हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने को लेकर नहीं बन सकी कोई रणनीति

Edited By Rakhi Yadav, Updated: 22 Jun, 2018 10:00 AM

no strategy to stop the high court s decision

पूर्व सरकार की नियमितीकरण प्रक्रिया के तहत रैगुलर कर्मियों के मामले में हाईकोर्ट केे फैसले पर रोक लगाने को लेकर अब तक सरकार किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। हालांकि सरकार के कई मंत्री-विधायकों की ओर से कच्चे कर्मियों.....

चंडीगढ़(पांडेय): पूर्व सरकार की नियमितीकरण प्रक्रिया के तहत रैगुलर कर्मियों के मामले में हाईकोर्ट केे फैसले पर रोक लगाने को लेकर अब तक सरकार किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। हालांकि सरकार के कई मंत्री-विधायकों की ओर से कच्चे कर्मियों को पक्का करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है लेकिन प्रदेश के महाधिवक्ता की कानूनी राय से स्थिति और विकट हो गई है। 

सरकार के सकारात्मक रुख का इंतजार कर रहे कर्मचारियों की बेचैनी बढ़ गई है। सबसे ज्यादा दिक्कत उन कर्मियों को हो रही है जो पूर्व की सरकार में रैगुलर हो गए थे। इन कर्मियों को हटाने के लिए कोर्ट ने महज 6 महीने का वक्त दिया है। उधर, मुख्य सचिव कार्यालय की ओर से सभी विभागों में कच्चे कर्मचारियों का डाटा पहुंच गया है जिसमें खाली पदों का ब्यौरा भी शामिल है। वहीं सरकार की हीलाहवाली पर अब सर्व कर्मचारी संघ ने ताल ठोंकते हुए 28 जून को जेल भरो आंदोलन करने के साथ ही आंदोलन तेज करने का ऐलान किया है। सर्व कर्मचारी संघ ने साफ कहा कि जब तक सरकार विधानसभा में कानून नहीं बनाती है तब तक इन कर्मचारियों की नौकरी सुरक्षित नहीं रह सकती है।

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के बैनर तले 28 जून के आयोजित जेल भरो आंदोलन में 10 हजार बिजली कर्मचारी शामिल होंगे। यह दावा करते हुए आल हरियाणा पावर कार्पोरेशनज वर्कर यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश राठी व महासचिव नरेश कुमार ने बताया कि जेल भरो आंदोलन को सफल बनाने के लिए सब-डिवीजन स्तर पर कर्मचारियों की गेट मीटिंग आयोजित की जा रही है। कर्मचारियों में सरकार का वायदाखिलाफी के खिलाफ भारी गुस्सा न जेल भरो को लेकर भारी जोश है। 

यूनियन के चेयरमैन देवेंद्र हुड्डा, वरिष्ठ उप प्रधान सुभाष लाम्बा व कोषाध्यक्ष अजय वशिष्ठ ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्णय से प्रभावित कर्मचारियों को  सेवा सुरक्षा प्रदान करने, सभी पार्टटाइम व डी.सी. रेट अनुबंध कर्मचारियों को नियमित करने की स्थायी नीति बनाने, समान काम के लिए समान वेतन देने, ठेका प्रथा खत्म करने, वितरण निगमों में वर्कलोड के अनुसार पदों का पुनर्गठन करने, खाली पड़े पदों को प्रोमोशन व पक्की भर्ती से भरने, 5 हजार रुपए जोखिम भत्ता देने, एक्स-ग्रेसिया रोजगार स्कीम व पुरानी पैंशन स्कीम बहाल करने, बिजली निगमों में लागू की जा रही निजीकरण व आऊटसोर्सिंग की नीतियों पर रोक लगाने, नए बने सर्कलों की पदों का सृजन करने आदि मुद्दों को लेकर 4 जून से बिजली कर्मचारी करनाल में पड़ाव डाले हुए हैं। 

 

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