकार हारे हुए मंत्रियों की सहमति के बगैर तबादले करती है तो तबादलों पर उनकी आपत्ति का अंदेशा भी समाप्त हो जाएगा। मुख्यमंत्री मनोहर लाल तथा उनके मंत्रियों द्वारा हारे हुए विधायकों को अहमियत दिए जाने पर कांग्रेस पार्टी बकायदा सदन में आपत्ति दर्ज करवा चुकी है। कांग्रेस के विधायक बिशनलाल सैनी के अनुसार सरकार साजिश तहत जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों की अहमियत को कम कर रही है। सरकार द्वारा अधिकारियों पर भी दबाव बनाया जा रहा है कि वह मौजूदा विधायकों की बजाए हारे हुए विधायकों अथवा मंत्रियों की सिफारिश पर ही काम करें।

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