Edited By Deepak Paul, Updated: 14 Jan, 2019 12:34 PM
प्रदेश सरकार द्वारा जनता, प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के बीच दूरी खत्म करने व आपसी सौहार्द बढ़ाने के लिए शुरू किया गया राहगीरी कार्यक्रम इस बार फीका रहा। इस बार कार्यक्रम में जिला उपायुक्त, जिला पुलिस अधीक्षक व आधे से ज्यादा जनप्रतिनिधि भी गायब रहे...
टोहाना (विजेंद्र): प्रदेश सरकार द्वारा जनता, प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के बीच दूरी खत्म करने व आपसी सौहार्द बढ़ाने के लिए शुरू किया गया राहगीरी कार्यक्रम इस बार फीका रहा। इस बार कार्यक्रम में जिला उपायुक्त, जिला पुलिस अधीक्षक व आधे से ज्यादा जनप्रतिनिधि भी गायब रहे। आम जनता की भागीदारी भी क म रहने के कारण यह कार्यक्रम दम तोड़ता दिखा। अम्बेडकर चौक पर हुए कार्यक्रम में न कोई विशेष उत्साह दिखाई दिया व न ही कोई ऊर्जा दिखाई दी। निश्चित समय पर मंच खाली था व अधिकारियों का पोस्टर राहगीरी की सच्चाई को बयान कर रहा था। अधिकारियों के नाम पर सिर्फ डी.एस.पी. ही दिखाई दिए।
राहगीरी कार्यक्रम में पहुंचे युवकों ने बताया कि राहगीरी जैसे सार्वजनिक मस्ती के कार्यक्रमों में यदि उच्चाधिकारी, मंत्री, विधायक सहित अन्य बड़े लोग पहुंचे तो जनता का उत्साह बढ़ता है। सरकार को इस प्रकार के कार्यक्रमों में हर बार किसी न किसी उच्चाधिकारी, मंत्री या किसी बड़े अभिनेता को लाने का प्रयास करना चाहिए ताकि उन्हें सुनने, देखने व प्रेरणा लेने के लिए लोग पहुंचें। गौरतलब है कि लगभग 4 माह पूर्व 2 सितम्बर 2018 को शहर के टाऊन पार्क में हुआ राहगीरी कार्यक्रम अश्लील गीतों के कारण चर्चा में रहा था।
क्या है राहगीरी
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने गुरुग्राम से इसकी शुरूआत पुलिस प्रशासन व आम जनता के बीच आपसी संवाद बढ़ाने के लिए शुरू की थी, ताकि आमजन के सहयोग से अपराधों पर अंकुश लगे। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जनता व प्रशासन के बीच की दूरी को कम करना था, लेकिन टोहाना में इस कार्यक्रम ने इसका उद्देश्य ही बदल दिया।
क्या कहना है आम जनता का
राज्य सरकार के राहगीरी कार्यक्रम बारे शहर के लोगों अधिवक्ता रजनीश जैन, अधिवक्ता राजीव गोयल व कुलदीप सैनी ने बताया कि अगर इस कार्यक्रम में से सरकारी कर्मचारियों की संख्या को निकाल दिया जाए तो बाकी लोगों को अंगुलियों पर गिना जा सकता है। जनता समस्याओं का समाधान चाहती है। सरकार को चाहिए कि वह ऐसे कार्यक्रमों की बजाय महीने के एक रविवार को खुला दरबार लगाकर 3-4 घंटे सरकारी कार्यालयों में जनता के बाकी पड़े कार्यों को निपटाने के लिए कर्मचारियों की ड्यूटी निश्चित करे, ताकि आम जनता को राहत मिल सके।