अब जाट लैंड में कमल खिलाने का सपना देख रही भाजपा

Edited By Isha, Updated: 06 Oct, 2019 08:31 AM

now bjp is dreaming of feeding lotus in jat land

भाजपा ने लोकसभा की सभी 10 सीटें बेशक जीत ली हो लेकिन विधानसभा में डगर इतनी आसान नहीं है। स्थानीय मुद्दे,प्रत्याशियों की छवि व जातिगत तथ्य यह सब चुनाव परिणाम में महत्वपूर्ण भूमिका अदा

चंडीगढ़ (बंसल): भाजपा ने लोकसभा की सभी 10 सीटें बेशक जीत ली हो लेकिन विधानसभा में डगर इतनी आसान नहीं है। स्थानीय मुद्दे,प्रत्याशियों की छवि व जातिगत तथ्य यह सब चुनाव परिणाम में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। ऐसा नहीं है कि भाजपा को इसका आभास नहीं है तभी जहां लोकसभा चुनाव के बाद सभी नेताओं को फील्ड में उतराने के कार्यक्रम हुए वहीं मुख्यमंत्री ने भी रथयात्रा कर लोगों से जुडऩे का प्रयास किया। जमीनी स्तर पर जब लोगों से बात की तो अधिकांश का कहना था कि लोकसभा की बात कुछ और थी अब कुछ और है। 

भाजपा हाईकमान को फीडबैक में जब कुछ ऐसी ही रिपोर्ट मिली तो उसके बाद केंद्रीय नेताओं के कार्यक्रम तय हुए। यही नहीं,भाजपा के कुछ केंद्रीय नेता लगातार फील्ड में रहेंगे। भाजपा ने बेशक 12 विधायकों की टिकट काट दी लेकिन इसके बावजूद कुछ पुराने चेहरों की कार्यप्रणाली को लेकर लोगों में नाराजगी का दिखाई देना रणनीतिकारों की ङ्क्षचता बढ़ाने के लिए काफी था। भाजपा के रणनीतिकारों ने फीडबैक के आधार पर कुछ सीटें इंगित की हैं,जहां भाजपा पूरा जोर लगाएगी,क्योंकि प्रत्याशियों की छवि मिशन पर असर डाल सकती है। 

भाजपा ने गत चुनाव में जी.टी.रोड बैल्ट व अहीरवाल में अधिकांश सीटें जीती थी तब भाजपा का आंकड़ा 47 पर पहुंचा था। उस दौरान भाजपा ने सिर्फ मोदी का चेहरा आगे किया था तो साथ में डेरामुखी के समर्थकों का भी खुला साथ मिला था। इस बार स्थिति विपरीत है,क्योंकि डेरामुखी के समर्थक चुप हैं तो वहीं लोगों ने 5 वर्षों में भाजपा की कार्यप्रणाली भी देख ली है। पूर्व चुनावों में लोगों में सत्ताधारी कांग्रेस के खिलाफ माहौल था और अन्य दलों की सरकारों को भी भलीभांति देख लिया था। ऐसे में भाजपा को मौका देना चाहते थे और अब भाजपा की कार्यप्रणाली देख ली है तो उन्हें तय करना है कि कार्यप्रणाली पहले की सरकारों की बेहतर थी या फिर मौजूदा। भाजपा नेताओं को लग रहा है कि जी.टी. रोड बैल्ट और अहीरवाल की राह आसान है फिर भी भाजपा पूरा फोकस कर चल रही है,क्योंकि इस बार अन्य दलों ने भी प्रत्याशी बेहतर उतारे हैं। इसका अंदाजा लगने के बाद भाजपा नेता रूठों को मनाने में जुटे हैं। भाजपा इन दो क्षेत्रों में कब्जा बरकरार रख पाती है तो यह भी इतिहास बनेगा। 

भाजपा इस बार जाटलैंड और पश्चिम हरियाणा में कमल खिलाने का सपना देख रही है जबकि विश्लेषकों का मानना है कि राह इतनी सुगम नहीं है। लोकसभा में इन क्षेत्रों में जरूर जीत गई और उसके बाद भाजपा ने पूरा फोकस भी बनाए रखा जिसके चलते नेताओं को धड़ाधड़ भाजपा में शामिल करवाया गया लेकिन बात क्षेत्रीय सरदारी की आ जाती है और वहां जाकर भाजपा की रणनीति में अड़ंगा लग सकता है। इन क्षेत्रों के क्षत्रप भी भाजपा की नीति को भलीभांति समझते हैं तो उन्होंने भी यहां अपनी सरदारी बचाए रखने के लिए पूरा जोर लगाया हुआ है। इस बार भाजपा को इन क्षेत्रों में कुछ हासिल होता है तो अन्य दलों के भविष्य के लिए खतरे की घंटी होगी। क्षेत्रीय क्षत्रपों के तथ्य के अलावा स्थानीय मुद्दों का पूरा असर चुनाव में रहेगा जिसे चाहकर भी भाजपा नजरअंदाज नहीं कर सकती।

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