Edited By Isha, Updated: 27 Nov, 2019 06:27 PM
नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने अनुमति दे दी तो इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) पानीपत को 659.49 करोड़ रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है। जुर्माने की
पानीपतः नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने अनुमति दे दी तो इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) पानीपत को 659.49 करोड़ रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है। जुर्माने की इस राशि में पर्यावरण को पहुंचे नुकसान और जीर्णोद्धार की लागत दोनों को शामिल किया गया है। जुर्माने की राशि का प्रयोग रिफाइनरी क्षेत्र में स्वच्छ पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा। टिब्यूनल ने रिफाइनरी में वायु और जल प्रदूषण फैलाने के मामले की जांच के लिए स्पेशल जॉइंट एक्शन कमिटी का गठन किया था। इससे पहले ट्रिब्यूनल ने पानीपत रिफाइनरी पर 17.31 करोड़ रुपये का जुर्माना किया था।
पानीपत देश का 11 वां और हरियाणा का दूसरा सबसे ज्यादा प्रदूषित जिला है। प्रदूषण फैलाने के लिए पानीपत रिफाइनरी पर कई बार अंगुली उठी, लेकिन हर बार रिफानइरी प्रशासन ने इन आरोपों को गलत बताया। हालांकि पानीपत रिफाइनरी ने वायु व जल प्रदूषण से निपटने के लिए कभी जमीनी काम नहीं किया, जिससे प्रदूषण बढ़ता गया। प्रदूषण से रिफाइनरी के आसपास स्थित गांवों न्यू बोहली, सिंहपुरा, सिठाना, ददलाना, रेर कलां, बाल जटान में रहने वाले नागरिकों की सेहत पर बुरा असर पड़ा। प्रदूषण का दुष्प्रभाव इंसानों के साथ मवेशियों और फसलों पर भी हुआ। ग्रामीणों ने रिफाइनरी प्रशासन से प्रदूषण को खत्म करने के लिए सशक्त कदम उठाने की गुहार लगाई, लेकिन रिफाइनरी प्रशासन ने ग्रामीणों की शिकायत को गंभीरता नहीं लिया ।
रिफाइनरी प्रशासन से कई बार शिकायत करने और वहां से कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर गांव सिठाना के सरपंच सत्यपाल ने प्रशासन के तानाशाही रवैये के खिलाफ 2018 में नैशनल ग्रीन टिब्यूनल में शिकायत की। इस पर ग्रीन ट्रिब्यूनल ने रिफाइनरी की कार्यप्रणाली की जांच के लिए पानीपत के डीसी की अध्यक्षता में कमिटी का गठन किया। कमिटी की लंबे समय से चल रही जांच में पानीपत रिफाइनरी वायु और जल प्रदूषण फैलाने की दोषी पाई गई। तब कमिटी की रिपोर्ट पर ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पानीपत रिफाइनरी पर 17.31 करोड़ का जुर्माना किया था। पानीपत रिफाइनरी प्रशासन को आईओसीएल के उच्च अधिकारियों ने कड़ी फटकार लगाई थी।